जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: आज बुधवार को एक बार फिर हरियाणा के शिकोपुर लैंड डील मामले में रॉबर्ट वाड्रा से पूछताछ जारी है। इस दौरान वे लगातार दूसरे दिन (ED) प्रवर्तन निदेशालय पहुंचे। लेकिन रॉबर्ट के साथ आज उनकी पत्नी और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी भी ईडी दफ्तर पहुंची। हालांकि, रॉबर्ट से पूछताछ शुरू हो चुकी हैं, और उनकी पत्नी को ईडी के हेडक्वाटर के (Waiting room) वेटिंग रूम में बैठाया गया है। वहीं, शिकोपुर लैंड डील मामले में रॉबर्ट वाड्रा से पूछताछ के चलते कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने दिल्ली सहित कई राज्यों में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।
मीडिया से बात करते हुए बोले वाड्रा?
इस दौरान ईडी दफ्तर पहुंचने से पहले रॉबर्ट वाड्रा ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हम किसी से डरते नहीं हैं। हम निशाने पर हैं क्योंकि हम प्रासंगिक हैं। चाहे राहुल गांधी को संसद में रोका जाए या मुझे बाहर रोका जाए। हम सॉफ्ट टारगेट नहीं हैं, हम हार्ड टारगेट हैं।”
आगे वाड्रा ने कहा, कि जिस केस में उन्हें सवालों का सामना करना पड़ रहा है, उसमें हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में उन्हें दो बार क्लीन चिट मिल चुकी है। वाड्रा ने सवाल उठाया कि सात साल बाद उन्हीं सवालों को फिर से उठाना क्या दर्शाता है? उन्होंने जोर देकर कहा, “मैं कभी भी नजरअंदाज नहीं करूंगा, मैं पूरी मजबूती से यहां आया हूं और सभी सवालों के जवाब दूंगा।”
आगे उन्होंने ने कहा, “आज हम झेल रहे हैं, लेकिन समय बदलेगा तो हो सकता है कि उन्हें भी झेलना पड़े। मुझे किसी चीज से डर नहीं लगता, कोई चीज छुपी नहीं है। मैं सत्य में विश्वास करता हूं और मुझे भरोसा है कि अंत में सत्य की ही जीत होगी।”
कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने ईडी के खिलाफ किया विरोध प्रदर्शन
ईडी की कार्रवाई के विरोध में देशभर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं और भारतीय युवा कांग्रेस (IYC) ने जोरदार प्रदर्शन किया। दिल्ली स्थित AICC कार्यालय के बाहर भी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार और ईडी के खिलाफ नारेबाजी की।
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार जांच एजेंसियों का राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ दुरुपयोग कर रही है और लोकतांत्रिक संस्थानों को कमजोर किया जा रहा है।
फेसबुक (Facebook) पर पोस्ट शेयर कर जताई नाराजगी
ईडी दफ्तर जाने से पहले रॉबर्ट वाड्रा ने फेसबुक पर लिखा, “मेरे जन्मदिन के सप्ताह की सेवा कुछ दिनों के लिए रोक दी गई है। मैंने बुजुर्गों को भोजन कराने और बच्चों को उपहार देने की योजना बनाई थी।” उन्होंने कहा, “लोगों की जरूरतों को पूरा करने से मुझे कोई नहीं रोक सकता। मैं किसी भी अन्यायपूर्ण दबाव का सामना करने के लिए तैयार हूं।”
बता दें कि, बीते दिन यानि मंगलवार को भी ईडी ने रॉबर्ट वाड्रा से करीब छह घंटे तक पूछताछ की थी। उस दिन भी उन्होंने ईडी की कार्रवाई को “राजनीतिक प्रतिशोध” करार दिया था और कहा था कि अल्पसंख्यकों की आवाज उठाने पर उन्हें टारगेट किया जा रहा है।
आखिर क्या हैं गुरूग्राम जमीन विवाद का पूरा सच?
यह मामला 2008 में शुरू हुआ, जब स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने ऑनकारेश्वर प्रॉपर्टीज से 3.53 एकड़ जमीन 7.5 करोड़ रुपये में खरीदी। उस समय हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी, और भूपिंदर सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे।
आरोप है कि हुड्डा के प्रभाव के कारण स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी को इस जमीन के 2.701 एकड़ हिस्से पर कमर्शियल कॉलोनी विकसित करने का लाइसेंस मिला। 18 सितंबर 2012 को स्काईलाइट ने इस जमीन को DLF यूनिवर्सल लिमिटेड को 58 करोड़ रुपये में बेच दिया, जिससे कंपनी को लगभग 50 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ।
आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने इस सौदे को यिा रद्द?
