- मोर्चरी में चार लावारिस शवों को रखने की है क्षमता, जिसे किया जा सकता है सिर्फ आठ तक
- गर्मी में लाशों को सड़ने से बचाने के लिए लगे दो एसी, हमेशा रहते हैं बंद
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ : ये मुर्दों का शहर है। यहां बोलना मना है। अपने आपको जिंदा साबित करने के लिए जुबां खोलोगे तो मुर्दा बना दिये जाओगे। इसलिए जिंदा रहना है तो मुर्दों की तरह रहो। मुर्दा रहोगे तो जिंदा रहने की हसरत पूरी होती रहेगी। वरना मुर्दों में शामिल होने में एक क्षण भी नहीं लगेगा। शहर में कोई ये कहने वाला भी नहीं होगा कि कोई जिंदा भी है।
कहेगा कौन? सब के सब मुर्दे जो हैं। और मुर्दे कभी बोला नहीं करते। समझे! जिंदा हो तब भी मुर्दा रहो। क्योंकि ये मुर्दों का शहर है। यहां जिंदों का कोई काम नहीं। कोई नाम नहीं। इसका अपना चलन है। यहां आपको अतिरिक्त रूप से कुछ नहीं करना। आंखों को उतना ही देखने की इजाजत देना जितना जिंदा मुर्दा बने रहने की जरूरत हो। ध्यान रहे मुर्दा ना देखता है,ना सुनता है और ना ही बोलता है। मुर्दा बस केवल मुर्दा है…केवल मुर्दा।
सूरज की बढ़ती तपिश ने लोगों का हाल बुरा कर रखा हैै, दोपहर के समय आसमान से आग बरस रही है। जिससे बचने के लिए लोग हर तरह के उपाय कर रहे हैं, लेकिन जो व्यक्ति इस दुनिया को छोड़कर जा चुका है और उसका केवल शव ही रह गया है। वह शव क्या कर सकता है, कुछ नहीं। इन शवों कोे भी गर्मी से बचाने के लिए शासन स्तर पर सुविधाएं दी गई है, लेकिन विभाग शवों को मिलने वाली सुविधाएं छीन रहा है।
बुधवार को मेडिकल कॉलेज के शव गृह का हाल जानने पर जो सच सामने आया वह दिल दहलाने वाला है। शव गृह में शवों को गर्मी से बचानें के लिए एयर कंडीशनर लगे हैं। जिससे इस भीषण गर्मी में शवों से दुर्गंध न उठे और उन्हें खराब होेने से बचाया जा सके, लेकिन इस शवगृह पर तैनात कर्मचारी शवगृह में शव होने के बावजूद एसी नहीं चलाते हैं। इस कारण इन शवों के खराब होने का खतरा बना रहता है व उनसे दुर्गंध आने लगती है। जिस वजह वहां से गुजरना भी दुश्वार हो जाता है।
शवगृह में कुल चार शव रखने की है क्षमता
मोर्चरी के पीछे बाने शवगृह में एक साथ चार अज्ञात शवों को रखा जाता है। जिसमें जरूरत पड़ने पर आठ शवों को भी रखने की क्षमता है। साथ ही इन शवों को किसी भी तरह से नुकसान न हो इसके लिए भी हर सुविधा है। यहां तक की गर्मी में शवों को खराब होने से बचाने के लिए दो एयर कंडीश्नर भी लगे हैं, लेकिन बुधवार को यह एसी चलते नहीं पाए गए। जबकि शवगृह में एक शव रखा हुआ था।
शवगृह में दुर्गंध से हाल बेहाल
मौके पर मौजूद कुछ लोगों ने पहचान छिपाने की शर्त पर बताया कि कई बार शवगृह में शवों की संख्या बढ़ जाती है, लेकिन भीषण गर्मी में भी यहां उनके लिए सुविधाएं मौजूद होने के बाद भी इस्तेमाल नहीं की जाती। शवों से उठनें वाली दुर्गंध के कारण आसपास के लोगों को सांस लेने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
लावारिस शवों को रख सकते हैं 48 घंटे तक
इस में लावारिस शवों को रखा जाता है, जिन्हें 72 घंटे के बाद पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया जाता है, लेकिन किसी विशेष परिस्थिति में शवों को ज्यादा समय तक भी रखना पड़ सकता है, लेकिन एसी नहीं चलने से इस गर्मी में शवों को कितना सुरक्षित रखा जा सकता है और कब तक यह बड़ा सवाल है? मेडिकल कॉलेज के प्रिंसीपल आरसी गुप्ता का कहना है|
शवों को गर्मी से बचाने के लिए एसी लगे हैं। उन्हे केवल तभी बंद किया जाता है। जब वहां कोई शव न हो, साथ ही लगातार एसी चलने से उनके खराब होने का भी खतरा रहता है। ऐसे में एसी को समय-समय पर कुछ देर के लिए बंद किया जाता है।
चंद कदमों की दूरी पर टीबी विभाग
शवगृह से महज कुछ कदमों की दूरी पर ही टीबी विभाग है, इस विभाग में इलाज के लिए बड़ी संख्या में मरीज पहुंचते हैं। मरीजों के तीमारदारों ने बताया कि शवगृह से आने वाली दुर्गंध के कारण उन्हें काफी परेशानी होती है।