- आधा दर्जन गांव पालिका में शामिल करने की तैयारी
- तीन बार प्रस्ताव निरस्त होकर आ चुका है वापस
- सरधना के आसपास के गांवों को नगर पालिका में शामिल करने को बन रहे प्रस्ताव
जनवाणी संवाददाता |
सरधना: कस्बे के लोगों को पालिका स्तर की मूलभूत सुविधाएं तो मिल नहीं रही है। मगर सीमा विस्तार के नाम पर यहां के लोगों के साथ छल करने की तैयारी की जा रही है। कस्बे के आसपास बसी आबादी ही नहीं आसपास के आधा दर्जन गांव पालिका सीमा में शामिल करने के मसौदे तैयार किए जा रहे हैं।
इसके लिए प्रशासन कई महीने से माथा पच्ची करने में लगा हुआ है। अब तक तीन बार भेजी गई फाइल निरस्त हो चुकी है। तीसरी बार बनाई गई फाइल में आधा दर्जन गांवों को शामिल किया गया है, लेकिन उसमें भी अधिकारियों ने संशोधन करने के लिए फाइल वापस कर दी है।
जिनमें से तीन गांव को हटाकर अन्य शुध्दिकरण की बात कही गई है। पालिका प्रशासन के भी समझ में नहीं आ रहा है कि उच्चाधिकारी क्या करने की सोच रहे हैं। यह बात तो साफ है कि आगामी निकाय चुनाव में सीमा विस्तार की कार्रवाई बहुत अहम साबित होने वाली है। सीमा विस्तार चुनाव के समीकरण बदलने में अहम कड़ी बनेगी।
मेरठ शहर से करीब 22 किमी की दूरी पर स्थित सरधना कस्बे की आबादी लगभग 80 हजार है। जिसे नगर पालिका परिषद ने कुल 25 वार्ड में विभाजित कर रखा है। कहने को यह एक प्राचीन कस्बा है, लेकिन यहां मूलभूत सुविधाएं उससे कहीं कमतर हैं। कुछ महीने बाद नगर निकाय के चुनाव होने हैं।
ऐसे में प्रशासन द्वारा नगर पालिका के सीमा विस्तार की कार्रवाई की जा रही है। सीमा विस्तार को आमतौर पर इस तरह देखा जाता है कि पालिका सीमा के आसपास बस्ती नई आबादी को उसमें शामिल किया जाता है। मगर सरधना नगर पालिका में सीमा विस्तार के नाम पर कुछ और ही हो रहा है।
यहां आसपास की आबादी ही नहीं आसपास के गांवों को भी शामिल करने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए अधिकारी कई महीने से मंथन कर रहे हैं। पालिका प्रशासन अब तीन बार उच्चाधिकारियों को सीमा विस्तार की फाइल भेजी जा चुकी है। जिसमें पहले आसपास की आबादी, फिर एक-दो गांव और तीसरी बार आधा दर्जन गांव शामिल करके सीमा विस्तार की फाइल आगे चलाई गई।
मगर हर बार संशोधन के नाम पर जिले से ही फाइल वापस आ रही है। पालिका प्रशासन को भी नहीं समझ आ रहा है कि अधिकारी क्या सोच रहे हैं। यहां अहम सवाल यह उठता है कि कस्बा पहले ही बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है। उस पर गांवों को शामिल करना कितना ठीक होगा।
यह एक तरह से कस्बे के लोगों के साथ छल होगा। एक बात और यह भी कि सीमा विस्तार आगामी निकाय चुनाव में बहुत अहम साबित होगा। सीमा विस्तार से चुनाव के आंकड़े पूरी तरह बदल जाएंगे। इसलिए सबकी निगाहें सीमा विस्तार व परिशिमन पर लगी हुई है।
सीमा विस्तार का मतलब है ये
सीमा विस्तार का मतलब आमतौर पर यह मतलब लगाया जाता है कि किसी भी निकाय के आसपास इलाकों यानी निकाय की सीमा से सटी नई आबादी को शामिल किया जाता है। ताकि नई आबादी में रहने वाले लोगों को मूलभूत सुविधाएं मिल सकें। मगर सरधना नगर पालिका में सीमा विस्तार के नाम पर गांवों को शामिल करने की तैयारी की जा रही है। जो समझ से परे है।
अध्यक्ष भी इस पक्ष में नहीं
सीमा विस्तार पर हो रहे काम से पालिका प्रशासन भी थम चुका है। संशोधन में स्टाफ को गंभीरता के साथ लंबा समय लगाना पड़ रहा है। वहीं चेयरपर्सन सबीला अंसारी भी इस तरह के सीमा विस्तार के पक्ष में नजर नहीं आ रही हैं। यही कारण है कि कई बार संशोधन के बाद भी फाइल पास नहीं हो रही है।
पहले कस्बे का कराओ विकास
सरधना पुराना कस्बा होने के बाद भी बहुत पिछड़ा हुआ है। आसपास के कस्बों पर नजर डालें तो वह सरधना से काफी विकसित हैं। हालत यह है कि रोडवेज बस अड्डा, बालक डिग्री कॉलेज, कोई हाइवे, फायर स्टेशन, कोई बड़ा पार्क जैसी सुविधा यहां नहीं है। इसलिए शासन-प्रशासन को चाहिए कि पहले कस्बे का विकास करा दे। इसके बाद सीमा विस्तार किया जाए।
इस तरह हो चुका संशोधन
पहली फाइल बनी तो नवाबगढ़ी तक, जगमोहन नगर, मेरठ रोड बस्ती, मंढियाई की सीमा तक, इस्लामाबाद, मेहरमति गणेशुपर की सीमा तक व लोकप्रिय रोड बस्ती को शामिल किया गया। मगर फाइल निरस्त हो गई। दूसरी बार भी इसी तरह के संशोधन किए गए। उच्चाधिकारियों के निर्देश के बाद तीसरी बार में पूरी सरधना देहात ग्राम पंचायत जिसमें नवाबगढ़ी, अहमदाबाद, मानपुरी व सरधना की कई बस्ती शामिल हैं।
इसके अलावा बेगमाबाद, छबड़िया, जुल्हैड़ा, मंढियाई, नंगला आर्डर, मेहरमति गणेशपुर को शामिल किया गया। मगर यह फाइल भी निरस्त हो गई। जिसमें से मंढियाई, नंगला आर्डर व मेहरमति गणेशपुर को हटाने के लिए कहा गया। अब नए सीरे से फिर फाइल बनाई जा रही है।