Friday, May 30, 2025
- Advertisement -

आॅनलाइन और आॅफलाइन शिक्षा की उलझन

Profile 6

डॉ. विशेष गुप्ता

कोरोना काल ने जिसे सबसे अधिक प्रभावित किया वह शिक्षा व्यवस्था के साथ-साथ पठन-पाठन का स्वरूप रहा है। प्राथमिक स्कूल की शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक भी इस काल में प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकी। परन्तु इस कालखंड़ में आॅनलाइन शिक्षा का ऐसा महिमामंडन किया गया जैसे भारत की परम्परागत शिक्षा अपने नए स्वरूप में आॅनलाइन शिक्षा का ढांचा लेकर स्वदेशी शिक्षा का ही अहसास करा रही हो। आज भी देखने में यह आ रहा कि शिक्षक, छात्र व अभिभावकों ने भी शिक्षा की समस्त समस्याओं का समाधान इस आॅनलाइन शिक्षा को ही मान रहे हैं। अब यहां प्रश्न यह उठता है कि क्या आॅफलाइन शिक्षा को छोड़कर इस आॅनलाइन शिक्षा में छात्र के साथ साथ देश व समाज की सभी समस्याआें का हल मौजूद है। क्या आॅनलाइन शिक्षा आॅफलाइन अथवा कक्षीय शिक्षा का सही विकल्प हो सकता है? क्या आॅनलाइन शिक्षा भारतीय परिवेश की मूल शिक्षा के समानान्तर खड़ी हो सकती है? ये कुछ ऐसे सामयिक प्रश्न हैं जिनका उत्तर समय रहते खोजना समीचीन प्रतीत होता है।

इन प्रश्नों का उत्तर खोजने के लिए हमें शिक्षा के कुछ मूल व प्राथमिक उद्देश्यों को जानना व समझना होगा। यहां हम भारतीय ज्ञान परम्परा में समाहित प्रमुख रुप से शिक्षा के तीन उद्देश्यों की चर्चा करेंगे। इनमें छात्र का व्यक्तित्व और उसका चरित्र निर्माण, उसमें सामाजिक गुणों का सात्मीकरण और ज्ञान का रचनात्मक प्रयोग और उसका विस्तार प्रमुख है। अब देखना यह है कि आॅनलाइन शिक्षा इन उद्देश्यों की पूर्ति किस सीमा तक करती है।

शिक्षा के प्रथम उद्देश्य व्यक्तित्व और चरित्र निर्माण पर दृष्टिपात करने के ज्ञात होता है कि कक्षा शिक्षण द्वारा छात्र को केवल किताबी ज्ञान ही नहीं दिया जाता, बल्कि साथ ही साथ उसके व्यक्तित्व को निखारने और उसके चारित्रिक गुणों के विकास की प्रक्रिया भी निरंतर चलती रहती है। शिक्षा के आॅफलाइन प्रकार में शिक्षक का आचरण और उसके संतुलित व्यवहार के प्रत्यक्ष पहलू भी छात्रों को प्रभावित करते हैं। संस्था के परिसर में विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के छात्रों का आपसी संवाद, बहस, विवेचन तथा तर्क प्रस्तुति इत्यादि छात्र के संतुलित व्यक्तित्व के निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं। संस्था में सम्पन्न होने वाली विभिन्न शिक्षणेत्तर गतिविधियाँ छात्र के व्यक्तित्व को समृद्ध बनाती हंै। आॅनलाइन शिक्षा में गतिविधियां लगभग शून्यता लिये हुए रहती हैं।

इस परिस्थिति में छात्र गूगल अथवा इंटरनेट के अन्य माध्यमों से सैद्धान्तिक ज्ञान तो प्राप्त कर सकता है, लेकिन वहां मानवीय व एकल व्यक्तित्व के निर्माण की प्रक्रिया नगण्य ही रहती है। लगातार आॅनलाइन शिक्षा से छात्र स्वयं के साथ साथ परिवार व समाज से कटते जा रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि सोशल मीड़िया से जुड़ी साइट्स प्रयोग करने के मामले में भारत आज एशिया में तीसरा और विश्व में चौथा देश बन गया है। इनका प्रयोग काने वालों की 85 फीसदी आबादी 8 से 40 आयु वर्ग के बीच है। इससे पता लगता कि छात्रों के सामाजिक कौशल और संतृलित व्यक्तित्व के विकास में आॅनलाइन शिक्षा किस प्रकार एक साधन बन रही है, साध्य नहीं। अगर ऐसा रहा तो शिक्षा का प्रथम लक्ष्य देर-सवेरछात्रों में व्यक्तित्व व चरित्र निर्माण का कार्य अपूर्ण ही रहेगा।