2012 में हरियाणा के (IAS) आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने इस सौदे की म्यूटेशन (स्वामित्व हस्तांतरण) को रद्द कर दिया था। खेमका ने तर्क दिया कि म्यूटेशन को मंजूरी देने वाला सहायक समेकन अधिकारी इसके लिए सक्षम नहीं था। इसके अलावा, उन्होंने आरोप लगाया कि यह सौदा हरियाणा के समेकन कानूनों का उल्लंघन करता है। खेमका के इस कदम के बाद उन्हें विभाग से हटा दिया गया, जिसे उन्होंने उत्पीड़न करार दिया।
कैसे शुरू हुई रॉबर्ट वाड्रा की जांच शुरूआत?
1 सितंबर 2018 को नूंह के निवासी सुरेंद्र शर्मा की शिकायत पर गुरुग्राम के खेरकी दौला पुलिस स्टेशन में वाड्रा, हुड्डा, DLF, और ऑनकारेश्वर प्रॉपर्टीज के खिलाफ FIR दर्ज की गई। FIR में भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के लिए जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज का उपयोग), 120-बी (आपराधिक साजिश), और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 के तहत मामला दर्ज किया गया।
सुरेंद्र शर्मा ने आरोप लगाया कि हुड्डा के प्रभाव से स्काईलाइट को लाइसेंस मिला, और DLF को वजीराबाद में 350 एकड़ जमीन नियमों का उल्लंघन कर आवंटित की गई, जिससे DLF को 5,000 करोड़ रुपये का फायदा हुआ।
जनवरी 2019 में ED ने इस FIR के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया। ED का दावा है कि इस सौदे में अनियमितताएं थीं, और यह जांच कर रही है कि क्या यह मुनाफा अवैध तरीकों से अर्जित किया गया।
हरियाणा सरकार ने किया हाई कोर्ट का रूख
अप्रैल 2023 में हरियाणा सरकार ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा कि स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी और DLF के बीच सौदे में कोई नियम-कानून का उल्लंघन नहीं हुआ। मानेसर के तहसीलदार की रिपोर्ट के अनुसार, 18 सितंबर 2012 को हुआ यह हस्तांतरण भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908 के अनुरूप था।
हालांकि, सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि यह तहसीलदार की रिपोर्ट को “क्लीन चिट” के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। विशेष जांच दल (SIT) अभी भी इस मामले की जांच कर रहा है, जिसमें वित्तीय लेनदेन और संभावित आपराधिक साजिश की पड़ताल की जा रही है।
नवंबर 2023 में हाई कोर्ट ने हरियाणा पुलिस को जांच की धीमी गति के लिए फटकार लगाई और इसे जल्द पूरा करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि 2018 में दर्ज FIR पर पांच साल बाद भी कोई ठोस प्रगति नहीं हुई।
अशोक खेमका ने क्या लगाए आरोप?
2015 में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कांग्रेस शासन के दौरान स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। CAG ने नोट किया कि स्काईलाइट की जमीन तक पहुंच के लिए कोई आंतरिक सड़क नहीं थी, फिर भी टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने इस शर्त को माफ कर दिया।
खेमका ने 2013 में अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि स्काईलाइट की बैलेंस शीट में 2008 में 7.94 करोड़ रुपये का बुक ओवरड्राफ्ट गलत दिखाया गया। उन्होंने कहा कि ऑनकारेश्वर प्रॉपर्टीज स्काईलाइट की 7.95 करोड़ रुपये की देनदार थी, और वास्तविक बैंक बैलेंस केवल 1 लाख रुपये था।
ऐसे किया रॉबर्ट वाड्रा ने आरोपों को खारिज
वाड्रा ने हमेशा इन आरोपों को खारिज किया है। 2023 में हाई कोर्ट के हलफनामे के बाद उन्होंने फेसबुक पर लिखा, “मैंने हमेशा ईमानदारी से काम किया। बीजेपी की झूठी आरोपों और छापेमारी के बावजूद मैंने सभी दस्तावेज उपलब्ध कराए।
हरियाणा सरकार की रिपोर्ट से साफ है कि मेरे लेनदेन में कोई गड़बड़ी नहीं थी।” 15 अप्रैल 2025 को ED दफ्तर पहुंचने पर उन्होंने कहा, “मुझे कोई डर नहीं। यह 20 साल पुराना मामला है, और मैं सभी सवालों का जवाब देने को तैयार हूं।”