आपके सितारे क्या कहते है देखिए अपना साप्ताहिक राशिफल 29 May To 04 June 2022
गौर करें तो इन जाली नोटों की संख्या में सबसे ज्यादा 500 और 2000 रुपए के नोट हैं। कुल जाली नोटों में इन दोनों की संख्या 87.1 फीसदी है। यहां ध्यान देना होगा कि आरबीआई की रिपोर्ट में वो नकली नोट शामिल नहीं हैं, जिन्हें पुलिस, ईडी या अन्य एजेंसियों ने बरामद किया है। अगर दोनों आंकड़ों को जोड़ दिया जाए समझा जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक के पिछले वर्ष के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2017-18 और 2018-19 में भी नकली नोटों की संख्या में भारी वृद्धि हुई।
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक 2016-17 में 500 रुपए के नकली नोटों की संख्या सिर्फ 199 थी जो 2018-19 में बढ़कर 22,000 पहुंच गयी। गत वर्ष पहले सरकार की एक रिपोर्ट से उद्घाटित हुआ था कि पिछले दस सालों में देश के बैंकिंग तंत्र में लेनदेन के दौरान नकली मुद्रा पकड़े जाने के मामले तेजी से बढ़े हैं।
जबकि 2007-08 में सरकार ने पहली बार यह अनिवार्य किया था कि निजी बैंकों और देश में संचालित सभी विदेशी बैंकों के लिए नकली मुद्रा पकड़े जाने संबंधी किसी भी घटना की जिम्मेदारी धनशोधन रोधी कानूनों के प्रावधान के तहत वित्तीय खुफिया इकाई फाइनेंसियल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू) को देना होगा। नकली नोटों के लगातार बढ़ते आंकड़ों से साफ है कि देश में बड़े पैमाने पर नकली नोटों का प्रवाह जारी है।
नोटबंदी से पहले के एक आंकड़े के मुताबिक रिजर्व बैंक और जांच एजेंसियों की संख्ती के बावजूद भी भारतीय बाजार में मौजूद साढ़े ग्यारह लाख करोड़ रुपए की करेंसी में बड़ी संख्या में नकली नोट मौजूद होने का खुलासा हुआ था। यह भी आशंका जाहिर किया गया था कि यह आंकड़ा चार सौ करोड़ रुपए से भी अधिक हो सकता है। नोटबंदी से पहले देश के विभिन्न बैंकों के एटीएम से नकली नोट निकल रहे थे। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के कई बैंकों के चेस्ट में भारी मात्रा में नकली नोट पाए गए थे।
गत वर्ष पहले देश की राजधानी दिल्ली में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 6 करोड़ रुपए के नकली नोटों के साथ दो लोगों को गिरफ्तार किया था। दिल्ली पुलिस द्वारा खुलासा किया गया था कि नकली नोटों के ये सौदागर पिछले दो वर्ष से देश के विभिन्न हिस्सों में हर दिन तीन करोड़ रुपए भेज रहे थे। 2012-13 में एफआईसी ने नकली नोटों की तस्करी के मामले दर्ज किए थे और इस दौरान पांच पाकिस्तानियों को गिरफ्तार किया गया था।
आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2010 में तकरीबन 1600 करोड़ रुपए की नकली करेंसी नेपाल और बांग्लादेश के जरिए भारत भेजी गई। इसी तरह वर्ष 2011 में 2000 करोड़ रुपए की नकली करेंसी भेजी गई। इस फेक करेंसी में तकरीबन 60 प्रतिशत हिस्सा पाकिस्तान में छापा गया था। वर्ष 2015 में भी इन रास्तों से तकरीबन 3 करोड़ से ज्यादा की करेंसी पकड़ी गई।
भारत सरकार ने नकली नोटों पर अंकुश रखने के उपाय सुझाने के लिए शैलभद्र बनर्जी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जिसने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। इस रिपोर्ट पर अमल करते हुए मुद्रा निदेशालय में अतिरिक्त सचिव स्तर का महानिदेशक का पद सृजित किया गया है। इसके अलावा कई अन्य और कदम उठाए गए हैं। मसलन सरकार ने बेहद सुरक्षित किस्म के कागजों पर नोट छापने का निर्णय लिया है। इसके लिए मैसूर में एक आधुनिक तकनीक पर आधारित करेंसी कागज बनाने का कारखाना लगाया गया है। इस कारखाने में निर्मित करेंसी कागज की नकल करना किसी के लिए भी आसान नहीं है।
नकली नोटों के अवैध धंधे को रोकने के लिए वित्त मंत्रालय, गृह मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक एवं केंद्र तथा राज्य सरकारों की सुरक्षा एवं खुफिया एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं। एजेंसियों के बीच तालमेल बनाए रखने के लिए गृहमंत्रालय में एक संयोजन समिति का गठन किया गया है। इसके अलावा रिजर्व बैंक ने नकली नोटों पर लगाम लगाने के लिए गत वर्ष पहले एक तरफ बिना छपाई वर्ष वाले 2005 से पुराने नोटों को परिचालन से बाहर कर दिया है।
बेहतर होगा कि भारत सरकार नकली नोटों की समस्या से निपटने के लिए और कड़ा कदम उठाए। इसमें अमेरिका मददगार साबित हो सकता है। इसलिए कि उसके पास नकली नोटों से निपटने की उच्च प्रौद्योगिकी विद्यमान है|
तथा साथ ही उसके पास हर नकली अमेरिकी डॉलर का फोटो सहित डाटाबेस भी उपलब्ध है। उसे जानकारी हो जाती है कि नकली डॉलर कहां और किस रास्ते से आता है और इसे लाने वाले लोग कौन लोग हैं। अगर भारत भी अमेरिकी प्रौद्योगिकी की सहायता लेता है तो नि:संदेह नकली नोटों पर नियंत्रण कसने में मदद मिलेगी। नकली करेंसी पर लगाम लगाना बहुत जरूरी है।