Wednesday, July 3, 2024
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करोड़ों खर्च, फिर भी कबाड़ में तब्दील जोनल पार्क

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  • नगर निगम को हैंड ओवर कर चुका है एमडीए
  • जगह-जगह उगे झाड़-फूंस, नहीं हो रही देखरेख
  • पेड़-पौधे सूखे, वाटर बॉडी तैयार, लेकिन वह भी अधूरी
  • 2011 से अब तक जोनल पार्क पूर्ण क्यों नहीं किया?

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) ने वर्ष 2011 में वेदव्यासपुरी का जोनल पार्क विदेशी तर्ज पर तैयार किया था, लेकिन पार्क पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी पार्क की हालत बदहाल है। जगह-जगह झाड़ झंकार उगाए हैं। कोई देख-रेख नहीं हो रही है। पेड़ पौधे भी सूख गए हैं। वाटर बॉडी तो तैयार की गई है, वह भी अधूरी है। आधे अधूरे हिसाब से ही मेरठ विकास प्राधिकरण ने वेदव्यासपुरी योजना को नगर निगम को हैंड ओवर कर दिया।

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अब यह कहकर प्राधिकरण के अधिकारी अपना पीछा छुड़ा लेते हैं,लेकिन बड़ा सवाल यह है कि प्राधिकरण ने 2011 से अब तक वेदव्यासपुरी के जोनल पार्क को आखिर पूर्ण क्यों नहीं किया? करीब 15 एकड़ जमीन में यह पार्क बनाया गया है। अपने आप में पार्क के लिए शानदार जगह है, लेकिन दुर्भाग्य ये है कि अधिकारियों ने पार्क को विकसित करने का बीड़ा तो उठाया, जिसे बीच में ही छोड़ दिया।

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अब हालात यह है कि वाटर बॉडी तो बनाई गई है, वह भी इन कंप्लीट है। इस वाटर बॉडी में नाव चलाने की योजना थी, जो अपने आप में शहर के लिए बड़ी बात होने वाली थी। क्योंकि बच्चों के मनोरंजन के लिए वाटर बॉडी में नाव चलना, किसी रोमांच से कम नहीं होता। वेदव्यासपुरी के इस जोनल पार्क में यदि मेंटेनेंस ही किया जाए तो कम से कम ढाई लाख रुपये प्रतिमाह खर्च हो जाएंगे, लेकिन इसमें लोगों के घूमने और मनोरंजन करने के लिए टिकट व्यवस्था यदि की जाती है तो पार्क के मेंटेनेंस का खर्च इसमें से ही निकल जाएगा।

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पार्क में जिम के उपकरण भी लगाए गए हैं और फव्वारे भी। बड़ा पैसा इस पार्क पर मेरठ विकास प्राधिकरण ने खर्च किया, लेकिन 2011 के बाद भी पार्क अधूरा है। इस पर शायद कोई दृष्टि नहीं डाली गई। तब अधिकारियों ने इसकी अच्छी शुरूआत तो कर दी, लेकिन फिर बीच में ही रोक दिया गया। अब आधा अधूरे पार्क को नगर निगम के हैंड ओवर कर दिया। नगर निगम ने पार्क को अपने कब्जे में दस्तावेजों में तो ले लिया, लेकिन इसके बाद आंखें मूंद ली है।

मौके पर पार्क में एक दिन भी नगर निगम के अधिकारी देखने नहीं पहुंचे। इसमें कुछ और भी अच्छा किया जा सकता हैं, लेकिन नगर निगम तो इसका मेंटेनेंस तक नहीं कर रही हैं। दो माली वर्तमान में जोनल पार्क में तैनात है, वो भी एमडीए के। नगर निगम की तरफ से तो यहां साफ-सफाई करने के लिए भी किसी कर्मचारी को नहीं भेजा जाता हैं।

पेड़ भी सूखे

लापरवाही की इंतहा देखिये कि वेदव्यासपुरी जोनल पार्क में पेड़ व्यापक स्तर पर लगाये गए थे, लेकिन देख-रेख के अभाव में पेड़ भी सूख गए हैं। इनमें पानी नियमित रूप से नहीं दिया जा रहा हैं।

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दम तोड़ रहे पेड़ भी सरकारी सिस्टम की कलई खोल रहे हैं। प्रत्येक वर्ष पेड़ लगाने की होड तो प्रत्येक विभाग में लगी रहती हैं, लेकिन पेड़-पौधों की देख-रेख की जिम्मेदारी कोई लेने को तैयार नहीं होता। यही वजह है कि पेड़ सूख रहे हैं, जो सिस्टम पर सवाल उठाने के लिए काफी हैं।

ठेकेदारों का भी नहीं हुआ भुगतान

एमडीए ने जिन ठेकेदारों को वेदव्यासपुरी के जोनल पार्क का निर्माण करने के लिए टेंडर लिया था, उन ठेकेदारों पर बड़ी जिम्मेदारी थी। एमडीए ने इन ठेकेदारों का भुगतान ही नहीं किया हैं, जिसके चलते ही यह पार्क अधूरा पड़ा हैं। कहा जा रहा है कि वाटर बॉडी का कार्य अशोक ठेकेदार पर था, जो अधूरा पड़ा हैं। इस ठेकेदार का करीब 14 लाख का भुगतान एमडीए ने नहीं किया, जिसके चलते ठेकेदार ने काम नहीं किया।

तभी से वाटर बॉडी अधूरा हैं। इसमें जो कार्य होने वाला था, उसे पूरा नहीं किया गया। जर्नादन शर्मा ने यहां बिजली का कार्य किया। उसे भी एमडीए ने भुगतान नहीं किया। बिजली का काम पूरा हो चुका, लेकिन भुगतान क्यों नहीं किया? इसको लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। इसी वजह से जोनल पार्क का कार्य अधूरा पड़ा हैं। इसके बाद किसी ठेकेदार ने जोनल पार्क के अधूरे काम को पूरा करने की जिम्मेदारी नहीं ली।

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