- सेंट्रल मार्केट 661/6 के व्यापारियों को 10 साल से राहत का इंतजार, साफ होगा, राहत या फिर आएगी आफत
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्केट में आवासीय प्लाटों के व्यवसायिक प्रयोग को लेकर चल रही चल रहे विवाद में खुलकर बोलने की हिमाकत के बजाए जिनके पास भी मदद को पहुंच रहे हैं, वो अब पिंड छुड़ाते नजर आ रहे हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट में होने की वजह से सेंट्रल मार्केट के कारोबारियों को फिलहाल तो राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। वहीं दूसरी ओर इस माह के अंतिम सप्ताह में यह जरूर साफ हो जाएगा कि राहत मिलेगी या फिर आफत आनी है। खबर यदि उम्मीद के विपरीत आती है तो सेंट्रल मार्केट के व्यापारियों ने उसके लिए भी खुद को तैयार कर लिया है। उनका कहना है कि यदि 661/6 के खिलाफ निर्णय आता है तो बजाए उसका विरोध के नाम पर मुकदमों को सामना करने के बाकी 499 को बचाने की तैयार की जाए।
सूत्रों ने जानकारी दी कि सेंट्रल मार्केट के 661/6 को लेकर रही सुनवाई पूरी हो चुकी है, इस माह के अंतिम सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय आना तय माना जा रहा है। दरअसल, इस मामले की अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने आवास विकास परिषद व दूसरे पक्ष से स्टेटस पूछा था। आवास विकास परिषद से पूछा गया था कि जो प्लांट आवंटित किए गए थे, वो किस प्रयोजन के लिए किए गए थे और वर्तमान में उनका क्या स्टेटस है। इसको लेकर दोनों पक्षों ने अपने जवाब दाखिल कर दिए हैं। वहीं, दूसरी ओर इस मामले से जुडेÞ विधि विशेषज्ञों की मानें तो राहत के विकल्प नजर नहीं आ रहे हैं,
लेकिन 661/6 को लेकर कोर्ट के आदेश के बाद सभी के लिए अच्छा यही होगा कि बाकी 499 को बचाने की कवायद में जुडेÞ। वहीं, दूसरी ओर इसको लेकर जो आवाज उठा रहे हैं। नाम न छापे जाने की शर्त पर उन्होंने माना कि जिन भी नेताओं के पास वो अब तक राहत या मदद के लिए गए हैं, सुप्रीम कोर्ट के नाम पर कोई भी आगे आने को तैयार नहीं। सोमवार को सूबे की योगी सरकार के डिप्टी सीएम से भी मिले। उम्मीद थी कि कुछ ठोस व खुलकर बात की जाएगी, लेकिन जैसी उम्मीद की जा रही थी। वैसा कुछ भी नहीं हुआ। लखनऊ आकर मिलने की बात कहकर पीछा छुड़ाने के अलावा कुछ नहीं किया।
कानूनी लड़ाई में भारी खर्च
सूत्रों की मानें तो 661/6 को बचाने के लिए लड़ी जा रही कानूनी लड़ाई में अब तक करीब एक करोड़ का खर्च आ चुका है, लेकिन इतनी भारी भरकम रकम खर्च करने के बाद भी राहत के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। इसके इतर कुछ का मानना है कि बाकी 499 दुकानदार भी तभी बच पाएंगे, जब 661/6 को बचाया जा सकेगा। ऐसी सोच रखने वालों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट की डबल बैंच से यदि राहत भरी खबर नहीं मिलती तो ट्रिपल बैंच में अपील की जाए। यदि वहां से भी राहत मिलती तो फिर बेंच में अपील की जाए कुछ भी कर के 661/6 को बचाया जाए ताकि बाकी के 499 बचे रहें। यदि 661/6 बच जाते हैं तो फिर बाकी 499 को कोई खतरा नहीं है, लकिन इस कवायद में इतना खर्चा हो जाएगा जितना कि 10 साल की लड़ाई में हो चुका है।