Friday, May 9, 2025
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कमाई लाजवाब, क्रांतिधरा में हर तरफ खतरे के कुएं

  • शहर में स्विमिंग पूल की भरमार, पूल निर्माण और संचालन के लिए नहीं है कोई नियम
  • फीस दीजिए और स्विमिंग कीजिए की तर्ज पर चल रहे क्रांतिधरा में स्विमिंग पूल

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: न नियम हैं और न कोई मानक। है तो सिर्फ और सिर्फ मोटी कमाई। इसके चलते क्रांतिधरा में दर्जनभर से अधिक स्विमिंग पूल धड़ाधड़ खुल रहे हैं। इन पर अंकुश लगाने वाला कोई नहीं है। भले ही अवैध तरीकों से बने यह पूल लोगों के लिए जानलेवा ही साबित हो रहे हैं। बीते शुक्रवार को जेवरी में स्थित एक पूल में युवक की डूबने से मौत होने के बावजूद अवैध पूल्स के संचालन के लिए कोई गाइडलाइन नहीं तय की गई। गर्मी का मौसम शुरू होते ही शहर में जगह-जगह स्विमिंग पूल खुल गए हैं।

न कोई नियम, न कोई कानून। बस गोरखधंधे की तरह गलियों में स्विमिंग पूल शुरू कर दिए हैं। पूल संचालकों के पास न तो कोई एनओसी है और न ही प्रशिक्षित कोच। नियमों को दरकिनार कर खोले गये इन स्विमिंग पूल में रोजाना लाखों लीटर पानी बर्बाद होता है। ऐसे में लगातार भूजल दोहन से भूगर्भ जल स्तर गिर रहा है, लेकिन इस तरफ किसी का ध्यान नहीं है। निगम अधिकारियों को तो ये तक नहीं पता कि पूल खोलने के लिए कोई नियम भी होता है।

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क्रांतिधरा में माजूदा समय में दर्जनभर से अधिक स्विमिंग पूल संचालित किए जा रहे हैं। इन स्विमिंग पूल्स पर अनुभव स्विमिंग सीखने वालों की संख्या कम और शौकीनों की संख्या ज्यादा है। प्रोफेशन खिलाड़ियों को तो स्विमिंग पूल के खतरों के बारे में बखूबी पता है, लेकिन शौकिया नहाने वालों को इसकी जानकारी नहीं होती है। ऐसे में उनकी जान पर हर समय खतरा बना रहता है।

क्रांतिधरा के विभिन्न इलाकों में खुले स्विमिंग पूल्स के निर्माण में ना तो मानकों का ध्यान रखा गया है और न ही यहां पर ट्रेनिंग के वक्त सुरक्षा की कोई व्यवस्था होती है। शहर में गंगानगर, मवाना रोड, कंकरखेड़ा, मोदीपुरम, एनएच-58 के कुछ फार्म हाउस आदि में इस समय दर्जनभर से ज्यादा स्विमिंग पूल चल रहे हैं। एक भी नियमानुसार नहीं है। इनमें तो कुछ तो ऐसे भी हैं, जो प्लाट की चारदीवारी कर तैयार कर दिए गए हैं।

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वहीं, इस संबंध में प्रांतीय क्रीड़ा अधिकारी, कैलाश प्रकाश स्टेडियम व तैराकी कोच जीडी बारीकी का कहना है कि शहर के ज्यादातर स्विमिंग पूल में मानकों की अनदेखी की जा रही है। वहीं, तैराकी के दौरान स्विमिंग पूल में जाने से कोई बीमारी होने का खतरा नहीं होता है। क्योंकि पूल का पानी पूरी तरह से फिल्टर किया गया होता है व उसमें बीमारियों से बचाव के लिए हर तरह के केमिकल्स डाले जाते हैं। यदि कोई तैराक बाहर से बीमार होकर आता है तो वह भी पूल के पानी में जाने के बाद ठीक हो जाता है।

