- शिक्षक हुए लामबंद, हिमांशु राणा ने दायर की याचिका
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: प्रदेश में शिक्षकों के स्थानांतरण में बड़ा खेल हो रहा है। राज्य के लगभग चालीस जिलों में शून्य जनपद दिखाए गए। पश्चिमी उत्तर प्रदेश लगभग ट्रांसफर से वंचित रह गया। ये मामला अब इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच में है, जहां सरकार से जवाब मांगा गया है कि विभाग से इस पर दिशा निर्देश लेकर आएं। इसमें गौतमबुद्ध नगर के बीएसए और निदेशक के बीच हुआ पत्राचार को आधार बनाया है। वहीं सरकार शिक्षा मित्रों को भी सुविधानुसार शिक्षक मानकर चलती है। पिछले दिनों शिक्षा मंत्री ने सदन में उन्हें संविदाकर्मी ही बता दिया। उधर, नए शिक्षकों की भर्ती का कोई पता चल रहा है।
प्रदेश सरकार ने जून 2023 में ट्रांसफर की प्रक्रिया को चालू किया, जिसमें संशोधन करते हुए कहा गया कि जिले में स्वीकृत पदों के सापेक्ष दस फीसदी ट्रांसफर होंगे और लगभग चालीस जिलों में शून्य पदों को दिखाया गया जिसको लेकर शिक्षक नेता हिमांशु राणा ने याचिका की जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सूचना भी मांगी। सर्वप्रथम याचिका में गौतमबुद्ध नगर के बीएसए का शिक्षा निदेशक बेसिक शिक्षा से पत्राचार दिखाया। इसमें बीएसए गौतमबुद्ध नगर ने निदेशक को सूचना देते हुए 655 पदों को रिक्त दिखाया,
वहाँ स्वीकृत पद 2047 हैं तो सरकार द्वारा बनाई गई पॉलिसी के अनुसार भी 200 पदों पर ट्रांसफर होने चाहिए थे लेकिन सरकार ने शून्य दिखाया। जनपद मेरठ में भी 389 पद रिक्त हैं। उसके बाद सरकार ने हलफनामा दाखिल किया कि बीएसए ने गलत जानकारी दी है और उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है तो बीएसए खुद जनसूचना अधिकारी हैं। यहां भी सरकार भ्रमित कर रही है। इसके पश्चात बीएसए मुजफ्फरनगर ने भी आरटीआई के माध्यम से ब्यौरा दिया कि नगर और ग्रामीण क्षेत्र में 720 पद रिक्त हैं और कुल स्वीकृत पद 3194 हैं
तो दस फीसदी के अनुसार भी लगभग 319 पद होने चाहिए थे लेकिन सरकार ने यहां भी शून्य रिक्ति दिखाई है। अब मामला इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच में है जहाँ सरकार से जवाब मांगा गया है कि आप विभाग से इस पर दिशा निर्देश लेकर आएं जिसमें गौतमबुद्ध नगर के बीएसए और निदेशक के बीच हुआ पत्राचार को आधार बनाया है।
सरकार में शिक्षा मंत्री द्वारा सदन में बताया गया है कि प्राथमिक में 85,152 और उच्च प्राथमिक में 41,338 शिक्षकों के पद रिक्त हैं और शिक्षा मित्र और अनुदेशकों को मिलाकर छात्र शिक्षक अनुपात बराबर किया जा रहा है जबकि उसके कुछ दिन पश्चात ही शिक्षा मित्रों को शिक्षक न मानते हुए संविदा कर्मी माना गया है तो शिक्षकों के हजारों पद खाली हैं जिन पर ट्रांसफर और नवीन भर्ती सरकार को करनी चाहिए।
क्या युवा सड़कों पर रहेगा?
हिमांशु राणा वर्ष 2015 से कहते आ रहे हैं कि शिक्षा मित्रों का अगर समायोजन हो गया तो कई दशक भर्ती नहीं निकलेगी। क्या युवा सड़क पर रहेगा, समायोजन रद करवाने के बावजूद वर्तमान सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार दो बार भर्ती निकाली लेकिन अब कोई भर्ती की सुगबुगाहट इसलिए नही है क्योंकि सरकार स्थाई शिक्षक न रखकर कम वेतन पर शिक्षा मित्रों से कार्य लेना चाहती है जो कि आरटीई एक्ट का उल्लंघन है।