Friday, July 18, 2025
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क्या फिल्म ‘लाइगर’ से ‘विजय देवरकोंडा’ की बॉलीवुड में हुई धमाकेदार एंट्री? जाने रिव्यु!

  • साउथ सुपरस्टार विजय देवरकोंडा ने फिल्म ‘लाइगर’ से की बॉलीवुड में धमाकेदार एंट्री, सिनेमाघरों में लगी लाइन
  • निर्देशक जगन्नाथ पूरी की फिल्म लाइगर का इंतज़ार हुआ खत्म, दर्शको को पसंद आयी विजय और अनन्या की केमिस्ट्री 

डिजिटल फीचर डेस्क |

साउथ सुपरस्टार विजय देवरकोंडा, अनन्या पांडे और राम्या कृष्णन स्टारर फिल्म लाइगर सिनेमाघरों में धमाल मचने के लिए रिलीज़ हो चुकी है। लेकिन क्या बॉलीवुड में डेब्यू करने वाले विजय देवरकोंडा दर्शको की उमीदो पर खरे उतर पाए है या नहीं? खेर ये तो आपको फिल्म के बारे में जानकर ही पता चलेगा।  इस फिल्म के साथ तेलुगु फिल्म स्टार विजय देवरकोंडा ने हिंदी ऑडियन्स के बीच कदम रखा है। विजय देवरकोंडा की इस फिल्म को लेकर काफी ज्यादा बज था।

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क्या है लाइगर की कहानी?

विजय देवरकोंडा और अनन्या पांडे स्टारर निर्देश पुरी जगन्नाथ की ये फिल्म एमएमए (मिक्सड मार्शल आर्ट) चैंपियनशिप की है। जिसमें लाइगर (विजय देवरकोंडा) को लेकर उसकी मां बालमणि (राम्या कृष्णन) करीमनगर से मुंबई आती है। वो यहां अपने बेटे को एमएमए चैंपियन बनाना चाहती है। जिसके लिए वो कोच क्रिस्टोफर (रोनित रॉय) के पास उसकी ट्रेनिंग करवाती है। मुंबई में रहने के लिए मां-बेटे एक चाय की दुकान चलाते हैं। वहीं, क्रिस्टोफर का कॉम्पीटिटर संजू है जो पहले से ही एमएमए चैंपियन है। अब क्रिस्टोफर के शागिर्द लाइगर को संजू से लड़ना है। इस बीच संजू की बहन तान्या (अनन्या पांडे) से लाइगर प्यार कर बैठता है जो बाद में उसका दिल तोड़ देती है। इसके बाद रिंग में संजू से भिड़ना और जीतना लाइगर के लिए निजी तौर पर भी बेहद जरूरी हो जाता है। इसके बाद क्या होता है ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

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क्या है खास ?

फिल्म में विजय देवरकोंडा की मां का किरदार निभाने वाली अदाकारा राम्या कृष्णन इस फिल्म की रीढ़ है। एक्ट्रेस ने इतना शानदार काम किया है को सभी एक्टर्स को ओवरशैडो कर जाती हैं। वहीं, विजय देवरकोंडा ने भी जबरदस्त ट्रांसफॉर्मेशन कर हर किसी को हैरान कर दिया है। एक्टर ने अपने हिस्से का काम शानदार तरीके से निभाया है और वो फिल्म में अपनी एक्टिंग और स्वैग से दर्शकों का दिल जीतने में सफल हुए हैं। सभी को-स्टार्स भी कमाल के हैं। रोनित रॉय ने अपना किरदार बखूबी निभाया है। जबकि माइक टायसन की एंट्री दर्शकों की सीटियां लूट ले जाती हैं। फिल्म में विष्णु शर्मा की ओर से किया गया कैमरा वर्क कमाल का है। बैकग्राउंड म्यूजिक भी फिल्म में जान डालता है। चार्मी कौर की वजह से फिल्म का प्रोडक्शन काफी अच्छा है। वहीं, निर्देशक पुरी जगन्नाथ एक बार फिर दर्शकों की नस पकड़ने में कामयाब रहे हैं। उनके डायलॉग्स, किरदारों की पकड़ और हर छोटी से बड़ी चीज पर किया गया बारिकी से काम स्क्रीन पर दिखता है।

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कहां रह गई कमी?

फिल्म का दूसरा हाफ इसकी सबसे बड़ी खामी है। दूसरे हाफ में फिल्म बेहद बोरिंग, परेशान करने वाली और ऊबाऊ होती गई है। दूसरा हिस्सा काफी बुरा लिखा गया है और काफी बुरी तरह से शूट हुआ है। क्लाइमेक्स फैंस को बेइंतहा निराश करता है। फिल्म की सबसे बड़ी कमी एक्ट्रेस अनन्या पांडे हैं। जिनके हिस्से इस फिल्म में करने के लिए कुछ था ही नहीं। एक्ट्रेस की एंट्री कहानी में कुछ ट्विस्ट्स जरूर लाती है मगर इसके अलावा अदाकारा को लगता है कि फिल्म में सिर्फ ग्लैमर बिखेरने के लिए ही रखा है। उनकी एक्टिंग भी दर्शकों को इंप्रेस नहीं करती।

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फिल्म एक मास्स एंटरटेनमेंट है जिसको एक्शन पसंदीदा दर्शक देखने जा सकते है। फिल्म में रोमांस भी है और गाने भी काफी एनर्जेटिक है। इस फिल्म को एक बार देखा जा सकता क्यूंकि इसमें हर तरह का स्वाग भरपूर मिलेगा।

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