दफ्तरों में, स्कूल और कॉलेजों के स्टाफ रूम में, अगर आप दैनिक यात्री हैं और आपका रोजाना का तय यात्रा समूह है तो वहां, और हर उस जगह जहां नियमित जान पहचान के लोग एकत्र होते हैं आपस में चर्चा या तो राजनीति की होती है या फिर खानपान की। हैरान न हों कि अड़ोस-पड़ोस की महिलाएं हों या कामकाजी महिलाएं, वह भी आहार संबंधी बातों में मसगूल रहती हैं। ज्यादातर चर्चा उनकी सेहत संबंधी दैनिक चुनौतियों को लेकर ही होती है। दरअसल सेहत संबंधी समस्याओं का हल ढूंढने के लिए खान पान आदतों में सुधार, बदलाव और प्रयोग का हमारे परंपरागत ज्ञान में कई मिथ हैं जो मनोविज्ञान के स्तर से हमें सुधार पाने का संतोष देकर फायदा पहुंचाते हैं तो कुछ का कोई प्रभाव नहीं होता है।
हैरानी इस बात की है कि दिन रात की इस चर्चा में हमें लगता है कि फूड अवेयरनेस के मामले में हम बहुत स्मार्ट हो गए हैं लेकिन सच्चाई ये है कि जो बातें खानपान और सेहत के बारे में सही है, उसे कोई तवज्जो नहीं देता और जो झूठ व मनगढंत हैं, उसे ही नए नए पैकेजिंग से नीमहकीमी तौर पर अंतिम सच मान लिया जाता है। कम से कम सेहत के लिए तो यह बहुत बुरी बात है। इससे हम अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं। ऊपर से तुर्रा यह कि ये सब अतिरिक्त जानकारी के गुमान में करते हैं। जरूरी यह है कि तमाम मिथकों से दूर होकर, उनसे जुड़ी सच्चाई को जानें।
बीफ… बीफ… बीफ
उत्तेजित होने के पहले अगर डिक्शनरी का सहारा ले लिया जाय तो बेहतर होगा। आजकल बस इस शब्द को मुंह से निकाल दीजिए कि कई लोग समूची संस्कृति गाथा सुनाने पर आमादा हो जाते हैं। मगर समझने वाली बात यह है कि बीफ का मतलब गाय का मांस नहीं होता। बीफ उन सभी जानवरों के मांस को कहते हैं जो दुधारू और आकार में बड़े होते हैं, जैसे भैंस, भैंसा, ऊंट, याक आदि ऐसे तमाम जानवर इसी श्रेणी में आते हैं। तो बीफ शब्द सुनने के बाद भर से नथुने न फुला लीजिए। थोड़ा समझिए क्योंकि कहीं कहीं तो सुअर के गोश्त को भी बीफ ही कहते हैं।
निगेटिव कैलोरी फूड का फंडा
आम बोलचाल में इन दिनों निगेटिव कैलोरी को बहुत स्मार्ट शब्द समझा जाता है। यह जीरो कैलोरी की अगली पीढ़ी का शब्द है। मगर निरानिर भ्रामक शब्द है यह। युनिवर्सिटी आॅफ अलबामा के न्यूट्रीशन साइंस डिपार्टमेंट के टिम गार्वे कहते हैं कि ‘‘निगेटिव कैलोरी फूड की परिभाषा तो यही हो सकती है कि ऐसे आहार जिससे शरीर को प्राप्त होने वाले कैलोरी और पोषकता की तुलना में उसे पचाने के लिए शरीर में मौजूद उससे अधिक कैलोरी खपत हो जाए। सिद्धांतिक तौर पर देखा जाए तो ऐसा होना संभव है लेकिन हकीकत यह है कि ऐसा कोई आहार नहीं है जिसे निगेटिव कैलोरी फूड कहा जाए।’’ न्यूट्रिशियनिस्ट मेरियॉन नेस्ले तो निगेटिव कैलोरी डाइट को केवल एक मिथ मानती हैं। अजवाइन या खीरे ही नहीं बल्कि शलजम, गाजर, फूलगोभी, पालक, अंगूर, स्ट्रॉबेरी, नींबू, तरबूज, ब्रॉकली, पपीते, लैटूस जैसे जैसी कम कैलोरी वाली कुछ खाद्य वस्तुओं को नेगेटिव कैलोरी फूड्स माना जाता है, लेकिन यह कुछ और नहीं बल्कि सिर्फ हमारी गलतफहमी है।
पाचन में चाहिए इनटेक कैलोरी का महज 10-30 फीसदी
