Tuesday, May 27, 2025
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एमफिल को लेकर असमंजस की स्थिति, छात्र परेशान

नई शिक्षा नीति में एमफिल कोर्स को किया गया है खत्म

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: नई शिक्षा नीति में एमफिल कोर्स बंद होने और केंद्र व राज्य सरकार द्वारा इसे लागू करने की तैयारी के बीच चौधरी चरण सिंह विवि सत्र 2020-21 के विद्यार्थियों में असमंजस की स्थिति बन गई है। क्योंकि, विवि की ओर से नई शिक्षा नीति के क्रम में अगले सत्र में एमफिल कोर्स को लेकर कुछ स्पष्ट नहीं किया है।

ऐसे में विद्यार्थियों को डर है कि जब कोर्स बंद कर दिया गया है और ऐसे में वह डिग्री लेकर निकलेंगे तो उसकी क्या वैधता होगी। विद्यार्थियों के अनुसार नई शिक्षा नीति जारी हो चुकी है, ऐसे में प्रस्तावित बदलाव आगामी सत्र से लागू होना है।

बता दें कि विवि व उससे संबंधित कॉलेजों में 22 विषयों में एमफिल कोर्स में प्रवेश होने है। विवि आनलाइन आवेदन भी ले चुका है। 1258 छात्रों ने एमफिल के लिए विभिन्न विषयों में आवेदन किया है।

जिस समय आवेदन लिए जा रहे थे, उस समय नई शिक्षा नीति लागू नहीं हुई थी। आवेदन होने के बाद नई शिक्षा नीति आई और उसमें इसे बंद करने का प्रस्ताव दिया गया है।

विवि प्रशासन की माने तो शासन से जल्द ही इस संबंध में निर्देश आना वाला है। अगर, एफफिल बंद होना होगा तो एंट्रेस भी कैसिंल किया जाएगा।

विवि प्रति कुलपति प्रो. वाई विमला का कहना है कि इस संबंध में गाइडलाइन आने वाली है। उसके बाद ही इसका रास्ता निकाला जाएगा। किसी छात्र की मेहनत बेकार नहीं जाएगी।

इनका कहना है

Varsha
वर्षा का कहना है कि एमफिल करने के बाद आसानी से छात्र-छात्राएं पीएचडी में पीएचडी में प्रवेश ले लिया करते थे, लेकिन इसे बंद करने से काफी छात्रों को परेशानी हो जाएगी।

Akanksha
आकांक्षा त्यागी का कहना है कि एमफिल होना जरूरी है। एमफिल खत्म करने से पहले सरकार सुनिश्चित करे कि स्नातक चौथे वर्ष और स्नातकोत्तर में शोध की थोड़ी ट्रेनिंग हो जाए।

Rahul Verma
राहुल वर्मा का कहना है कि एमफिल का महत्व उतना अधिक नहीं है जितना पीएचडी का। एमफिल करने के बाद भी छात्र पीएचडी के लिए ही नामांकन कराता है।

Navneet
नवनीत कोहली कहना है कि मैं एमफिल कर चुकी हूं लेकिन नई शिक्षा नीति में इस कोर्स को बंद करने का फैसला लिया गया है ऐसे में जिन्होंने एंट्रेंस के लिए आवेदन किए हैं उनका क्या होगा यह भी एक सोचनीय विचार है।

Anand
आनंद प्रकाश सिद्धार्थ का कहना हैं कि एमफिल हटाने के निर्णय को मैं उचित नहीं मानता न केवल सोशल साइंस के विषय बल्कि अन्य विषयों के छात्र सीधे एमए करके यदि शोध करने के लिए आते हैं तो उनको रिसर्च मेथोडोलॉजी में दिक्कत होती है। एमफिल उनको बेहतर शोध के लिए तैयार करता है। एमफिल को खत्म करने का फैसला गलत है। एमफिल में शोधार्थी की ट्रेनिंग हो जाती है, वह शोध करना सीखता है। इसलिए भारत जैसे देश में, जहां शोध का स्तर काफी खराब है।

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