Friday, July 5, 2024
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मदरसों में छात्रवृत्ति पर करोड़ों का घोटाला

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  • 19 मदरसों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज होने के बाद भी सरकार से मिल रहा वेतन
  • अल खिदमत फाउंडेशन ने सीडीओ से की शिकायत और वेतन रोकने की मांग

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: जिले में सरकार द्वारा आधुनीकीकरण योजना के तहत संचालित अधिकांश मदरसों में छात्रवृत्ति को लेकर करोड़ों रुपये का घोटाला प्रकाश में आया है, जिनमें दो दर्जन से भी अधिक मदरसों के खिलाफ मुकदमें दर्ज किये जा चुके हैं। जो पिछले कई वर्षों से लम्बित चले आ रहे हंै। जिसकी आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन मेरठ द्वारा विवेचना जारी है।
यह सभी मुकदमें ईओडब्लू द्वारा अल खिदमत फाउंडेशन के अध्यक्ष तनसीर अहमद एडवोकेट की शिकायत किये जाने पर दर्ज किये गए थे। फाउंडेशन के अध्यक्ष ने गत 30 मार्च-2022 को मुख्य विकास अधिकारी शशांक चौधरी को इस पूरे प्रकरण से अवगत कराते हुए उन्हें शिकायती पत्र सौंपा।

पत्र में बताया गया कि वर्ष 2010-11 में जिले में भारत सरकार द्वारा संचालित अल्पसंख्यक प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति में जिले के 145 स्कूल, मदरसों के प्रधानाचार्य एवं प्रबंधकों पर विभागीय अधिकारियों से साज करके करोड़ों रुपयों का घोटाला करने का आरोप लगाया। यह भी बताया गया कि शासन के आदेश पर आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन मेरठ द्वारा इस प्रकरण की जांच की जा रही है। फाउंडेशन के अध्यक्ष तनसीर ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ मदरसे अपराधिक मुकदमें दर्ज होने के बाद भी विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों से सांठगांठ करके शिक्षकों का वेतन प्राप्त कर रहे हैं। अध्यक्ष ने बताया कि ऐसे मदरसों के शिक्षकों को शासन द्वारा वेतन नहीं मिलना चाहिए, उन्होंने सीडीओ को सौंपे गए शिकायती पत्र में भी यही मांग की है।

साथ ही ऐसे 19 मदरसों के नाम जिनमें आरोपियों के नाम भी दर्ज हैं, के संबंध में आवश्यक कार्रवाई कराये जाने की भी मांग की। इस पर सीडीओ ने इस बारे में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी से एक सप्ताह के अंदर आख्या देने को कहा। इस प्रकरण एवं वेतन दिये जाने के बारे में जब जिला अल्पसंख्यक अधिकारी मोहम्मद तारिक से जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि उनके पास शासन से इन मदरसों का वेतन न दिये जाने का कोई आदेश प्राप्त नहीं हैं। उनका यह भी कहना है कि यह प्रकरण उनकी जिले में तैनाती से पहले का है वे यहां 2017 में आये हैं और इन मदरसों को वेतन पहले से ही मिलता आ रहा है। जबकि फाउंडेशन के अध्यक्ष तनसीर अहमद का कहना है कि जब किसी मदरसे के खिलाफ घोटाले का मुकदमा दर्ज है और किसी विभाग से विवेचना जारी है।

ऐसी सूरत में जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की जिम्मेदारी बनती है कि वे ऐसे मदरसों के शिक्षकों का वेतन शासन से रुकवाएं। उधर, सीडीओ शशांक चौधरी इस बारे में जानकारी लेने पर उन्होंने बताया कि उनके संज्ञान में यह मामला जरूर आया है, लेकिन बुधवार तक जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी द्वारा कोई आख्या प्राप्त नहीं हुई है, आख्या आने पर ही कुछ बताया जा सकता है। कुछ भी हो इन मदरसों के शिक्षकों को वेतन मिलना चाहिए या नहीं है। यह ईओडब्लू द्वारा की जा रही निष्पक्ष विवेचना से ही इस प्रकरण का पटाक्षेप होगा।

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