Tuesday, July 15, 2025
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बेसिक की महिला टीचर का डिमोशन

  • पांच टीचरों की वेतनवृद्धि पर बीएसए की गाज

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: शहर के कंपोजिट विद्यालय कृष्णापुरी की सहायक अध्यापिका शाबिस्ता सुलतान का डिमोशन कर दिया गया है। ऐसा बीएसए द्वारा बनायी गयी जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर किया गया है। इसके अलावा बीएसए ने दौराला के नंगली आजड़ के उत्तर प्राथमिक विद्यालय के पांच शिक्षकों की अस्थायी रूप से आगामी वेतन वृद्धि रोक दी है। बेसिक के नगर क्षेत्र के खंड शिक्षा अधिकारी सतेन्द्र पाल सिंह के 15 फरवरी को जारी आदेश जो मधु सूदन कौशिक इंचार्ज अध्यापक कंपोजिट विद्यालय कृष्णापुरी नगर क्षेत्र को भेजे गए हैं,

में कहा गया है कि शाबिस्ता सुलतान सहायक अध्यापिका की पदोन्नति निरस्त करते हुए प्रा. वि. प्रहलाद नगर क्षेत्र में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यभार ग्रहण करने के लिए आदेशित किया गया है। खंड शिक्षा अधिकारी के पत्र में मधुसूदन कौशिक को आदेशित किया गया है कि शाबिस्ता सुलतान को तत्काल कार्यमुक्त कर अवगत कराएं।

ज्वाइनिंग में देरी ने करा दी मुसीबत

वहीं, दूसरी ओर जानकारी मिली है कि शाबिस्ता सुलतान पर आयी इस मुसीबत की वजह वह खुद हैं। दरअसल, साल 2013 में जब उनका प्रमोशन हुआ था तो प्रमोशन के बाद ज्वाइनिंग के लिए समयसीमा निर्धारित थी। उस समय सीमा में उन्होंने ज्वाइनिंग नहीं की। ज्वाइनिंग की समय सीमा गुजर जाने के बाद उन्होंने तत्कालीन बीएसए को आवेदन देकर ज्वानिंग कराने का आग्रह किया। तत्कालीन बीएसए ने उनके आवेदन पर प्रधानाध्यापक को ज्वाइनिंग कराने के आदेश दे दिए।

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मधुसूदन कौशिक ने की थी शिकायत

शाबिस्ता सुलतान के प्रमोशन के बाद उनके ज्वाइनिंग पर आपत्ति व शिकायत मधुसूदन कौशिक ने ही की थी। उन्होंने बताया कि उन्होंने जो शिकायत की थी उसकी जांच बीएसए ने करायी। जांच के आधार ही पदोन्नति निरस्त की गयी है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। जब इस संबंध में शाबिस्ता सुलतान से संपर्क किया तो उनका कहना था कि बीएसए द्वारा जारी इस प्रकार का कोई पत्र या जानकारी उन्हें नहीं।

पांच टीचरों की वेतनवृद्धि पर रोक

बीएसए ने एक आदेश जारी कर नंगलातशी दौराला स्थित कक्षा एक से आठवीं तक के विद्यालय के पांच टीचरों की अस्थायी रूप से वेतन वृद्धि रोक दी है। इन टीचरों में पंकज मणि इंचार्ज अध्यापक के अलावा सहायक अध्यापक आस मोहम्मद, गीता सिंह, मीरा यादव, भूपेश कुमार शामिल हैं।

ये होना चाहिए था

दरअसल, होना ये चाहिए था कि तत्कालीन बीएसए शाबिस्ता सुलतान का आवेदन पत्र प्रमोशन कमेटी जिसके वह स्वयं सचिव होते हैं उसमें विचार के लिए रखते, उसमें जो भी निर्णय लिया जाता, उसके अनुसार ही आगे की कार्रवाई करायी जाती, लेकिन ऐसा हो ना सका।

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