Saturday, July 26, 2025
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चंडी देवी मंदिर में पूजा करती थी लंकापति रावण की पत्नी मंदोदरी

  • मंदिर के नाम पर हर साल लगता है मेला नौचंदी
  • हजारों साल पुराना है नौचंदी स्थित चंडी देवी मंदिर का इतिहास

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: नौचंदी स्थित चंडी देवी मंदिर में देवी सभी भक्तों की सच्चे मन से मांगी गई मुरादे पूरी करती हैं। मंदिर में भक्तों का तांता लगा ही रहता है। वहीं, मान्यता है कि इस मंदिर में अगर कोई भी भक्त लगातार 40 दिनों तक दीए जलाता है, तो उसकी मुंह मांगी मुराद जरूर पूरी होती है, यही कारण है कि मंदिर को शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है।

नवरात्र के दिनों में हर वर्ष यहां पर भक्तों की कतारे लगी रहती थीं, लेकिन इस बार कोरोना काल के चलते सावधानियां बरती जा रही हैं। चंडी देवी मंदिर में दूर दराज के क्षेत्रों से भी लोग दर्शन करने आते हैं और मां से मन्नत मांगते हैं।

हजारों साल पुराना इतिहास संजोए है मंदिर

चंडी देवी मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है। बताया जाता है कि इसी मंदिर में लंकापति रावण की पत्नी मंदोदरी पूजा करने आया करती थी। दरअसल, रावण की ससुराल के रूप में भी मेरठ को जाना जाता है। मंदोदरी ने ही इस मंदिर की स्थापना की और यहां पर पूजा करने लगी। इस कारण से भी ये मंदिर अपने आप में ही अलग महत्व रखता है।

पहले तीन दिन का लगता था नवचंडी मेला

नवचंडी देवी मंदिर के नाम पर ही काफी समय पहले यहां पर मेले का आयोजन किया जाता था। जो कि नवरात्र में शुरू के तीन दिन किया जाता था, लेकिन बाद में इस मेले का नाम पविर्तित कर नौचंदी कर दिया गया। अब मेला सिर्फ तीन का नहीं रह गया है। यह मेला कई दिनों तक चलता है। नौचंदी मेला शहर ही नहीं बल्कि दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। वहीं, मेले में आए लोग चंडी देवी मंदिर के भी दर्शन जरुर करते हैं। वहीं, ऐसा भी बताया जाता है कि नौचंदी मेला पहले पशुओं के मेले के नाम से भी जाना जाता था। ये मेला पशुओं के लिए लगाया जाता था, जिसमें लोग अपने घोड़े, बकरी आदि जानवरों को लेकर आते थे।

पीढ़ियों से कर रहे हैं मां की सेवा

मंदिर के पुजारी व समिति के महासचिव पंडित संजय शर्मा ने बताया कि उनकी पीढ़ियां ही इस मंदिर की सेवा कर रही हैं। उनके पिता मुख्य पुजारी पंडित महेंद्र शर्मा मां की आराधना करता हैं, इससे पहले उनके पूर्वज रामचंद्र शर्मा, चंडी प्रसाद, पंडित हजारीलाल शर्मा और खैराती लाल शर्मा ने भी जीवनभर मां की सेवा की है।

नवरात्र: स्कंदमाता का हुआ पूजन, नवरात्र के पांचवें दिन भक्तों ने मां से मांगीं मन्नतें

मां स्कंदमाता का पूजन नवरात्र के पांचवें दिन विधि-विधान के साथ किया गया। भक्तों ने लौंग कपूर के साथ देवी की आराधना की। मान्यता है कि जिन लोगों को संतान प्राप्ति नहीं होता है तो सच्चे मन से मां के इस स्वरूप की आराधना करने से उनको शीघ्र की संतान प्राप्ति होती है। देवी के पांचवें स्वरूप की पूजा हर घर में की गई। मंदिरों में भी सवेरे ही मां का शृंगार कर पूजन किया गया।

सुबह से ही मंदिरों मेें भक्तों का तांता लगना शुरु हो गया, लेकिन कोरना काल के चलते मंदिरों में गाइडलाइंस का पालन किया गया। महिलाओं ने व्रत रखकर मां को प्रसन्न किया और सुबह ज्योति जलाकर सुख समृद्धि की कामना की। जागृति विहार मां मंशा देवी मंदिर, शास्त्रीनगर गोल मंदिर, बाबा औघड़नाथ मंदिर, सदर काली मंदिर, सदर वैष्णो धाम मंदिर आदि में सुबह और शाम को मां की भव्य आरती की गई। मंदिरों से लाइव प्रसारण भी आरती का दिखाया गया। जिससे लोगों ने घर बैठे ही मां के मनमोहक रुप के दर्शन किए।

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