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मिस्र जुन्नुन नाम के संत रहते थे। एक नौजवान ने उनके पास आकर पूछा, मुझे समझ में नहीं आता कि आप जैसे लोग सिर्फ एक चोगा ही क्यों पहने रहते हैं? जुन्नुन मुस्कुराण् और अपनी उंगली से एक अंगूठी निकालकर बोले, बेटे, मैं तुम्हारे सवाल का जवाब अवश्य दूंगा लेकिन पहले तुम इस अंगूठी को सामने बाजार में एक अशर्फी में बेचकर दिखाओ।
नौजवान तुरंत ही बाजार की ओर चल पड़ा। उसने वह अंगूठी बहुत से सौदागरों, परचूनियों, साहूकारों, यहां तक कि हज्जाम और कसाई को भी दिखाई पर उनमें से कोई भी उस अंगूठी के लिए एक अशर्फी देने को तैयार नहीं हुआ।
हारकर उसने जुन्नुन को जा कर कहा, कोई भी इसके लिए चांदी के एक दीनार से ज्यादा रकम देने के लिए तैयार नहीं है। जुन्नुन ने मुस्कुराते हुए कहा, अब तुम इस सड़क के पीछे सुनार की दुकान पर जाकर उसे यह अंगूठी दिखाओ। लेकिन तुम उसे अपना मोल मत बताया, बस यही देखना कि वह इसकी क्या कीमत लगाता है।
बताई गई दुकान से लौट कर उसने जुन्नुन से कहा, आप सही थे। बाजार में किसी को भी इस अंगूठी की सही कीमत का अंदाजा नहीं है। सुनार ने इस अंगूठी के लिए सोने की एक हजार अशर्फियों की पेशकश की है।
यह तो आपकी मांगी कीमत से भी हजार गुना है! जुन्नुन ने मुस्कुराते हुए कहा, और वही तुम्हारे सवाल का जवाब है। किसी भी इंसान की कीमत उसके लिबास से नहीं आंकी जानी चाहिए, नहीं तो तुम बाजार के उन सौदागरों की भांति बेशकीमती नगीनों से हाथ धो बैठोगे।
अगर तुम उस सुनार की आंखों से चीजों को परखने लगोगे तो तुम्हें मिट्टी और पत्थरों में सोना और जवाहरात दिखाई देंगे। इसके लिए तुम्हें दुनियावी नजर पर पर्दा डालना होगा और दिल की निगाह से देखने की कोशिश करनी होगी। बाहरी दिखावे और कही सुनी बातो से परे देखो, तुम्हें हर तरफ हीरे-मोती ही दिखेंगे।
प्रस्तुति: राजेंद्र कुमार शर्मा
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