Tuesday, April 29, 2025
- Advertisement -

जानिए- बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिया यह आदेश, जानकर हैरान रह जाएंगे

  • देह व्यापार अपराध नहीं, किसी भी वयस्क महिला को अपना पेशा चुनने का अधिकार: बॉम्बे हाईकोर्ट

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: बॉम्बे हाईकोर्ट ने देह व्यापार में शामिल तीन युवतियों से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए उन्हें सुधारगृह से रिहा करने के आदेश दिए। बृहस्पतिवार को अदालत ने तीन महिलाओं से जुड़े देह व्यापार के मामले पर सुनवाई करते हुए कहा, किसी भी वयस्क महिला को अपना पेशा चुनने का अधिकार है। अदालत ने कहा कि किसी भी वयस्क महिला को उसकी सहमति के बिना लंबे समय तक सुधारगृह में नहीं रखा जा सकता।

तीन युवतियों को सुधारगृह से रिहा करने का आदेश दिया

न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि इममॉरल ट्रैफिकिंग कानून 1956 (अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम) का उद्देश्य देह व्यापार को खत्म करना नहीं है। इस कानून के अंतर्गत ऐसा कोई भी प्रावधान नहीं है जो वेश्यावृत्ति को स्वयं में अपराध मानता हो अथवा देह व्यापार से जुडे़ हुए को दंडित करता हो। इस कानून के तहत सिर्फ व्यवसायिक उद्देश्य के लिए यौन शोषण करने व सार्वजनिक जगह पर अशोभनीय हरकत को दंडित माना गया है।

न्यायमूर्ति ने स्पष्ट किया है कि संविधान के तहत प्रत्येक व्यक्ति को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने व अपनी पसंद की जगह रहने का अधिकार है। यह बात कहते हुए न्यायमूर्ति ने वेश्यावृत्ति से छुड़ाई गई युवतियों को सुधारगृह से छोड़ने का निर्देश दिया।

2019 में छुड़ाई गई थी तीनों युवतियां

मुंबई पुलिस की समाज सेवा शाखा ने सितंबर 2019 में तीनों युवतियों को छुड़ाया था। इसके बाद इन्हें सुधारगृह में भेज दिया था। कोर्ट ने मामले से जुड़े तथ्यों को देखने के बाद इन तीनों युवतियों को इनकी माताओं को सौंपने से भी इनकार कर दिया था और इन्हें प्रशिक्षण के लिए उत्तर प्रदेश भेजने का निर्देश दिया था। निचली अदालत ने सुनवाई के दौरान पाया था कि ये तीनों युवतियां ऐसे समुदाय से हैं जहां देह व्यापार इनकी वर्षों पुरानी परंपरा है।

निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ तीनों युवतियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि तीनों युवतियां बालिग हैं। उन्हें अपनी पसंद की जगह रहने व पेशा चुनने का अधिकार है। न्यायमूर्ति  ने कहा कि इन तीनों युवतियों को हिरासत में भेजने से पहले युवतियों की इच्छा को जानना चाहिए था। न्यायमूर्ति ने निचली अदालत के दोनों आदेश को निरस्त कर दिया और तीनों युवतियों को सुधारगृह से मुक्त करने का निर्देश दिया।

spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Summer Skin Care: गर्मियों में अपनाएं ये स्किन केयर रूटीन, ग्लो के साथ चमकेगी त्वचा

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...
spot_imgspot_img