Sunday, July 13, 2025
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केरल में फिर फटा ‘कोरोना बम’, 51 दिनों में 20 हजार से अधिक केस

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: देशभर में वैसे तो कोरोना के नए मामले घट रहे हैं लेकिन केरल के कारण सरकार की नींद एक बार फिर उड़ गई है। मंगलवार को केरल में कोरोना के 22 हजार 129 नए मामले आए हैं। केरल में 25 जुलाई को 17,466 और 26 जुलाई को 11,586 मामले मिले थे।

इससे पहले 29 मई को 23,513 लोग कोरोना संक्रमित हुए थे। पिछले 51 दिनों में पहली बार किसी राज्य में कोरोना के 20 हजार से ज्यादा मामले एक दिन में मिले हैं

अभी जितने भी केस आ रहे हैं उसमें 25 से 30 फीसदी केस इसी राज्य से हैं। राज्य में जांच संक्रमण दर फिर से 12 फीसदी के पार हो गई है। जबकि पिछले सप्ताह यह 10 से 11 फीसदी के बीच थी। 15 जून के बाद से राज्य में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित पाए जा रहे हैं।

राज्य की 3.5 करोड़ आबादी में से अब करीब 30 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि महाराष्ट्र के साथ-साथ  केरल में इस वक्त देश में सबसे ज्यादा कोरोना के मरीज सामने आ रहे हैं।

केस जल्दी कम होने के आसार नहीं 

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने मंगलवार को प्रेस कांफ्रेस में कहा कि देश के 22 जिलों में पिछले चार सप्ताह के दौरान संक्रमण में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। इनमें केरल के 7 जिले हैं। इन्हीं बातों ने सरकार और स्वास्थ्य विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया है।

जबकि कोरोना की पहली लहर में इस महामारी से निबटने में केरल सरकार की हर तरफ वाहवाही हुई थी। भारतीय जनता पार्टी ने केरल सरकार पर कोरोना को लेकर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि केरल में केस  के जल्दी कम होने के आसार नहीं है।

पहली और दूसरी लहर में भी यही ट्रेंड था

केरल में पहली और दूसरी लहर के दौरान भी ऐसा ही ट्रेंड देखा गया कि जब भारत के दूसरे राज्यों में कोरोना के केस कम हो रहे थे तब केरल में बढ़ रहे थे। उदाहरण के लिए पहली लहर के दौरान 11 सितंबर, 2020 को भारत में जब कोरोना के कुल 96 हजार नए मामले थे, उस समय केरल में नौ हजार नए केस मिले थे। जनवरी में जब पहली लहर थी तब 19 जनवरी, 2021 को भारत के कुल 10 हजार नए केस में से चार हजार मामले अकेले इसी राज्य से थे।

ऐसा ही ट्रेंड कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देखने को मिला। छह मई, 2021 को देश भर में 4.12 लाख नए मामले सामने थे, जिनमें केरल की भागीदारी 10 फीसदी थी। हालांकि इस दौरान मृत्युदर 0.3 फीसदी रही, जो देश में सबसे कम था। वहीं एक साल में राज्य ने खुद को ऑक्सीजन उत्पादन में भी आत्मनिर्भर बना लिया और यहां ऑक्सीजन से कोरोना मरीजों की मौत की खबरें नहीं आई।

क्या है वजह

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के केरल के सचिव डॉ. गोपीकुमार पी ने बताया कि  राज्य की 30 से 35 फ़ीसदी आबादी को इम्युनिटी मिल चुकी है, जबकि 65 फीसदी आबादी को अभी संक्रमण का ख़तरा है। उनके मुताबिक पहली लहर के दौरान अगर परिवार के किसी एक शख़्स को कोरोना होता था, तो परिवार के दूसरे लोग संक्रमित नहीं होते थे, लेकिन दूसरी लहर में डेल्टा वेरिएंट के चलते संक्रमण की गति बढ़ गई है।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के हाल में किए गए चौथे दौर के सीरो सर्वे के यह देखा गया कि केरल में अभी 40 से 45 फीसदी लोगों में ही एंटीबॉडी बनी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की नेशनल कोविड टास्क फोर्स टीम के सदस्य डॉ. एनके अरोड़ा का मानना है।

