नृपेन्द्र अभिषेक नृप
दीपावली के इस अवसर पर हमें यह प्रण लेना चाहिए कि हम समाज में व्याप्त असमानताओं और भेदभाव को समाप्त करने के लिए कार्य करेंगे। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति को समान अधिकार और सम्मान मिले, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या समुदाय से हो। दीपावली का पर्व हमें यह सिखाता है कि जैसे दीपों की रोशनी पूरे वातावरण को एक समान रूप से प्रकाशित करती है, वैसे ही हमें समाज के हर व्यक्ति के जीवन में समानता और न्याय की रोशनी फैलानी चाहिए।
दीपावली भारतीय संस्कृति और परंपरा का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। यह केवल दीपों का त्योहार नहीं है, बल्कि समाज में समरसता, एकजुटता, सामूहिकता और सौहार्द का संदेश भी देता है। दीपावली की ज्योति न केवल हमारे घरों और आस-पास के वातावरण को रोशन करती है, बल्कि यह हमारे हृदय और समाज में एकता और भाईचारे का प्रकाश भी फैलाती है। जब दीपावली के दीप जलते हैं, तो वे यह संदेश देते हैं कि जैसे ये दीप मिलकर अंधकार को दूर करते हैं, वैसे ही समाज में विविधताओं के बावजूद सामूहिकता और मेलजोल से ही हम अज्ञानता, असमानता और वैमनस्य के अंधकार को समाप्त कर सकते हैं।
सामूहिक पर्व
दीपावली का सबसे प्रमुख पहलू यह है कि यह सामूहिकता और सामाजिक मेलजोल का प्रतीक है। यह पर्व केवल किसी एक जाति, धर्म या समुदाय का नहीं है, बल्कि सभी भारतीयों के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है। चाहे हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई हो, हर कोई इस त्योहार को अपनी सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मनाता है। विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोग दीपावली के अवसर पर एक साथ मिलते हैं, एक-दूसरे को मिठाइयां और उपहार देते हैं, और सामाजिक भेदभाव को भुलाकर भाईचारे का संदेश देते हैं।
दीपावली के दौरान घर-घर में होने वाली साफ-सफाई, सजावट, दीप जलाना और लक्ष्मी पूजन न केवल धार्मिक अनुष्ठान हैं, बल्कि ये सामाजिक अनुशासन, एकजुटता और सहयोग की भावना को भी प्रकट करते हैं। इस समय लोग अपने घरों को सजाते हैं और उन्हें दूसरों के स्वागत के लिए तैयार करते हैं। यह एक ऐसा समय होता है जब समाज के सभी वर्गों के लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर त्योहार मनाते हैं, जिससे समाज में एकजुटता और सामूहिकता का वातावरण बनता है।
विविधता में एकता: विभिन्न धर्मों और समुदायों का सहभाग
भारत जैसे विविधता से भरे देश में, जहां कई धर्म, जातियां और भाषाएँ हैं, दीपावली जैसे त्योहार समाज को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस अवसर पर लोग धार्मिक और सांस्कृतिक भिन्नताओं को भुलाकर एकजुट होते हैं। मुसलमान, ईसाई, सिख और अन्य धर्मों के लोग भी दीपावली की खुशियों में शामिल होते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह पर्व केवल हिंदू धर्म तक सीमित नहीं है। सभी धर्मों और समुदायों के लोग दीप जलाकर, पटाखे चलाकर और मिठाइयों का आदान-प्रदान कर इस त्योहार को एक सामूहिक उत्सव के रूप में मनाते हैं।
इसके अतिरिक्त, विभिन्न धार्मिक समुदायों के लोग एक-दूसरे के घर जाकर शुभकामनाएं देते हैं, जिससे आपसी मेलजोल और सौहार्द को बढ़ावा मिलता है। दीपावली का यह पहलू हमें यह सिखाता है कि धर्म और संस्कृति भिन्न हो सकते हैं, लेकिन मानवीय संवेदनाएं और मूल्य एक समान होते हैं। इस प्रकार दीपावली समाज में समरसता और सौहार्द का वातावरण तैयार करती है।