शिक्षा का दूसरा उद्देश्य समाज का कल्याण है, जो पहले लक्ष्य से ही जुड़ा हुआ है। अगर व्यक्ति में सामाजिक जीवन के लिए जरूरी गुण जैसे सहअस्तित्व, सामूहिकता,भ्रात्र भाव,सहिष्णुता व आपसी सद्भाव इत्यादि ठीक से विकसित न हो पाएं तो समाज भौतिक स्तर पर भले ही सम्पन्न हो जाएं, लेकिन उसमें अनेक प्रकार की विसंगियाँ रहेगीं और जो विविध प्रकार की सामाजिक समस्याओं को जन्म देंगीं। शिक्षा का तीसरा उद्देश्य ज्ञान का विकास भी आॅनलाइन पद्धति में एक सीमा तक ही संभव है। उसमें पुस्तकीय सैद्धांतिक ज्ञान तो हांसिल होगा, लेकिन व्यावहारिक ज्ञान से अपेक्षाकृत छात्र वंचित ही रहेंगें। देखा जाय तो विज्ञान, तकनीक और चिकित्सा जैसे विषयों की पढ़ाई तो इन विषयों के व्यावहारिक ज्ञान के बिना न तो संभव होगी और न ही पूर्णता प्राप्त करेगी। छात्रों के ज्ञान के परीक्षण में भी आॅनलाइन पद्धति पूरी तरह से सफल नहीं है। आॅनलाइन शिक्षा में आमतौर पर वस्तुनिष्ठ प्रारूप में परीक्षाएं होती हैं। इसमें आॅफलाइन परीक्षा की तरह विद्यार्थियों के संपूर्ण विवेचन और समालोचनात्मक दृष्टिकोण का सम्यक परीक्षण नहीं हो पाता।

शिक्षा के अन्य उद्देश्यों में एक अन्य उद्देश्य रोजगारपरक शिक्षा भी है। परंतु यहां कहना न होगा कि विशुद्ध आॅनलाइन डिग्री से जुड़ी शिक्षा इसमें ज्यादा कारगर सिद्ध नहीं होगी। मल्टीटास्किंग के वर्तमान कालखंड में विशुद्ध सैद्धान्तिक ज्ञान से ज्यादा व्यावहारिक ज्ञान और सामाजिक कौशल पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जो आॅनलाइन में कमाबेश आधा-अधूरा ही रह जाता है। तथ्य बताते हैं कि अमेरिका व यूरोप के देशों में एक दशक से भी अधिक पूर्व से ही जीवन का हर क्षेत्र आॅनलाइन व्यवस्था से संचालित है। वहां वैश्विक स्तर पर शिक्षा प्राप्ति के लिए फीस का बहुत बड़ा ढांचा होने के बावजूद भी विद्यार्थियों की यहीं इच्छा रहती है कि वे कक्षा में बैठकर ही पढ़ाई करें, ताकि शिक्षक के साथ साथ कक्षा में अपने पीयर समूह से भी आपसी संवाद के माध्यम से अपने मन की बात कर सकें।

अब प्रश्न उठता है कि क्या आॅनलाइन शिक्षा को बिल्कुल खारिज कर दिया जाए? नहीं ऐसा नहीं किया जा सकता। निश्चित ही यह शिक्षा उन कामकाजी लोगों के लिए बहुत लाभकारी है, जिनके लिए नियमित शिक्षा प्राप्त करना एक कठिन कार्य है। नए तरह के रोजगार पाने अथवा प्रमोशन में आॅनलाइन शिक्षा से जुड़े प्रोग्राम उनके लिए बहुत सहायक सिद्ध होंगे।

विभिन्न कार्यक्रमों में परम्परागत शिक्षा प्राप्त कर रहे नियमित विद्यार्थियों के लिए भी आॅनलाइन कोर्स उनके ज्ञान-कौशल में बृद्धि कर सकेंगे। इसके अतिरिक्त निर्धन या सुदूर इलाकों के छात्रों के लिए जिन्हें बहुत अच्छे शिक्षक या समृद्ध पुस्तकालय उपलब्ध नहीं है, उनके लिए श्रेष्ठ संस्थानों द्वारा तैयार की गई आॅनलाइन अध्ययन सामग्री वरदान सिद्ध होगी।

फिर भी आॅनलाइन शिक्षा सदैव के लिए क्लासरूम पढ़ाई का विकल्प नहीं हो सकती। कोरोना काल से बाहर आने के बाद एक बार यह तथ्य धरातल पर आ गया है कि आनलाइन शिक्षा छात्रों के स्वास्थयपर बुरा प्रभाव डाल रही है। आॅनलाइन शिक्षा में न तो शिक्षक का अनुकरणीय व्यक्तित्व ही सामने है और न ही समय का कोई प्रबंधन है। साथ ही आॅनलाइन शिक्षा से जुड़े क्लास में शिक्षक की उपस्थिति न होने से छात्रों में एकाग्रता का निरंतर अभाव हो रहा है। इसके साथ-साथ कक्षा में शिक्षक और अपने पीयर समूह से संवाद न होने से छात्रों में श्रेष्ठ प्रस्तुतिकरण का अभाव और आत्मविशवास में कमी का भी अनुभव हो रहा है।

इन सभी तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए कहा जा सकता है कि छात्रों को आनलाइन शिक्षा की तुलना में आॅफलाइन शिक्षा के प्रतिमान को अधिक महत्व दिए जाने की आवश्यकता है। अगर इस द्वन्द से बचना है तो छात्रों को आॅनलाइन शिक्षा के विकल्प को वहीं तक चयन करना चाहिए जहॉ तक उन्हें सैद्धान्तिक ज्ञान की प्राप्ति हो। अन्यथा की स्थिति में आॅफलाइन शिक्षा का विकल्प ही आपको इस द्वन्द से बाहर निकालने में सहायक सिद्ध होगा।

janwani address 3

spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Saharanpur News: देवबंद कोतवाली पुलिस ने मुठभेड़ के बाद दो बदमाशों को पकड़ा,लूट का माल बरामद

जनवाणी संवाददातासहारनपुर: देवबन्द कोतवाली पुलिस ने शातिर लूटेरो के...

Delhi-NCR और उत्तर भारत में मौसम का मिजाज बदला, IMD ने जारी किया ऑरेंज अलर्ट

नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और...
spot_imgspot_img