दरअसल केरल में अभी भी लोगों में संक्रमण का प्रसार नहीं हुआ है। यही वजह है कि ज्यादातर लोगों में अब संक्रमण फैल रहा है। डॉ. अरोड़ा का कहना है या तो ज्यादातर लोगों में संक्रमण फैलकर उनके अंदर एंटीबॉडी बननी शुरू हो जाएगी या फिर ज्यादा से ज्यादा लोग वैक्सीन लगवा कर खुद को सुरक्षित कर सकेंगे।

चौथा सीरो सर्वे के मुताबिक उत्तर भारत के राज्यों में 80 से 90 फीसदी लोगों में इस वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बन चुकी है। महाराष्ट्र और केरल में लगातार बढ़ रहे मामलों को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में यह जानने के लिए शोध किया था क्या इन दोनों राज्यों में वायरस का कोई नया स्वरूप तो सामने नहीं आया है।

इस शोध को करने वाली टीम के सदस्यों का कहना है कि वायरस के नए स्वरूप का फिलहाल कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन यह बात जरूर पता चली है कि लोगों में अभी भी संक्रमण का प्रसार उस तेजी से नहीं हुआ जिस तेजी से पूरे देश में हुआ था।

बकरीद में जुटी भीड़ भी जिम्मेदार

कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच केरल सरकार 24 और 25 जुलाई को संपूर्ण लॉकडाउन लगाने पर मजबूर हुई। दरअसल बकरीद के बाद यहां मामले बढ़ने लगे। इसके लिए बकरीद की खरीदारी करने के लिए बाजार में जुटी भीड़ को भी जिम्मेदार माना जा रहा है।

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने संक्रमण बढ़ने के डर से कांवड़ यात्रा पर रोक लगा दी। जबकि तुष्टीकरण के कारण राज्य सरकार ने केरल में बकरीद में भीड़ जुटने दी। उन्होंने राज्य सरकार पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है।

बकरीद से पहले संक्रमण के उच्च दर वाले इलाकों में लॉकडाउन की पाबंदियों में ढील देने के राज्य सरकार के फैसले को उच्चतम न्यायालय ने भी अनुचित बताया था। केरल में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच राज्य सरकार ने बकरीद मनाने के लिए 18 से 20 जुलाई तक तीन दिनों के लिए कोरोना प्रतिबंधों में ढील दी थी।

राज्य सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि ये बड़ी हैरान करने वाली बात है कि राज्य में मेडिकल इमरजेंसी है और राज्य सरकार लोगों के जान के साथ खेल रही है। हालांकि कोर्ट ने सरकार के फैसले पर कोई रोक नहीं लगाई।

राज्य में बकरीद 21 जुलाई को मनाया गया और बकरीद के मौके पर खरीदारी के लिए बाजार में भारी भीड़ देखी गई थी। जबकि बकरीद के लिए खासतौर पर लॉकडाउन में दी गई छूट को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी सरकार को चेतावनी दी थी।

कोरोना केस बढ़ने की तीसरी वजह कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की कमी

राज्य में कोरोना केस बढ़ने की तीसरी बड़ी वजह कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग पर पूरा ध्यान नहीं देने को बताया जा रहा है। जिसके कारण मामले बढ़े हैं। इसके जरिए सरकार संक्रमण से पीड़ित लोगों के संपर्कों का पता लगाती है।  यहां ध्यान देने वाली बात है कि केरल में अब तक किए गए कुल परीक्षणों में से केवल 35फीसदी ही आरटी-पीसीआर टेस्ट हुआ है, जबकि पूरे देश  48फीसदी लोगों का आरटी-पीसीआर टेस्ट हो चुका है।

वैक्सीनेशन बढ़ने से लोग लापरवाह हुए

केरल के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक राज्य में 18 साल से अधिक उम्र की 50 फीसदी आबादी को टीके का पहला डोज मिल चुका है, जबकि वैक्सीन की दोनों डोज 19.5 फीसदी लोग लगा चुके हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी मानते हैं कि टीकाकरण बढ़ने के कारण टीके लगवा चुके लोगों में एक धारणा बन जाती है कि अब उन्हें कोरोना नहीं होगा और इस कारण लापरवाही बढ़ जाती है।

टास्क फोर्स ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को अवगत कराया है कि जिन राज्यों में न सिर्फ केस ज्यादा आ रहे हैं, बल्कि बीते कुछ दिनों में पॉजिटिविटी रेट बढ़ा है वहां पर सघन अभियान चलाने की आवश्यकता है। इसके अलावा ऐसे राज्यों से दूसरे राज्यों में आने जाने- वालों की निगेटिव आरटीपीसीआर रिपोर्ट भी जरूरी की जाए।

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