Wednesday, October 9, 2024
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रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर नहीं हो रही कोरोना की जांच

  • कोरोना को लेकर प्रशासन द्वारा बरती जा रही लापरवाही, सार्वजनिक स्थलों पर टेस्टिंग नहीं
  • बस अड्डों और रेलवे स्टेशन से भी कोविड जांच टीम नदारद

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: नोएडा और गाजियाबाद में कोेरोना मरीजों की संख्या में एक बार फिर से बढ़ोतरी देखी जा रही है। इसको लेकर अब शासन ने सार्वजनिक स्थलों पर मास्क अनिवार्य कर दिया है, लेकिन रेलवे स्टेशन व बस अड्डों पर कोविड की जांच के लिए कोई इंतजाम नहीं है। जबकि बड़ी संख्या में बाहर से लोगों का आना-जाना जारी है।

मेरठ में दो प्रमुख बस अड्डे हैं। सोहराब गेट व भैंसाली, इन बस अड्डों पर बड़ी संख्या में यात्री बाहर से आते हैं। इन यात्रियों की कोरोना जांच करानें के लिए प्रशासन द्वारा कोविड जांच टीम को भी लगाया गया है, लेकिन वास्तविक सच्चाई इसके विपरीत है। दोनों बस अड्डों पर कहीं पर भी कोविड जांच कैंप नहीं लगा है।

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बाहर से आनें वाले यात्रियों को बिना कोविड जांच के ही शहर में आनें दिया जा रहा है। बसों में भी कोविड नियमों का पालन होता नजर नहीं आ रहा है, बिना सोशल डिस्टेंसिंग के ही यात्री सफर कर रहें है। यहां तक की दिल्ली, नोएडा व गाजियाबाद से आनें वाले यात्रियों को भी बिना जांच के शहर में प्रवेश कराया जा रहा हैै।

भैंसाली बस अड्डे पर मौजूद ड्यूटी स्टाफ ने बताया कि कोरोना जांच को लेकर स्वास्थ्य विभाग से टीम सुबह आती है, लेकिन दोपहर तक वापस चली जाती है। जबकि हकीकत यह है कि कोरोना हेल्पलाइन डेस्क बस अड्डे पर कहीं नजर नहीं आई।

सिटी रेलवे स्टेशन पर भी सूनी पड़ी कोविड हेल्प डेस्क

मेरठ सिटी रेलवे स्टेशन पर बनी कोविड हेल्प डेस्क पर भी कोई स्वास्थ्यकर्मी नजर नहीं आया। जबकि यहां पर बड़ी संख्या में यात्री रोज ही आते है, इनमें से दिल्ली, गाजियाबाद से आने वाले यात्रियों की संख्या सबसे अधिक होती है। स्टेशन पर बड़ी संख्या में यात्रियों की मौजूदगी होने के बाद भी कोरोना नियमों का पालन नहीं हो रहा है।

जांच के नाम पर भी किसी यात्री का टेस्ट होता दिखाई नहीं दिया। स्टेशन मास्टर का कहना है कि कोविड की जांच की जिम्मेदारी निजी हेल्थ वर्करों की है। उनकी टीम आती है और दोपहर तक वापस लौट जाती है, किसी यात्री की कोरोना जांच की जा रही है या नहीं यह स्वास्थ्य विभाग द्वारा भेजी गई टीम के हाथों में है।

कुल मिलाकर मेरठ प्रशासन द्वारा कोरोना गाइडलाइनों का पालन करानें के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन वास्तव में जांच व नियमों का कहीं पालन होता नजर नहीं आ रहा है। लोग अब कोरोना की दूसरी लहर को भूल गए प्रतीत हो रहे हैं, जिसका खामियाजा आने वाले समय में जनता को ही भुगतना पड़ सकता है।

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