- जिस फाइल में हुआ भ्रष्टाचार, किस-किस अधिकारी के हैं हस्ताक्षर, किया जाएगा खुलासा
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नगर निगम में एक के बाद एक सामने आ रहे भ्रष्टाचार के मामलों में अफसरों पर भी शिकंजा कसा जाएगा। भ्रष्टाचार में कौन-कौन अधिकारी संलिप्त हैं? भ्रष्टाचार जिस फाइल में हुआ, उस पर किस-किस अधिकारी के हस्ताक्षर हैं? इसके सबूत एंटी करप्शन टीम ने नगरायुक्त डा. अमित पाल शर्मा से मांग लिये हैं। जिस फाइल में भ्रष्टाचार हुआ, उस फाइल की छाया प्रति विवेचक ने मांग ली हैं।
एंटी करप्शन ने नगरायुक्त को चिठ्ठी लिखी हैं, जिसमें पत्रावली उपलब्ध कराने के लिए कहा गया हैं। इसमें खुलासा होगा कि पत्रावली पर किस-किस अधिकारी के हस्ताक्षर हैं? इसके बाद एंटी करप्शन की टीम उस अधिकारी को भी आरोपी बना सकती हैं। इसी को लेकर नगर निगम में हड़कंप मचा हुआ हैं।
नगर निगम में गृहकर को लेकर व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार किया जा रहा हैं। कई बार एंटी करप्शन की टीम छापेमारी कर चुकी हैं। हाउस टैक्स अनुभाग एंटी करप्शन के पिछले दो साल से निशाने पर हैं। नवल सिंह राघव पहले भ्रष्टाचार में एंटी करप्शन पकड़ चुकी हैं। मुंशी अनवर को रंगे हाथ पहले पकड़ा गया। अब राहुल और दीपक को रंगे हाथ रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। इंस्पेक्टर जितेन्द्र का नाम भी एंटी करप्शन की रिपोर्ट में था, उसके बाद जितेन्द्र गायब हो गया था।
धीरे-धीरे जितेन्द्र ने भी आॅफिस बैठना शुरू कर दिया। इनका नाम कैसे भ्रष्टाचार से कैसे निकला? ये भी बड़ा सवाल हैं। वर्तमान में सुधांशु महाराज की गृहकर की फाइल में भ्रष्टाचार हुआ। इस फाइल पर किस-किस के हस्ताक्षर हैं? इसको लेकर एंटी करप्शन के इंस्पेक्टर राम सहाय यादव ने नगरायुक्त को एक चिठ्ठी लिखकर पत्रावली की छाया प्रति मांग ली हैं। इसमें ये देखा जा रहा है कि जो भ्रष्टाचार की फाइल हैं, उस पर हस्ताक्षर किस-किस के हैं?
इसमें जिसके भी हस्ताक्षर है, अब उसकी गर्दन फंसना लाजिमी हैं। एंटी करप्शन इंस्पेक्टर अपनी विवेचना में इन सभी का उल्लेख करेंगे, जिसके बाद कुछ अफसर भी आरोपी बन सकते हैं। इसको लेकर नगर निगम में खलबली मची हुई हैं। इस भ्रष्टाचार के लपेट में कौन-कौन आयेगा, अभी यह कहना मुश्किल हैं, लेकिन एंटी करप्शन ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया हैं।
भूमिगत कर अधीक्षक
भ्रष्टाचार में फंसे कर अधीक्षक अनुपम राणा छापे के बाद से ही भूमिगत चल रहे हैं। कर अधीक्षक की तलाश में पुलिस लगी हुई हैं। कर अधीक्षक को एंटी करप्शन आॅन रिकॉर्ड आरोपी बना चुकी हैं। गिरफ्तार राहुल और दीपक ने भी पूछताछ के दौरान कर अधीक्षक का नाम लिया हैं कि भ्रष्टाचार का पैसा उनके पास ही जाता था। चर्चा तो ये भी है कि कर अधीक्षक लंबी छुट्टी पर चले गए हैं, लेकिन इसको लेकर अधिकारी कुछ भी पुष्टि नहीं कर रहे हैं।
इन पर कैसी मेहरबानी?
बड़ा सवाल ये है कि इससे पहले भी कर अधीक्षक जितेन्द्र को एंटी करप्शन ने आरोपी बनाया था, जिसको नगरायुक्त ने अभयदान देकर ड्यूटी ज्वानिंग करा दी। यही नहीं, भ्रष्टाचार में लिप्त मुंशी अनवर को भी ड्यूटी पर लेकर महत्वपूर्ण सीट दे दी हैं। जिन पर भ्रष्टाचार एंटी करप्शन ने साबित कर दिया, उन पर नगरायुक्त कैसे मेहरबानी दिखा रहे हैं। ऐसे भ्रष्ट निरीक्षक व कर्मचारियों को सीटों से क्यों नहीं हटाया जा रहा हैं? इसको लेकर अफसरों पर भी अंगुली उठ रही हैं।
किठौर के विवादित ईओ का बागपत तबादला
किठौर: कार्यप्रणाली को लेकर चर्चा में रहे ईओ किठौर का शासन ने तत्काल प्रभाव से दूसरे जिले में तबादला कर दिया। तबादले की सूचना पर नगरवासियों ने राहत की सांस ली। किठौर के चर्चित अधिशासी अधिकारी जयवीर शर्मा का शासन ने तत्काल प्रभाव से बागपत के कस्बा टीकरी को तबादला कर दिया गया है।कार्यप्रणाली को लेकर विवादों में घिरे जयवीर शर्मा को प्रथम नियुक्ति स्थल पर ही अपने अधीनस्थों, सभासदों और आम नागरिकों के विरोध का सामना करना पड़ा। उनके विरोध में किठौर नगर पंचायत कार्यालय पर कई सभासदों ने धरना-प्रदर्शन किए।
नौ माह के कार्यकाल में उन पर कई बार अभद्रता और मुठमर्दी के आरोप लगे। कर वसूली को लेकर सख्त रहे जयवीर शर्मा के विरुद्ध शाहजहांपुर में 21 दिन के अतिरिक्त चार्ज के दौरान नगरकर्मी लामबंद हो गए थे। उन्होंने ईओ पर काम में लेटलतीफी को लेकर अभद्रता और मुकदमें दर्ज कराने की धमकी देने के आरोप लगाए थे। शिकायत पर शासन ने जयवीर शर्मा से शाहजहांपुर का अतिरिक्त चार्ज लेकर ईओ मवाना राजीव जैन को सौंप दिया।