- देशभर के टोल पर सरकार सुविधा देने के लिए सख्त, लेकिन सिवाया टोल पर परेशानी ही परेशानी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: एनएच- 58 स्थित सिवाया टोल प्लाजा पर फास्टैग लाइन तो शुरू कर दी गई है। लेकिन इन लाइनों पर जाम ही लगा रहता है। उसका मुख्य कारण है कि इन फास्ट टैग लाइनों पर फास्टैग नियमित रुप से काम नही क रता है। बल्कि अगर कोई यात्री कैश लाइन पर भीड़ होने के कारण अन्य लाइनों से निकलता है तो टोल अधिकारी उस पर यह कहकर दो गुणा चार्ज वसूलते है कि वह फास्टैग लाइन से गुजरा है।
कैश लाइन से गुजरना था। लेकिन फास्टैग लाइन तो नियमित रुप से सुचारु ही नही रहती है तो ऐसी स्थिति में आखिर कैसे दो गुणा टोल वसूला जा सकता है। यह प्रश्न हाइवे से गुजरने वाले यात्रियों को परेशानी में डाल रहा है।
टोल प्लाजा पर नियमित रुप से यात्रियों को सुविधा देने के लिए देश भर के टोल पर सरकारों के सख्त निर्देश है। लेकिन देश का हाइवे पर स्थित सिवाया टोल प्लाजा ऐसा पहला प्लाजा है। जो फास्टैग की सुविधा देने की बाते तो कर रहा है। लेकिन सुविधा सिर्फ हवा में ही दी जा रही है। ऐसे में यात्रियों को आए दिन फास्टैग की परेशानी उठानी पड़ती है।
अपने फास्टैग को चालू कराने के लिए दिन भर प्लाजा पर ही लंबी लाइने लगी रहती है। विभिन्न कंपनियों के फास्टैग चालू कराने के लिए बाकायदा स्टाल भी लगाए गए है। लेकिन यह स्टाल सिर्फ सुविधा देने के बजाए असुविधा ही दे रहे है। अब देखना है कि फास्टैग की सुविधा किस हद तक यात्रियों को लाभ देगी।
आखिर क्यों करते हैं मार्को लाइन कंपनी के कर्मचारी अभद्रता
मार्को लाइन के कर्मचारियों द्वारा अक्सर टोल पर श्ुाल्क वसूलने को लेकर आए दिन विवाद होना लाजिमी हो गया है। मार्को लाइन के कर्मचारी आखिर कब तक अभद्रता करते रहेगें। इनके खिलाफ आखिर क्यो कार्रवाई नही करते टोल के आला अधिकारी। एनएचएआई के परियोजना निदेशक तक भी बार-बार शिकायत आने के बाद भी चुप्पी साधे हुए है। आखिर क्या कारण है।
क्या कहना है इनका
मार्को लाइन कंपनी के कर्मचारियों द्वारा अभद्रता करने का प्रकरण उनके संज्ञान में आया है। वह इसकी जांच कराएगें और सख्त कार्रवाई कराएगें। टोल पर किसी को अभद्रता करने का कोई अधिकार नही है।
– डीके चतुर्वेदी परियोजना निदेशक एनएचएआई।
टोल पर किसी भी तरह की अभद्रता बर्दाश्त नही की जाएगी। अगर मार्को लाइन के कर्मचारी इस तरह की अभद्रता कर रहे है तो जांच कराकर कार्रवाई कराई जाएगी। -वैभव शर्मा, जीएम, क्यूब हाइवेज कंपनी
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