- सिद्धचक्र महामंडल विधान का पांचवा दिन
जनवाणी संवाददाता |
बिनौली: श्री चंद्रप्रभ दिगंबर जैन मंदिर अतिशय क्षेत्र बरनावा की तपोभूमि में अष्टह्निका महापर्व के उपलक्ष्य में चल रहे नो दिवसीय सिद्धचक्र महामंडल विधान के पांचवे दिन रविवार को श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना कर भगवान को 128 श्रीफल समर्पित किए।
ब्रह्मचारी पंडित प्रदीप पीयूष शास्त्री ने कहा कि सिद्धचक्र महामंडल विधान अनेक विधानों का सृजन करता है। यह सभी काम मन वचन काय से होते है। क्रोध-मान-माया लोभ के संस्कार इनमे रहते है, अतः इनका परसपरमय गुणा करने पर108 हो जाता है।
जो प्रतिदिन एक माला णमोकार मंत्र की फेरते है। वह सभी कष्टों से मुक्ति पा जाता है। उन्होंने कहा कि संसार का कार्य हो, या परमार्थ का कार्य हो, सभी कार्य समरंभ समारंभ आरम्भ के बिना नही होते है। किसी कार्य को करने का मन मे विचार करना समरंभ कहलाता है और कार्य को करने लगना आरम्भ कहलाता है।
जैसे बरनावा की तपोभूमि पर हमें अष्टमी का महापर्व में सिद्धचक्र महामंडल विधान करना है यह हमारा समारंभ कहलाएगा।
विधान करने की सामग्री को एकत्रित करना विधान आचार्य से संपर्क करना विधान करने वालों से संपर्क करना यह सभी समारंभ कहलाता है विधान में कृष्णा देवी जैन, रमाबाई, सरिता जैन, योगेश जैन,संजय जैन, बॉबी जैन, संदीप जैन आदि उपस्थित रहे।