नई शिक्षा नीति में एमफिल कोर्स को किया गया है खत्म
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नई शिक्षा नीति में एमफिल कोर्स बंद होने और केंद्र व राज्य सरकार द्वारा इसे लागू करने की तैयारी के बीच चौधरी चरण सिंह विवि सत्र 2020-21 के विद्यार्थियों में असमंजस की स्थिति बन गई है। क्योंकि, विवि की ओर से नई शिक्षा नीति के क्रम में अगले सत्र में एमफिल कोर्स को लेकर कुछ स्पष्ट नहीं किया है।
ऐसे में विद्यार्थियों को डर है कि जब कोर्स बंद कर दिया गया है और ऐसे में वह डिग्री लेकर निकलेंगे तो उसकी क्या वैधता होगी। विद्यार्थियों के अनुसार नई शिक्षा नीति जारी हो चुकी है, ऐसे में प्रस्तावित बदलाव आगामी सत्र से लागू होना है।
बता दें कि विवि व उससे संबंधित कॉलेजों में 22 विषयों में एमफिल कोर्स में प्रवेश होने है। विवि आनलाइन आवेदन भी ले चुका है। 1258 छात्रों ने एमफिल के लिए विभिन्न विषयों में आवेदन किया है।
जिस समय आवेदन लिए जा रहे थे, उस समय नई शिक्षा नीति लागू नहीं हुई थी। आवेदन होने के बाद नई शिक्षा नीति आई और उसमें इसे बंद करने का प्रस्ताव दिया गया है।
विवि प्रशासन की माने तो शासन से जल्द ही इस संबंध में निर्देश आना वाला है। अगर, एफफिल बंद होना होगा तो एंट्रेस भी कैसिंल किया जाएगा।
विवि प्रति कुलपति प्रो. वाई विमला का कहना है कि इस संबंध में गाइडलाइन आने वाली है। उसके बाद ही इसका रास्ता निकाला जाएगा। किसी छात्र की मेहनत बेकार नहीं जाएगी।
इनका कहना है
वर्षा का कहना है कि एमफिल करने के बाद आसानी से छात्र-छात्राएं पीएचडी में पीएचडी में प्रवेश ले लिया करते थे, लेकिन इसे बंद करने से काफी छात्रों को परेशानी हो जाएगी।
आकांक्षा त्यागी का कहना है कि एमफिल होना जरूरी है। एमफिल खत्म करने से पहले सरकार सुनिश्चित करे कि स्नातक चौथे वर्ष और स्नातकोत्तर में शोध की थोड़ी ट्रेनिंग हो जाए।
राहुल वर्मा का कहना है कि एमफिल का महत्व उतना अधिक नहीं है जितना पीएचडी का। एमफिल करने के बाद भी छात्र पीएचडी के लिए ही नामांकन कराता है।
नवनीत कोहली कहना है कि मैं एमफिल कर चुकी हूं लेकिन नई शिक्षा नीति में इस कोर्स को बंद करने का फैसला लिया गया है ऐसे में जिन्होंने एंट्रेंस के लिए आवेदन किए हैं उनका क्या होगा यह भी एक सोचनीय विचार है।
आनंद प्रकाश सिद्धार्थ का कहना हैं कि एमफिल हटाने के निर्णय को मैं उचित नहीं मानता न केवल सोशल साइंस के विषय बल्कि अन्य विषयों के छात्र सीधे एमए करके यदि शोध करने के लिए आते हैं तो उनको रिसर्च मेथोडोलॉजी में दिक्कत होती है। एमफिल उनको बेहतर शोध के लिए तैयार करता है। एमफिल को खत्म करने का फैसला गलत है। एमफिल में शोधार्थी की ट्रेनिंग हो जाती है, वह शोध करना सीखता है। इसलिए भारत जैसे देश में, जहां शोध का स्तर काफी खराब है।