Thursday, July 17, 2025
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दीक्षांत समारोह: 34 छात्रों को पीएचडी की उपाधि

  • शोभित विवि में केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला को डीलिट की मानद उपाधि से किया गया विभूषित

जनवाणी संवाददाता |

मोदीपुरम: शोभित विश्वविद्यालय में 13वें दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया। दीक्षांत समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला, केंद्रीय राज्य मंत्री डा. संजीव बालियान, कुलाधिपति कुंवर शेखर विजेंद्र, विशिष्ट अतिथि नाइस सोसाइटी के चेयरमैन डा. शोभित कुमार, विशेष अतिथि सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने गणेश वंदना व मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके किया।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एपी गर्ग ने अतिथियों का स्वागत किया और विवि की प्रगति आख्या प्रस्तुत की। कुलपति प्रो. एपी गर्ग ने सभी उपाधि प्राप्तकर्ताओं को दीक्षा की शपथ दिलाई। दीक्षांत समारोह केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने वाले 41 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किए। जिसमें 21 छात्राएं व 20 छात्र शामिल रहे।

17 15

इसके अलावा पीएचडी के 34 छात्रों, जिसमें 19 छात्राएं तथा 15 छात्रों व अन्य पाठ्यक्रमों में लगभग 689 छात्रों को उपाधि प्रदान की गई। 13वें दीक्षांत समारोह में विवि के कुलाधिपति कुंवर शेखर विजेंद्र ने केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला को डीलिट की मानद उपाधि से विभूषित किया। सांसद राजेंद्र अग्रवाल, सांसद डा. संजीव बालियान ने कहा कि जिस तरह मां बच्चों का पोषण करती है, विवि भी राष्ट्र निर्माण के लिए शिक्षा के द्वारा बच्चों को संपोषित करता है।

पहले बहुत धैर्य के साथ एवं समय लेकर कार्य किया जाता था, लेकिन अब लोग काफी जल्दी में रहते हैं। कहा कि शिक्षा का अपना बहुत बड़ा महत्व है, आप चाहे नौकरी करो, अपना रोजगार करो या राजनीति में जाओ, हर जगह शिक्षा अपना एक अलग महत्व रखती है। मुख्य अतिथि पुरुषोत्तम रुपाला ने कहा कि कभी भी स्थिर नहीं होना है, क्योंकि जीवन में जो एक बार स्थिर हो जाता है, वह नष्ट हो जाता है। उन्होंने कहा कि देश में रुद्राक्ष पर भी कार्य हो रहा है।

रुद्राक्ष पर कार्य कर रही छात्रा शिवा शर्मा को उपाधि देने का सौभाग्य भगवान सोमनाथ ने उन्हें दिया। कहा कि शोध कार्य रचनाओं एवं विद्याओं को सूचीबद्घ कर उन पर शोध होने चाहिए। रुद्राक्ष की तरह तुलसी पर भी कार्य करें। विवि के पुरातन छात्र रुचित गर्ग की चर्चा करते हुए कहा कि विदेश की भारी-भरकम पैकेज की नौकरियां छोड़कर वापस अपने देश में आकर किसानों के बीच कार्य कर रहे हैं और उनकी फसल की खरीद फरोख्त को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उचित दाम दिलवा रहे हैं।

विवि के संरक्षक एवं नाइस सोसाइटी ट्रस्ट के चेयरमैन डा. शोभित कुमार ने पुरुसोत्तम रुपाला को स्मृति चिन्ह भेंट किया। इस मौके पर डा. गणेश भारद्वाज, प्रो. डा. रंजीत सिंह, डा. तरुण शर्मा, डा. मो. इमरान, प्रो. डा. अभिषेक डबास, रमन शर्मा, डा. कुलदीप कुमार, डा. नेहा वशिष्ठ, डा. दिव्या प्रकाश, डा. निशांत पाठक, राज किशोर सिंह, मृदुल वैश्य, नेहा भारती, डा. संदीप कुमार, डा. निधि त्यागी, डा. नेहा यजुवेर्दी, डा. पूनम देवदत्त, डा. अनिकेत कुमार, मनीष कुमार, विष्णु दत्त शर्मा, डा. आरके जैन, पवन कुमार, अभिनव पाठक आदि मौजूद रहे।