बनता जा रहा कमाई का संसाधन

स्विमिंग में नहा रहे युवकों ने बताया कि यह स्विमिंग पूल तो एक कमाई का संसाधन बनता जा रहा है। एक छोटा-सा पूल बनवाकर लोगों से मोटी फीस वसूली जा रही है। किसी भी पूल में 500 रुपये से कम फीस नहीं है। फिर जिस पूल में 10 लोगों के तैरने की क्षमता है, उसमें एक साथ 35-35 लोग उतार दिए जाते हैं।

बिना एनओसी के चल रहे स्विमिंग पूल

कोविड की वजह से दो साल बाद स्विमिंग पूलों को खोलने की अनुमति मिली तो क्रांतिधरा में इनका संचालन भी शुरू हो गया, लेकिन अब तक जिले के किसी भी स्विमिंग पूल को जिला प्रशासन की ओर से पूल संचालन के लिए एनओसी नहीं दी गई है।

लाइफ गार्ड की है खासी कमी

50 मीटर स्विमिंग पूल के लिए चार और 25 मीटर स्विमिंग पूल के लिए दो लाइफ गार्ड को नियुक्त करना होता है। ये हर तरह की आपात स्थिति को संभालने के लिए प्रशिक्षित और सक्षम होने चाहिए, लेकिन शहर के स्विमिंग पूल संचालकों के पास लाइफ गार्ड नहीं हैं और इनका काम तैराकों से लिया जा रहा है।

पूल के मानक

  • वर्तमान में स्विमिंग पूल के लिए पूल की लंबाई 50 मीटर और चौड़ाई 25 मीटर होनी चाहिए। गहराई दो मीटर होनी चाहिए।
  • डाइविंग के लिए तैयार पूल की गहराई कम से कम पांच मीटर होनी चाहिए। जबकि लंबाई और चौड़ाई 12 गुणे 12 होनी चाहिए।

अंधाधुंध जल दोहन, नहीं किसी की नजर

भूगर्भ जल दोहन में नियमावाली स्पष्ट है। इसके लिए प्रदूषण, भूगर्भ जल विभाग के साथ ही नगर निगम से एनओसी लेनी होती है। जल दोहन करने वाले को उतना ही जल भूगर्भ में रिचार्ज करना होता है। इसके लिए वॉटर हार्वेस्टिंग प्लांट आदि लगाना होता है, लेकिन किसी भी स्विमिंग पूल संचालक ने ऐसा कोई सिस्टम अपने यहां नहीं लगाया है। जबकि नियमानुसार पूल में भरे पानी को रीसाइकिल कर दोबारा प्रयोग करना चाहिए, लेकिन ये लोग अंधाधुंध जल दोहन कर रोजाना पूल के पानी को नालों में बहा रहे हैं।

स्विमिंग पूल में हुई दुर्घटनाएं

  1. 27 मई-22: जेवरी स्थित डम-डम डिगा स्विमिंग पूल में डूबकर युवक की मौत।
  2. 22 मार्च-21: समर गार्डन में मिलन पैलेस में बने स्विमिंग पूल में नहाने गए युवक की डूबने से मौत।
  3. 20 जून-18: लिसाड़ी गेट क्षेत्र में नूरनगर पुलिया के पास स्विमिंग पूल में डूबने से एक छात्र की मौत।
  4. 17 मई-17: जिटौली और जेवरी गांव के बीच खेत में बने स्विमिंग पूल में डूबने से युवक की मौत।
  5. 27 जुलाई-15: आरवीसी सेंटर के स्विमिंग पूल में डूबकर डिफेंस कालोनी के युवक की मौत।
  6. 26 जून-13: लिसाड़ी गेट के पिलोखड़ी पुल के पास वाटर लैंड स्विमिंग पूल में युवक की मौत।
  7. 18 अप्रैल-10: खरखौदा क्षेत्र स्थित जमुनानगर के स्विमिंग पूल में डूबने से युवक की मौत।
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