आपसी मेलजोल और भाईचारा
दीपावली का पर्व आपसी मेलजोल और भाईचारे का प्रतीक है। इस समय समाज के सभी वर्गों के लोग चाहे वे धनी हों या गरीब, एक-दूसरे के साथ समान रूप से त्योहार की खुशियों में शामिल होते हैं। यह पर्व सामाजिक असमानता को मिटाने का भी संदेश देता है। दीपावली के दौरान अमीर और गरीब के बीच का भेद मिट जाता है, क्योंकि हर कोई दीप जलाता है, मिठाई बांटता है और खुशियों का आदान-प्रदान करता है।
इसके अलावा, दीपावली के अवसर पर लोग अपने पुराने झगड़े और मतभेद भूलकर एक नए सिरे से संबंधों की शुरूआत करते हैं। यह पर्व हमें सिखाता है कि छोटे-छोटे मतभेदों को भुलाकर हमें एक-दूसरे के साथ सामंजस्यपूर्ण संबंध बनाना चाहिए। समाज में जब लोग आपसी विवादों और वैमनस्य को भूलकर एकजुट होते हैं, तभी सच्चे अर्थों में सामाजिक समरसता की स्थापना हो सकती है।
सामूहिकता की भावना
दीपावली का पर्व सामूहिकता की भावना को भी उजागर करता है। दीपावली के दौरान लोग सामूहिक रूप से विभिन्न सामाजिक कार्यों में भाग लेते हैं, जैसे कि सफाई अभियान, सामुदायिक पूजा, और निर्धनों को सहायता देना। समाज के कई हिस्सों में दीपावली के समय गरीब और जरूरतमंद लोगों को भोजन, कपड़े और उपहार दिए जाते हैं, जिससे समाज में समानता और एकजुटता की भावना बढ़ती है।
सामाजिक संगठनों और समुदायों द्वारा आयोजित सामूहिक कार्यक्रमों में लोग बड़ी संख्या में भाग लेते हैं, जिससे एकता और सहयोग की भावना का विकास होता है। ये सामूहिक कार्यक्रम न केवल त्योहार की खुशियों को बढ़ाते हैं, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच की दूरी को भी कम करते हैं। जब लोग एक साथ मिलकर किसी कार्य में संलग्न होते हैं, तो वे अपने व्यक्तिगत स्वार्थों को भूलकर समाज के कल्याण के लिए काम करते हैं। यह भावना दीपावली के मूल संदेश के साथ मेल खाती है, जो है झ्र एकता में शक्ति।
सामाजिक समरसता का संदेश
दीपावली का असली अर्थ है ‘अंधकार से प्रकाश की ओर’ जाना, अर्थात अज्ञानता, असमानता और भेदभाव के अंधकार से ज्ञान, समानता और समरसता के प्रकाश की ओर बढ़ना। इस पर्व का उद्देश्य न केवल भौतिक जीवन में उजाला लाना है, बल्कि हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन को भी प्रकाशित करना है। दीपावली हमें यह सिखाती है कि समाज में केवल तब ही वास्तविक प्रगति हो सकती है जब हम एकजुट होकर काम करें और सभी के लिए समान अवसर प्रदान करें।
दीपावली केवल एक धार्मिक या सांस्कृतिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह सामाजिक समरसता, एकता और भाईचारे का प्रतीक है। इस पर्व के माध्यम से हम यह संदेश पाते हैं कि समाज में विविधताओं के बावजूद हम सभी एक ही समाज के अंग हैं और हमें एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए। दीपावली का अवसर हमें अपने समाज में समरसता, समानता और आपसी मेलजोल को बढ़ावा देने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है। जब हम दीप जलाते हैं, तो हमें यह याद रखना चाहिए कि इस प्रकाश के साथ हमें अपने समाज से अज्ञानता, असमानता और वैमनस्य के अंधकार को भी मिटाना है।
दीपावली का यह पर्व हमें सिखाता है कि सच्ची खुशी केवल तब ही प्राप्त हो सकती है जब समाज का हर व्यक्ति खुश और संतुष्ट हो। इसलिए, इस दीपावली पर हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम समाज में भाईचारे, एकता और समरसता को बढ़ावा देंगे, ताकि हमारा समाज एक उज्जवल और समृद्ध भविष्य की ओर अग्रसर हो सके।