Thursday, April 17, 2025
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सिटी बस सेवा घाटे का सौदा, हर माह ढाई करोड़ का नुकसान

  • प्रदूषण रहित इलेक्ट्रिक बसों के संचालन में विभाग को हर दिन 3.5 लाख का उठाना पड़ता है नुकसान
  • सीएनजी बसों के रखरखाव के नाम पर हर दिन लुटाए जा रहे हैं लाखों रुपये, सेवा सबसे बदहाल

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: प्रदूषण रहित सेवा के नाम पर इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के लिए 32 रुपये की आय के मुकाबले प्रति किमी 73 रुपये खर्च किए जा रहा हैं। जबकि सीएनजी बसों की बदहाल सेवा के बावजूद संचालन के नाम पर 12 रुपये प्रति किमी का नुकसान उठाया जाता है। इन दोनों प्रमुख बसों के संचालन से नगरीय बस सेवा विभाग को हर महीने 2.45 करोड़ का घाटा वहन करना पड़ता है। इसके बावजूद नागरिकों को समुचित सेवा नहीं मिल पा रही है।

प्रदूषण रहित ट्रांसपोर्ट देने के लिए चलाई गई इस योजना के अंतर्गत वीएसके कंपनी के माध्यम से 50 इलेक्ट्रिक बसें महानगरों में चलाई गई हैं। लोहियानगर में बनाए गए डिपो में इन बसों का रखरखाव, चार्ज करने की व्यवस्था और संचालन का कार्य किया जाता है। जहां से इलेक्ट्रिक बसों को उनके लिए आवंटित मार्गों पर भेजा जाता है। इलेक्ट्रिक बसों के संचालन की स्थिति यह है कि सभी 50 बसों के प्रतिदिन संचालन का लक्ष्य 10 हजार किमी निर्धारित किया गया है। सभी बसें औसतन 90 हजार किमी प्रतिदिन चलकर 27 लाख रुपये प्रतिमाह की आय कर पाती हैं।

इस आय को प्रति बस किमी में जो आंकड़े निकलकर सामने आते हैं, उसके मुताबिक लगभग 30 रुपये प्रति किमी का औसत होता है। जबकि इनके संचालन पर होने वाला खर्च प्रति किमी 72 रुपये से अधिक हो जाता है। इनमें 67.43 रुपये प्रति किमी सेवा प्रदाता कंपनी को दिया जाता है। जबकि ऊपर के साढ़े चार रुपये किमी परिचालक, ईटीएम आदि के लिए खर्च किए जाते हैं। सभी बसों के संचालन से एक दिन में होने वाले घाटे का औसत 3.5 लाख रुपये है। इसे महीने के गुणांक में देखा जाए तो अकेले मेरठ महानगर क्षेत्र में 50 इलेक्ट्रिक बसों के संचालन से 1.75 करोड़ रुपये का घाटा होता है।

वहीं सीएनजी बसों का संचालन सोहराब गेट डिपो के नीलाम वाली भूमि में बनाए गए वर्कशॉप और संचालन कक्षों से श्यामा-श्याम कंपनी के माध्यम से किया जाता है। सीएनजी की औसतन 88 बसों के संचालन की स्थिति यह है कि एक बस से प्रतिदिन 20 रुपये किमी की औसत आय देती है। जबकि सीएनजी बसों के संचालन पर 32 रुपये किमी खर्च हो जाता है। सीएनजी बसों में भी प्रतिदिन 2.3 लाख रुपये के औसत से महीने में लगभग करीब 69.12 लाख रुपये का घाटा उठाना पड़ता है।

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35 अधिकारी-कर्मियों का वेतन घाटे से अलग

मेरठ महानगर सेवा के अंतर्गत संचालित होने वाली बसों के लिए चालकों-परिचालकों के अलावा 35 लोगों का स्टाफ मौजूद है। इनमें एआरएम इलेक्ट्रिक सेवा को मिलाकर कुल पांच लोग लोहियानगर डिपो में सेवारत हैं। जिसमें एक अकाउंटेंट, एक कैशियर, एक फोरमैन और एक अनुसेवक शामिल है। जबकि नियतन के अनुसार लोहियानगर डिपो में 17 लोगों का स्टाफ होना चाहिए। इसके विपरीत सीएनजी और वोल्वो सेवा के लिए 30 लोग रखे गए हैं।

अधिकारियों और कर्मचारियों की इस फौज के बावजूद सीएनजी बसों की बदहाल सेवा सर्वविदित है। इससे इतर तथ्य यह है कि नगरीय सेवा के लिए तैनात 35 लोगों का वेतन उस खर्च से अलग होता है, जो प्रति बस के आंकड़ों के आधार पर ऊपर वर्णित किया गया है। औसतन एक कर्मी का वेतन 15 हजार भी अगर माना जाए, तो 35 लोगों का वेतन प्रतिमाह पांच लाख 25 हजार रुपये होता है।

शनिवार को प्रभारी एमडी/आरएम संदीप कुमार नायक ने सेवा प्रबंधक लोकेश राजपूत के साथ लोहियानगर स्थित इलेक्ट्रिक बस के डिपो का निरीक्षण किया। उन्होंने एआरएम विपिन सक्सेना से बसों के आय-व्यय की जानकारी ली। बसों का चार्जिंग स्टेशन देखते हुए कंकरखेड़ा में प्रस्तावित नए स्टेशन की संभावनाओं पर चर्चा की। उन्होंने बसों के लिए सेवा देने वाली कंपनी के प्रतिनिधियों से भी बात की, तथा बसों की आय बढ़ाने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए।

जम्बूदीप, सरधना से रात आठ बजे तक मिलेंगी बसें

सरधना और जम्बूदीप मार्ग के यात्रियों के लिए यह खबर महत्वपूर्ण हो सकती है। इलेक्ट्रिक बसों के संचालन में परिवर्तन करते हुए इनका शेड्यूल बदला गया है। अब सरधना और जम्बूदीप से मेरठ के लिए जाने वाली आखिरी बस का समय रात आठ बजे कर दिया गया है। इलेक्ट्रिक बसों का संचालन कर रहे एआरएम विपिन सक्सेना ने बताया कि बेगमपुल मेरठ से सरधना के लिए आखिरी बस रात सात बजे तक चलाई जाएगी। जबकि भैंसाली बस अड्डे से जम्बूदीप के लिए छह बजे तक बसों का संचालन होगा। मेरठ से दोनों क्षेत्रों की ओर जाने वाली इन आखिरी बसों को वापस मेरठ के लिए प्रस्थान करना होगा। दोनों ही स्टेशनों से इलेक्ट्रिक बसें रात आठ बजे चलेंगी।

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