Sunday, April 13, 2025
- Advertisement -

मानसिक समस्याओं से जूझ रहे बच्चे

Sehat 2

चेतनादित्य आलोक

वह बहुत जरूरी है कि बच्चों का स्पोर्ट्स टाइम बढ़ाने और स्क्रीन टाइम घटाने का हरसंभव प्रयास किया जाए, लेकिन जो बच्चे पहले ही एंग्जाइटी और डिप्रेशन का शिकार बन चुके हैं, उन्हें ठीक करने के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाए जाने की जरूरत है।साथ ही, बच्चों कोरियलिस्टिक बनाने… उन्हें जीवन की वास्तविकताओं से अवगत कराने और उनके साथ जीवन के उतार-चढ़ाव को साझा करने की भी आवश्यकता है

यह विडंबना ही है कि खेलने-कूदने और खाने-पीने की आयु में देश के बच्चों और किशोरों में बैचेनी, डिप्रेशन और मानसिक तनाव जैसी समस्याएं आजकल गंभीर से गंभीरतम होतीजा रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) की ‘मेन्टल हेल्थ आॅफ चिल्ड्रन एंड यंग पीपल’ नामक ताजा रिपोर्ट के मुताबिकदुनिया में 10 से 19 वर्ष का प्राय: प्रत्येक सातवां बच्चा किसी-न-किसी प्रकार की मानसिक समस्या से जूझ रहा है। इन समस्याओं में अवसाद, बेचैनी और व्यवहार से जुड़ी समस्याएं शामिल हैं। एक अनुमान के मुताबिक मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी लगभग एक तिहाई समस्याएं 14 साल की उम्र से पहले शुरू हो जाती हैं, जबकि इनमें से आधी समस्याएं 18 वर्ष से पहले सामने आने लगती हैं। तात्पर्य यह कि जब हमारे मासूम बाल्यावस्था से किशोरावस्था की ओर कदम बढ़ना आरंभ करते हैं, सामान्यत: उसी दौरान मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी अलग-अलग समस्याएं उन्हें अपना शिकार बनाना शुरू करदेती हैं।यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार भारतमें 07 बच्चों में से एक बच्चा डिप्रेशन का शिकार है। आंकड़ों की बात करें तो देश के 14 प्रतिशत बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य खराब है। इसी प्रकार, ‘इंडियन जर्नल आॅफ साइकिएट्री’ में वर्ष 2019 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसारभारत में 05 करोड़ से अधिक बच्चे मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ीसमस्याओं से जूझ रहे थे।

इनमें से ज्यादातर बच्चे एंग्जाइटी और डिप्रेशन का सामना कर रहे थे। यूनिसेफ के एक अनुमान के मुताबिक कोरोना महामारी के बाद ये आंकड़े पहले की तुलना मेंकई गुना तक बढ़ गए हैं।डब्ल्यूएचओ के आंकड़े बताते हैं कि पूरी दुनिया में 30 करोड़ से भी अधिकलोग एंग्जाइटी से जूझ रहे हैं और 28 करोड़ लोग डिप्रेशन का सामना कर रहे हैं। विज्ञान आधारित दुनिया भर में प्रसिद्ध जर्नल ‘द लैंसेट साइकिएट्री’ में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार आॅस्ट्रेलिया में 75 प्रतिशत टीनएजर्स एंग्जाइटी और डिप्रेशन से जूझ रहे हैं।वहीं, 10 से 18 वर्ष की आयु के 64 प्रतिशत वयस्कों को तीन से अधिक बार खराब मानसिक स्वास्थ्य का दंश झेलना पड़ा है। विशेषज्ञों के अनुसार किशोरावस्था के दौरान लड़के-लड़कियों में कई प्रकार के हॉर्मोनल और शारीरिक बदलाव होने के कारण उनके सोचऔर व्यवहार में बदलाव आता है। इनके अतिरिक्त, उसी दौरान लड़के-लड़कियोंको बोर्ड परीक्षाओं एवं करियर को लेकर कोर्स सिलेक्शन जैसे दबावों और उहापोह वाली परिस्थितियों से भी गुजरना पड़ता है। ऐसे में, यदि उन्हें घर और विद्यालय में सहयोगी परिवेश नहीं मिले तो ये दबावों और उहापोह वाली परिस्थितियां प्राय: एंग्जाइटी और डिप्रेशन का रूप ले लेती हैं। इसी प्रकार, जो बच्चे लगातार पढ़ाई-लिखाई नहीं करते हैं, वे परीक्षाओं के आने पर अक्सर दबाव में आ जाते हैं।

