जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: हाईकोर्ट ने कहा कि कोरोना महामारी के मद्देनजर कैदियों को दी गई अंतरिम जमानत व पैरोल की अवधि अब नहीं बढ़ाई जाएगी। यह निर्देश देते हुए पीठ ने 25 मार्च 2020 के अपने उस आदेश को वापस ले लिया, जिसके तहत कैदियों की अंतरिम जमानत व पैरोल अवधि समय-समय पर बढ़ाई गई थी। हाईकोर्ट ने कहा कि पूर्व आदेश से प्रभावित हुए बिना फैसला लें।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल, सिद्धार्थ मृदुल और तलवंत सिंह की विशेष पीठ ने अंतरिम जमानत पर चल रहे 2318 विचाराधीन कैदियों को 2 नवंबर से 13 नवंबर के बीच संबंधित जिला अदालतों में आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है। पीठ ने पेरोल पर जेल से रिहा होने वाले सभी कैदियों को राहत देने हुए उनकी अंतरिम जमानत व पैरोल की अवधि 31 अक्तूबर तक बढ़ा दी थी।
हालांकि, हाईकोर्ट ने इन कैदियों को संबंधित अदालत में अपनी अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने के लिए अर्जी दाखिल करने की छूट दी है। अदालत को तथ्यों के आधार पर विचार करने के लिए कहा। वहीं पीठ ने इसके अलावा हाई पावर कमेटी से अनुरोध किया है कि वह समिति की सिफारिशों के आधार पर अंतरिम जमानत पर रिहा हुए 2,907 कैदियों के संबंध में 10 दिनों के भीतर निर्णय लें।
हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा था कि महामारी के मद्देनजर कैदियों को दी गई अंतरिम जमानत और पैरोल की अवधि बढ़ाने वाले आदेश को अब खत्म करना चाहिए, क्योंकि राजधानी की जेलों में संक्रमितों की संख्या महज 3 रह गई है। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी उस अर्जी पर सुनवाई के दौरान की थी, जिसमें 13 जुलाई और 24 जुलाई के आदेशों को वापस लेने व संशोधित करने की मांग की गई है।
पीठ ने कहा था कि अब कोरोना का अध्याय समाप्त होना चाहिए, इन लोगों को आत्मसमर्पण करने दें या वापस जेल जाएं। पीठ ने कहा कि हमने महामारी को देखते हुए आदेश पारित किया था, हमारे आदेश का जेल की भीड़ को कम करने से ज्यादा कोई और मकसद नहीं है।