Monday, July 8, 2024
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सीसीएसयू की गोपनीयता भंग

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  • लीक हुए डांटे में 12 जुलाई तक का पंजीकरण डाटा मौजूद
  • पंजीकृत विद्यार्थियों का डाटा हुआ लीक
  • पंजीकृत विद्यार्थियों का डाटा निजी कॉलेज व कोचिंग सेंटरो के पास गया है पहुंच

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: बता दें कि विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए पंजीकृत तीन लाख 27,572 हजार विद्यार्थियों का डाटा लीक हो गया है। सत्र 2023-24 में स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए 20 मई को पंजीकरण शुरू हुए थे और 15 जुलाई तक चले। बताया जा रहा है कि लीक डाटा में 12 जुलाई तक पंजीकरण कराने वाले विद्यार्थियों का डाटा है। पेन ड्राइव और इंटरमीडिया के जरिए प्रसारित हो रहे लीक डाटा में विद्यार्थियों के नाम, रजिस्ट्रेशन नंबर, मोबाइल नंबर आदि विवरण है। इस सत्र में प्रवेश प्रक्रिया का कार्य विश्वविद्यालय ने आइटीआइ लिमिटेड-एमएसपी मुंबई-आइएमटीएसी नामक कंपनी को दिया है।

अब तक प्रवेश के लिए पहली कटआफ भी जारी नहींं की जा सकी है और पंजीकृत विद्यार्थियों का डाटा निजी विश्वविद्यालयों, निजी कालेजों व कोचिंग संस्थानों तक पहुंच चुका है। विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए पंजीकरण कराने वाले छात्र-छात्राओं का पूरा विवरण विश्वविद्यालय की निजी संपत्ति होती है। इसका लीक होना निजी शिक्षण संस्थानों में छात्रों का विवरण पहुंचने का नुकसान विश्वविद्यालय को होने के साथ ही मोबाइल नंबर संग अन्य विवरण हैकर्स या अन्य गलत हाथों में पड़ सकते हैं। छात्राओं के मोबाइल नंबर के जरिए उनसे संपर्क कर छेड़खानी सहित अन्य घटनाक्रम को अंजाम दिया जा सकता है।

निजी शिक्षण संस्थान इस डाटा का इस्तेमाल अपना प्रवेश बढ़ाने में इस्तेमाल करेंगी। किसी तरह विश्वविद्यालय के सर्वर से एकमुस्त डाटा बाहर निकलने के बाद यह तमाम कालेजों तक पहुंच चुका है। जबकि प्रवेश के लिए पंजीकृत छात्रों का डाटा कटआफ जारी होने के बाद कालेजों को भेजा जाता है। इसमें केवल संबंधित कालेज में प्रवेश के लिए पंजीकृत छात्रों का ही डाटा होता है। एक कालेज को दूसरे का डाटा नहींं मिलता है। वहीं लीक डाटा एक एक्सल फाइल में सीसीएसयू के अंतर्गत आने वाले मेरठ मंडल के सभी छह जिलों के विद्यार्थियों का डाटा है। इसमें मेरठ, बागपत, हापुड़, बुलंदशहर, गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर के कालेजों और विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश के लिए पंजीकृत विद्यार्थियों का डाटा एक साथ है।

कंपनी से हुआ जवाब तलब

डाटा लीक होने की जानकारी पर विश्वविद्यालय से पूछा गया तो किसी को कोई जानकारी नहींं थी। विश्वविद्यालय के प्रवेश समन्वयक प्रोफेसर भूपेंद्र सिंह ने लीक डाटा को आपराधिक श्रेणी का बताते हुए कंपनी से एक दिन में जवाब मांगा है।

विद्यार्थियों को प्रैक्टिकल न कराने पर नपेंगे स्कूल

माध्यमिक स्कूलों में प्रैक्टिकल के नाम पर कई सालों से बच्चों के साथ खेल होता आ रहा है। इतना ही नहीं अधिकांश स्कूलों में होने वाले प्रैक्टिकल केवल पैसों पर ही चल रहे हैं। क्योंकि सालभर स्कूलों में एक भी प्रैक्टिकल नही करवाया जाता है। जी हां! यहां बात हो रही है सरकारी स्कूलों की जहां पर 60 प्रतिशत स्कूलों में न तो साइंस लैब व्यवस्था ठीक है और न ही स्कूलों में कोई प्रैक्टिकल होता है। सूत्रों की माने मो इन बातों पर गौर करते हुए शासन ने सभी स्कूलों में संचालित की जाने वाली लैबों में सुधार किए जाने के निर्देश भी जारी किए थे।

बता दें कि अधिकांश स्कूलों में विद्यार्थियों को प्रैक्टिकल करवाए ही नहीं जाते हैं। इसलिए शासन ने सभी जिले के शिक्षाधिकारियों को माध्यमिक स्कूलों को प्रैक्टिकल लैब की दशा सुधारने के निर्देश दिए हैं। देखा जाए तो शहर के अधिकतर स्कूलों की लैब में धूल फांकते हुए उपकरण मिल जाएंगे। काफी स्कूलों में तो प्रैक्टिकल के लिए केमिकल भी मौजूद नहीं है। वही कुछ में तो लैब बंद ही पड़ी हुई है। विभाग के अनुसार काफी बार ऐसी शिकायतें भी विभाग में की जा चुकी है। जिनमें जिक्र किया गया है कि स्कूलों में विद्यार्थियों को प्रैक्टिकल ही नहीं करवाए जाते हैं।

बस कुछ पैसे लेकर ही प्रैक्टिकल हो जाते हैं। प्रैक्टिकल के नाम पर होती है बस कमाई, सरकारी स्कूलों में प्रैक्टिकल के नाम पर बस कमाई का ही खेल चल रहा है। सूत्रों की माने तो बोर्ड में होने वाले प्रैक्टिकल के लिए भी स्कूलों में विद्यार्थियों से 100 से 200 रुपये वसूले जाते हैं। बदले में बिना किसी सवाल को किए और बिना किसी प्रैक्टिकल को करवाए बस नाम पूछकर ही नंबर दे दिए जाते हैं। शहर के ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में तो विद्यार्थियों को बस पैसे लेकर ही नंबर दे दिए जाते हैं।

हर स्कूल में होनी चाहिए विज्ञान कार्यशाला

नियमानुसार हर स्कूल में साइंस लैब, होम साइंस लैब का होना बेहद आवश्यक हैं। क्योंकि जब भी कोई नया स्कूल बनाया जाता है तो सबसे पहले उसमें विज्ञान कार्यशाला बनाने का जिक्र किया जाता हैं, लेकिन यहां तो स्कूलों में लैब के नाम पर बस धूल फांकते हुए कमरे और धूल फांकते केमिकल जार ही नजर आते हैं। जिन्हें देखकर साफ लगता है कि स्कूलों में कोई प्रैक्टिकल नहीं चलता है। डीआईओएस राजेश कुमार का कहना है कि स्कूलों को प्रैक्टिकल कराने के आदेश दिए जा चुके हैं। अगर कोई स्कूल प्रैक्टिकल नहीं करवाता है, तो संबंधित विद्यालय पर कार्रवाई की जाएगी।

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