वहीं, मनोचिकित्सकों का मानना है कि आजकल बच्चों में असफलताओं से निपटने की क्षमता कम होती जा रही है। कभी-कभी यह जेनेरिक भी हो सकता है। इतना ही नहीं, हमारी प्रतिदिन की आदतों में शामिल हो चुके फास्ट फूड, शुगरी ड्रिंक्स और सोशल मीडिया जैसे तत्व भी एंग्जाइटी और डिप्रेशन का कारण बन रहे हैं। वर्ष 2024 में नेशनल लाइब्रेरी आॅफ मेडिसिन (एनएलएम) में प्रकाशित एक अध्ययन में यह बात सामने आई थी कि जंक, अल्ट्रा प्रोसेस्ड एवं फास्ट फूड खाने से व्यक्ति में एंग्जाइटी और डिप्रेशन का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है, जिसका सबसे अधिक खतरा वयस्कों को होता है, क्योंकि फास्ट और अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड के सबसे बड़े उपभोक्ता भी वही होते हैं। ऐसे ही, एनएलएम में 2022 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार चीनी से बने अथवा शुगरी ड्रिंक्स का सेवन भी किशोरों के खराब मानसिक स्वास्थ्य की बड़ी वजह बन रहा है। जाहिर है कि एनर्जी ड्रिंक या कोल्डड्रिंक के नाम पर मिल रहे इस प्रकार के पेय पदार्थ एंग्जाइटी और डिप्रेशन का कारण बन सकते हैं।साइंटिफिक जर्नल फ्रंटियर्स में 2023 में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक जो टीनएजरप्रतिदिन 07 घंटे से अधिक समय तक स्क्रीन पर व्यतीत करते हैं, उन्हें डिप्रेशन का शिकार बनने की आशंका अन्य की तुलना में दोगुने से भी अधिक होती है।

उक्त अध्ययन में बताया गया था कि यदि कोई सोशल मीडिया पर प्रतिदिन एक घंटे बिताता है तो उसव्यक्ति में डिप्रेशन के लक्षण प्रतिवर्ष 40 प्रतिशततक बढ़ जाते हैं। इसी प्रकार, बीएमसी मेडिसिन में 2010 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार जो लड़के-लड़कियां किसी तरह के खेल, शारीरिक व्यायाम या फिजिकल एक्टिविटीज में भाग नहीं लेते, उनके डिप्रेशन का शिकार बनने की आशंका अधिक होती है। उक्त अध्ययन में यह भीपता चला था कि प्रतिदिन एक घंटे शारीरिक व्यायाम या फिजिकल एक्टिविटीज करने से डिप्रेशन एवं एंग्जाइटी का जोखिम 95 प्रतिशत तक कम हो जाता है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि बच्चों का स्पोर्ट्स टाइम बढ़ाने और स्क्रीन टाइम घटाने का हरसंभव प्रयास किया जाए, लेकिन जो बच्चे पहले ही एंग्जाइटी और डिप्रेशन का शिकार बन चुके हैं, उन्हें ठीक करने के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाए जाने की जरूरत है।साथ ही, बच्चों कोरियलिस्टिक बनाने… उन्हें जीवन की वास्तविकताओं से अवगत कराने और उनके साथ जीवन के उतार-चढ़ाव को साझा करने की भी आवश्यकता है, क्योंकिमस्तिष्क का विकास लाइफस्टाइल एवं अनुभव के आधार पर होता है।इसके अलावा प्रतिदिन कम-से-कम एक बार संपूर्ण परिवार को एक साथ भोजन अवश्य करना चाहिए।

ध्यान रहे कि इस दौरान मोबाइल, टीवी आदि इलेक्ट्रजॅनिक उपकरणों से दूरी बनी रहे, क्योंकि इससे परिवार में सामंजस्य बढ़ता है। बच्चों से संबंधितशोध एवं अध्ययन करने वाला प्रसिद्ध शोध संस्थान ‘मरडोक चिल्ड्रेन्स रिसर्च इंस्टीट्यूट’ के तत्वावधान में किए गए इस अध्ययन में यह बताया गया है कि इन मामलों में क्लिनिकल केयर से अधिक जरूरत बच्चों को इन मानसिक बीमारियों से बचाने को लेकर रणनीति बनाए जाने की है। वहीं, डब्ल्यूएचओएवं यूनिसेफ की ‘मेन्टल हेल्थ आॅफ चिल्ड्रन एंड यंग पीपल’ नामक रिपोर्ट में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए समुदाय आधारित मॉडल तैयार करने की बात कही गई है।

janwani address

spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Bijnor News: रविंद्र कुमार बने नजीबाबाद कोतवाल, जय भगवान नूरपुर भेजा 

जनवाणी संवाददाता बिजनौर: एसपी ने कानून व्यवस्था को प्रभारी...

Muzaffarnagar News: पुलिस-परिवहन विभाग की लापरवाही या अवैध उगाही

जनवाणी संवाददाता मुजफ्फरनगर: मुजफ्फरनगर में हाइवे से लेकर आम सड़कों...

Bijnor News: दीवार के नीचे दबने से एक मजदूर की मौत, तीन घायल

जनवाणी टीम बिजनौर/किरतपुर: थाना किरतपुर क्षेत्र के गांव शाहपुर सुक्खा...

Padma Awards: पद्म पुरस्कार 2026 की नामांकन प्रक्रिया शुरू, जानिए लास्ट डेट

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Trump Tariffs: अब चीन ने अमेरिकी उत्पादों पर बढ़ाया टैरिफ, शुल्क बढ़ाकर किया 125%

नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और...
spot_imgspot_img