इंदिरा गांधी के समय में 17 राज्यों में थी कांग्रेस पार्टी की सरकार
जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: पांच राज्यों के चुनाव नतीजे लगभग साफ हो चुके हैं। इसमें भारत के सियासी नक्शे पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को एक राज्य का फायदा होता नजर आ रहा है, लेकिन वो केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी के सहारे। यहां भाजपा और उसके सहयोगी दल के सरकार बनाने के आसार हैं।
इससे देश में भाजपा और उसके सहयोगी दलों की सरकार वाले प्रदेशों की संख्या 18 हो जाएगी। हालांकि, आबादी और क्षेत्रफल के लिहाज से देखें तो उसे कोई खासा फायदा नहीं होगा, क्योंकि 14 लाख की आबादी और 483 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाला पुडुचेरी बेहद छोटा राज्य है।
इससे पहले नवंबर 2020 में हुए बिहार चुनाव के बाद देश के 49 प्रतिशत आबादी और 52 प्रतिशत क्षेत्र घेरने वाले 17 राज्यों में भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों की सरकारें थीं, लेकिन भाजपा का उफान मार्च 2018 में था, जब एनडीए की देश के 21 राज्यों में सरकार थी। तब देश की 71 प्रतिशत आबादी और 80 प्रतिशत क्षेत्र पर भाजपा या एनडीए की सत्ता थी। इसकी तुलना अक्सर इंदिरा गांधी के दौर से की जाती है, जब कांग्रेस की देश के ज्यादातर राज्यों में सरकार थी।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ही राज्यों में भाजपा या भाजपा गठबंधन वाली सरकारों की तुलना इंदिरा गांधी के समय से की थी। दिसंबर 2017 में जब भाजपा गुजरात और हिमाचल में जीती, तो प्रधानमंत्री मोदी ने संसदीय दल की बैठक में बड़े गर्व से कहा, ‘इंदिरा गांधी जब सत्ता में थीं, तो कांग्रेस की सरकार 18 राज्यों में थी (हालांकि, उस समय कांग्रेस 17 राज्यों में थी), लेकिन जब हम सत्ता में हैं तो भाजपा 19 राज्यों में काबिज है।’
हालांकि तब कई राज्यों का बंटवारा नहीं हुआ था, इसलिए कांग्रेस की सत्ता वाले 17 राज्यों में देश की 88 प्रतिशत आबादी रहती थी। इनका क्षेत्रफल भी 94 प्रतिशत था। चलिए पांच राज्यों के चुनाव नतीजे के मौके पर हम देश के सियासी नक्शे पर होने वाले अहम बदलावों से गुजरते हैं-
इंदिरा गांधी के समय में कांग्रेस पार्टी उफान पर थी
आजाद भारत में जब राज्यों के चुनाव हुए तो कांग्रेस देश की इकलाैती अहम पार्टी थी। तब केंद्र के साथ-साथ देश के 21 राज्यों में इसी पार्टी का शासन था। तब देश कई बदलावों से गुजर रहा था। कई रियासतें देश में शामिल हो रही थीं। 1967 के चुनाव में कांग्रेस को कड़ी चुनौती मिली और पार्टी 11 राज्यों में सिमट गई।
हालांकि, इंदिरा गांधी के समय में कांग्रेस ने राजनीतिक दांव-पेंच के साथ वापसी की। इंदिरा गांधी के राजनीतिक कौशल के चलते पार्टी ने 17 प्रमुख राज्यों पर जीत हासिल की। उस वक्त कुल 22 राज्य ही थे। बचे पांच राज्यों में मणिपुर में राष्ट्रपति शासन था। नागालैंड में नागा नेशनलिस्ट ऑर्गनाइजेशन, ओडिशा (तब उड़ीशा) में यूनाइटेड फ्रंट, तमिलनाडु (तब मद्रास) में द्रमुक और गोवा में गोमांतक पार्टी की सरकारें थीं।
मार्च 2018 में भाजपा इंदिरा गांधी से आगे निकली !
मई 2014 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आई। इसके बाद के 30 विधानसभा चुनावों के बाद एनडीए ने 17 में सरकारें बनाईं। मार्च 2018 में त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में सरकार बनाकर एनडीए 21 राज्यों में पहुंच गई। यही BJP और उसके गठबंधन एनडीए का पीक था। इसके बाद भाजपा आजादी के बाद वाली कांग्रेस के राज्यों के बराबर हो गई। तब भाजपा इंदिरा गांधी के समय की कांग्रेस से भी ऊपर निकली।
मार्च 2018 के बाद से भाजपा का विजय रथ कर्नाटक से रुकना शुरू हुआ। कर्नाटक में मई 2018 में चुनाव हुए। भाजपा के येदियुरप्पा ने शपथ भी ले ली, लेकिन बहुमत नहीं होने की वजह से इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि, एक साल में ही कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) के कुछ विधायक भाजपा में आ गए। तब जाकर कहीं कर्नाटक में भाजपा की वापसी हो पाई।
इसी तरह दिसंबर 2018 में जब मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुए, तो भाजपा के हाथ से ये तीनों राज्य फिसल गए। मार्च 2020 में मध्य प्रदेश में कर्नाटक की तरह कांग्रेस के 22 विधायक भाजपा में आ गए। राज्य में 15 महीने बाद पार्टी की वापसी हुई। अक्टूबर 2019 में हरियाणा में भी भाजपा हार ही गई थी। बाद में उसने दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी की मदद से सरकार बचाई।
2019 में ही महाराष्ट्र और झारखंड भाजपा के हाथ निकल गए। 2020 में दिल्ली में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन बिहार में एनडीए सत्ता बचाने में सफल रहा और नंवबर 2020 तक पार्टी 17 राज्यों में सिमट गई।
आम चुनाव 2019 के बाद अब तक के दस विधानसभा चुनावों में एनडीए को केवल चार राज्यों में जीत मिली है। अब पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। भाजपा असम में सत्ता बचा पाई और पुडुचेरी में सत्ता भाजपा के पास आ गई है।