बोले-छात्र-छात्राएं

छात्रा रितिका उज्ज्लायन ने बताया कि वह मोदीपुरम में रहती है और उन्हें बीएससी बायोटेक में गोल्ड मेडल प्राप्त किया है। उनके पिता निरंकार सिंह पोस्ट आॅफिस में कार्य करते हैं। मां सुमन गृहिणी है। वर्तमान में वह सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विवि से एमएससी कर रही है। उनका सपना वैज्ञानिक बनना है।

बीएससी इन बायोमेडिकल में गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाली शिवानी शर्मा ने बताया कि वह जागृति में रहती है। उनके पिता माया प्रसाद शर्मा प्राइवेट शिक्षक है। मां चेतना शर्मा गृहिणी है। वह वैज्ञानिक बनना चाहती है।

19 16

गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाली अपराजिता अस्थाना पुत्री श्रीकांत अस्थाना ने बताया कि इस सफलता के पीछे उनकी मां सबसे बड़ा हाथ है। उन्हें पूरी तरह अपनी मां का समर्थन मिला। पिता श्रीकांत अस्थाना भी उनकी सहायता करते थे। वह वर्तमान में हापुड़ जिले के एक स्कूल में शिक्षिका है और वैज्ञानिक बनना चाहती है।

उपाधि लेते ही आंखें हुई नम

शोभित विवि की शिक्षिका रही बीना रावत का निधन हो गया। उन्होंने शोभित विवि से पीएचडी पूरी की। बृहस्पतिवार को दीक्षांत समारोह में बीना रावत की 11 वर्षीय बेटी तृषा उपाधि लेने पहुंची। वह मौसी के साथ उपाधि लेने गई। उपाधि लेते हुए तृषा की आंखे मां को याद कर नम हो गई। तृषा ने बताया कि पिता दिल्ली में आईटी में इंजीनियर है और वह मौसी के साथ राजकमल पार्क में रहती है।

इसके अलावा कोरोना काल में कोरोना में एडीशनल चीफ सेकेट्री आईएएस एसोसिएशन व राजस्व परिषद के अध्यक्ष दीपक त्रिवेदी का निधन हो गया था। उनकी पीएचडी पूरी होने के बाद उनकी पत्नी डा. नीलिमा त्रिवेदी उपाधि लेने पहुंची।

पुरानी पद्धति पर होगा लौटना: रुचित गर्ग

शोभित विवि में गुरुवार को आयोजित हुए 13वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुए रुचित गर्ग मूलरूप से लखनऊ के रहने वाले हैं। उन्होंने लगभग 15 देशों का भ्रमण किया है। उनका कहना है कि 2001 में मास्टर्स की डिग्री ली और हैदराबाद में माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में नौकरी शुरू कर दी। उनका बेहतर काम देख कंपनी ने उन्हे 2008 में अमेरिका भेज दिया। अमेरिका में जाने के कुछ दिन बाद नौकरी छोड़ दी और अपना काम शुरू कर दिया।

2019 में रुचित गर्ग अमेरिका छोड़कर वापस भारत लौट आए। अब वह छोटे-छोटे किसानों एक प्लेट फार्म पर लाने के लिए उनकी बेहतरी के लिए कार्य कर रहे है। जनवाणी से बातचीत के दौरान गर्ग ने बताया कि छोटे किसानों को वह संगठित कर रहे हैं। ऐसा होने से मुनाफा किसानों को मिल रहा है। बीज खाद सस्ते में किसानों को उपलब्ध हो रहा है और किसानों के प्रोड़ेक्ट भी बिक रहे है। लागत कम और उत्पादन भी बढ़ रहा है।

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