Friday, April 25, 2025
- Advertisement -

नदियों को जीवंत रखने की बड़ी पहल

  • देशभर के जल योद्धाओं को साथ लेकर नदियों को निर्मल और सजल बनाए रखने के लिए हुआ नदी परिषद का गठन, देश भर के 600 नदी प्रेमी जुटे राष्ट्रीय नदी संगम में

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: नदियों को जीवंत रखने की रखने की बड़ी पहल की गई है। घनघोर प्रदूषण और घटते जल स्तर के बीच भारतीय नदी परिषद का गठन किया है। परिषद ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय नदी संगम नामक समागम करके अपने सकारात्मक इरादों की झलक भी दे दी है।

भारत मंडपम में आयोजित राष्ट्रीय नदी संगम में इस बात के लिए सभी जल योद्धा और नदी प्रेमी सहमत दिखे कि व्यक्ति और समाज की जीवन रेखा होती है नदियां और इन नदियों के घटते जल स्तर और प्रदूषण की मार झेल रही इन नदियों को निर्मल और सजल रखने के लिए और बेहतर तरीके से सामूहिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है ताकि आने वाली पीढ़ियां जल संकट से बची रह सकें। भारतीय नदी परिषद का अध्यक्ष रमनकांत को तथा सलाहकार शोभित विवि के चांसलर कुंवर शेखर विजेंद्र को बनाया गया है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता देव संस्कृति विवि के प्रतिकुलपति डा.चिन्मय पांडया द्वारा की गई। इस दौरान विशिष्ट अतिथि परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष चिदानंद सरस्वती और कुंवर शेखर विजेंद्र रहे।

13

राष्ट्रीय नदी संगम का आयोजन जेपी माथुर चैरिटेबल ट्रस्ट और जीआईजेड के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। कार्य़क्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत रहे। इस दौरान भारतीय नदी परिषद के सलाहकार कुंवर शेखर विजेंद्र और अध्यक्ष रमनकांत भी मौजूद रहे।

नदी बचाओ अभियान के तहत इस समागम में देश भर से करीब 600 नदी प्रेमियों ने शिरकत की। इन योद्धाओं में नदी के वजूद को बचाने के लिए वर्षों से प्रयासरत छह नदी योद्धाओं को भी सम्मानित किया गया। इनमें कनुप्रिया हरीश, गणेश थोराट, गौरांग दास, श्रीमान प्रसन्ना प्रभु, कार्तिक सप्रे और बिजेंद्र सिंह शामिल रहे।

दूसरे सत्र में नदी और पानी के लिए वर्षों से संर्घषरत छह पदमश्री शख्सियत को सम्मानित किया गया। इनमें उमाशंकर पांडेय, कंवल सिंह चौहान,भारत भूषण त्यागी,लक्ष्मण सिंह, सेतपाल सिंह और पोपट राव को स्वामी चिदानंद सरस्वती और मनु गौड द्वारा सम्मानित किया गया।

मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री शेखावत ने सभी पर्यावरण प्रेमियों का आह्ववान करते हुए कहा है कि वक्त आ गया है कि जल संकट से सामने आने जा रही गंभीर चुनौतियों से निबटना सीखे और इसके लिए हमें नदी को सजल और निर्मल बनाने के लिए सार्थक प्रयास करने होंगे ताकि जल संकट के वैश्विक संकट से बचा जा सके।इसी क्रम में डा. चिन्मय पांडया ने भी गंगा के कम होते जल प्रवाह के प्रति सचेत करते हुए कहा है कि गंगा नहीं बची तो फिर बचेगा क्या। चिदानंद स्वामी ने भी पर्यावरण को लेकर सामने आ रहे गंभीर संकट के प्रति सचेत करते हुए कहा कि ‘नो नदी, नो दुनिया’ के स्लोगन को जिंदगी में उतारने की अपील की।

spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Badshah: पहलगाम हमले से आहत बादशाह ने रोकी म्यूजिक लॉन्च, जताई संवेदना

नमस्कार दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...
spot_imgspot_img