- वेंटिलेटर बेड के लिए लगवाई जा रही वीआईपी सिफारिशें
- नॉन कोविड के साथ आईसीयू में रखे जा रहे कोरोना संक्रमित
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: बेलगाम कोरोना के चलते मेडिकल व दूसरे सरकारी अस्पतालों में बेड की कमी के चलते संक्रमितों के परिजन प्राइवेट अस्पतालों में धक्के खा रहे हैं। हालात की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक-एक बेड के लिए परिजन कोई भी रकम देने को तैयार हैं। बेड के नाम पर इमरजेंसी सरीखे हालात हैं।
मेरठ ही नहीं बल्कि दिल्ली व आसपास से भी बड़ी संख्या में संक्रमित मेरठ आ रहे हैं। शहर के ऐसे बडे अस्पताल जहां कोरोना संक्रमितों का घोषित या अघोषित रूप से इलाज किया जा रहा है, वहां बेड के नाम पर नो वेकेन्सी कर दी गयी है।
जनवाणी संवाददाता ने जमीनी हकीकत का पता करने के लिए सोमवार को तीमारदार बनकर शहर के चार बडे अस्पतालों में गया। वहां बताया गया कि मरीज की आरटीपीसीआर संक्रमित आयी है। क्या वेंटिलेटर बेड उपलब्ध है। जिन चार अस्पतालों में गए, वहां ना कर दी गयी।
इसके बाद संवाददाता ने स्वास्थ्य संगठनों से जुडे शहर के कुछ बडे चिकित्सकों से सिफारिश लगाने को कहा तो उन्होंने भी हाथ खडे कर दिए, लेकिन जांच पड़ताल से इतना जरूर पता चला कि कुछ निजी अस्पतालों में संक्रमित केस सोमवार को लिए गए हैं। जब पड़ताल की गयी तो जानकारी मिली कि जो भी संक्रमित लिए गए हैं, उनको कोविड़ संक्रमितों के साथ नहीं रखा गया है।
ऐसे तमाम मरीज नॉन कोविड के साथ इमरजेंसी वार्ड में रखे गए हैं। साथ ही इस बात की ताकीद तीमादारों से की है कि अस्पताल में किसी भी मरीज या तीमारदार को यह न बताए जाए कि उनका मरीज आईसीयू में नॉन कोविड के साथ भर्ती किया गया है।
दरअसल, तमाम अस्पतालों में जितने भी कोविड बेड हैं वो सभी जिला प्रशासन की जानकारी में हैं। सीएमओ कार्यालय एक एक बेड का अपडेट ले रहा है। जिसके चलते संक्रमितों को नॉन कोविड के साथ मोटी कमाई का जरिया शहर के कुछ बडे अस्पतालों ने तलाश लिया है।
वहीं यदि बडे अस्पतालों की बात की जाए तो वहां संक्रमितों के लाने वाली एम्बुलेंसों की दिन भर आवाजाही देखी जा सकती है। परिजन गिड़गिड़ाते हैं। कुछ एम्बुलेंस माफियाओं ने भी अस्पताल संचालकों से सेटिंग कर ली है। बड़ी संख्या में ऐसे भी अस्पताल सुने जा रहे हैं जो कोविड के लिए अधिकृत नहीं मगर फिर भी संक्रमितों का इलाज वहां चल रहा है।
यह पहली बार नहीं हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग की इन्फेक्शन प्रिवेंशन टीम के सदस्य आईएमए के पूर्व सचिव डा. अनिल नौसरान ने ऐसे अस्पतालों की पोल भी खोली थी।
सीएमओ कार्यालय व शासन को रिपोर्ट भी भेजी गयी थी, लेकिन इस कार्रवाई का असर यह हुआ कि डा. नौसरान को ही इन्फेक्शन प्रिवेंशन टीम से बाहर कर दिया गया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि संक्रमितों के इलाज के नाम पर किस प्रकार का खेल चल रहा है।