Wednesday, July 3, 2024
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छठ पर्व 2023: मेरठ में महापर्व छठ की धूम, बन रहे बड़े संयोग

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नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक अभिनंदन और स्वागत है। लोक आस्था का महापर्व छठ आज शुक्रवार से नहाय खाए के साथ शुरू हो गया है। पूर्वांचल और खासतौर पर बिहार में छठ पूजा के पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व पर छठ मैया की पूजा के साथ भगवान सूर्य की उपासना की जाती है। महिलाएं बच्चों के स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु के लिए 36 घंटे तक उपवास करती हैं। मेरठ में भी पूर्वांचल के लोग छठ पर्व को धूमधाम से मना रहे हैं।

जानकारी के अनुसार स्नान, उपवास और पीने के पानी (वृत्ता) से दूर रहना, लंबे समय तक पानी में खड़ा होना और प्रसाद (प्रार्थना प्रसाद) और अर्ध्य देना शामिल है। प्रकृति का छठे अंश होने के कारण इस देवी का नाम षष्ठी रखा गया। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार षष्ठी देवी बालकों की रक्षा व आयु प्रदान करती है। स्कंद पुराण में इन्हें ही देवी कात्यायनी कहा गया है।

चार दिनों तक चलती है छठ पूजा
छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाए से होती है। अगले दिन खरना होता है। तीसरे दिन छठ पर्व का प्रसाद बनाया जाता है। छठ पर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। आखिरी दिन उगते सूर्य की पूजा की जाती है।

नहाय खाए तिथि
छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाए के साथ शुक्रवार से शुरू हो गई है। इस दिन सूर्योदय 06:45 बजे और सूर्यास्त शाम 05:27 बजे होगा। व्रती महिलाएं नदी में स्नान के बाद नए वस्त्र धारण कर भोजन ग्रहण करेंगी। इस दिन व्रती के भोजन ग्रहण करने के बाद ही घर के बाकी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं।

दूसरा दिन
खरना छठ पूजा का दूसरा दिन होता है। इस दिन सूर्योदय सुबह 06:46 बजे और सूर्यास्त शाम 05:26 बजे होगा। खरना के दिन व्रती एक समय मीठा भोजन करते हैं। इस दिन गुड़ से बनी चावल की खीर खाई जाती है।

तीसरा दिन
छठ पूजा के तीसरे दिन संझिया घाट को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इससे पहले व्रती सूर्य निकलने से पहले रात को मिश्री डालकर पानी पीते हैं। शाम के समय सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है। भगवान सूर्य देव की उपासना के लिए इस दिन तरह-तरह के पकवान ठेकुआ और मौसमी फल आदि अर्पित किए जाते हैं। डूबते सूर्य को अर्ध्य देने का समय: 19 नवंबर शाम में 5:27 बजे तक।

चौथा दिन
छठ पूजा के चौथे दिन 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। सूर्य देव को अर्घ्य देते समय संतान और परिवार की सुख शांति बनाए रखने की कामना की जाती है। सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है और व्रत का समापन होता है। उगते सूर्य को अर्घ्य देने का समय सूर्योदय सुबह 06:47 बजे होगा। इसके बाद ही 36 घंटे का व्रत समाप्त होता है।

छठ पूजा में बन रहे कई संयोग

17 नवंबर को चतुर्थी तिथि का मान दिन में 11 बजकर 04 मिनट पश्चात पंचमी तिथि, पूर्वाषाढ़ नक्षत्र संपूर्ण दिन भर और रात को दो बजकर 37 मिनट, पश्चात उत्तराषाढ़ है। इस दिन धृतियोग और प्रवर्धमान नामक औदायिक योग है। इसके अतिरिक्त स्थायी योग (जय योग), रवियोग और द्विपुष्कर योग भी है। इस प्रकार इस दिन पांच शुभ योगों की स्थिति बन रही है।

दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी तिथि का मान सुबह नौ बजकर 19 मिनट मिनट, पश्चात षष्ठी तिथि है। इस दिन उत्तराषाढ़ नक्षत्र दिन भर और रात को एक बजकर 22 मिनट तक, इसके बाद श्रवण नक्षत्र और शूल तदुपरि वृद्धि नामक योग है।

तीसरे दिन षष्ठी तिथि सुबह 07 बजकर 24 मिनट तक। इसके पश्चात सप्तमी तिथि है। चौथे दिन धनिष्ठा नक्षत्र और ध्रुव योग और शुभ नामक नामक औदायिक योग है। इस प्रकार सूर्य षष्ठी का महापर्व प्रवर्धमान योग से प्रारंभ होकर शुभ योग में समाप्त हो रहा है।

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