खाने की स्मार्ट समझ फल और सब्जियां खाने में ही है क्योंकि ज्यादातर फलों और सब्जियों में फाइबर खूब होता है। वे धीरे-धीरे एनर्जी रिलीज करते हैं और ऊर्जा की सतत आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं।आमतौर पर डाइजेस्टिव यानी पाचन की प्रक्रिया में खर्च होने वाली कैलोरी आहार के जरिए हासिल कैलोरी का महज 10 फीसदी ही होता है। तथाकथित नेगेटिव कैलोरी या फ्री फूड्स के मामलों में पाचन क्रिया में लिए गए कैलोरी से अनुपात तकरीबन 20-30 फीसदी तक हो सकता है लेकिन इससे अधिक होना नहीं पाया गया है।
प्रोटीन का मिथक
इसी तरह का एक और मिथ यह है कि खूब प्रोटीन लें इससे मसल्स बनाने में मदद मिलती है। यह भ्रम सबसे ज्यादा जिम चलाने वाले फैलाते हैं ताकि वो जिम की फीस से कई गुना ज्यादा कमाई प्रोटीन सप्लीमेंट बेंचकर कर सकें।
हां, प्रोटीन का शरीर की इम्यूनिटी यानी प्रतिरोधक क्षमता और समग्र स्वास्थ्य में उपयोगी हिस्सेदारी है लेकिन वजन को कम करने और मांसपेशियों को गठीला बनाने के लिए खूब सारा प्रोटीन रिच सप्लीमेंट्स की पैरवी बेमानी है। किसी भी व्यस्क के लिए ली जाने वाली प्रोटीन की मात्रा प्रत्येक किलोग्राम वजन पर 0.8 ग्राम प्रोटीन प्रतिदिन पर्याप्त है। वहीं ऐसे लोग जो अपनी मांसपेशियों को गठीला बनाने का प्रयास करते हैं उनमें प्रोटीन इनटेक 1.0-1.5 ग्राम प्रति किलोग्राम वजन प्रतिदिन के हिसाब से अधिक नहीं होना ही बेहतर माना जाता है। नेशनल स्ट्रेंथ एंड कंडिशनिंग एसोसिएशन शरीर के वजन के हर एक किलोग्राम पर 1.5-2 ग्राम प्रोटीन लेने की सलाह देता है। बस इसका मतलब यह कि अगर आपका वजन 60 किलो है तो आप 120 ग्राम प्रोटीन ही ले सकते हैं। इससे ज्यादा नहीं।
जबकि समझने वाली बात यह है कि प्रोटीन मसल्स बनाने में इस्तेमाल होने वाला ईंधन भर है। अमीनो एसिड प्रोटीन का अहम हिस्सा है। मसल्स की ग्रोथ और रिकवरी के लिए इसे बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। हां, याद रखें कि एक ग्राम प्रोटीन में चार कैलोरी ऊर्जा होती है। प्रोटीन न केवल आपके शरीर में कैलोरी बढ़ाने का काम करता है, बल्कि हड्डियों से कैल्शियम भी कम करता है। इसलिए इस बात पर नजर रखना जरूरी है कि आप कितनी मात्रा में प्रोटीन ले रहे हैं। हालांकि विशेषज्ञ डायटिशियंस प्रोटीन को सप्लीमेंट के रूप में लिए जाने के खिलाफ हैं। उनके मुताबिक अतिरिक्त प्रोटीन चाहिए तो दूध, चीज़, सभी तरह के बीन्स, सूखे मेवे के अलावा नॉन-वेज में अंडे, मछलियां, चिकेन, पोर्क आदि को आहार में शामिल करें।
कई तरह की बातों का सच कुछ और
कुछ बातें समाज में इस कदर स्वीकृत होती हैं कि बिलकुल ब्रह्मवाक्य हो जाती हैं। उन्हें बोलने में कभी किसी को कोई खतरा नहीं होता इसलिए हर कोई हर किसी को ये बातें उपदेश की डोज में पिला देता है। ऐसी ही ये बात है कि भोजन सूरज ढलने से पहले ही ले लेना चाहिए। क्या वाकई इसका कोई अतिरिक्त फायदा होता है? विशेषज्ञों के मुताबिक हमारे शरीर को भोजन पचाने, उसे सोखने और वेस्ट यानी अवशिष्टों को अलग करने में कम से कम 10-12 घंटे का वक्त लगता है और शरीर में एनर्जी एक ही तरह से काम करती है, भले वक्त कोई भी हो। – आरडी राज
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