Wednesday, June 7, 2023
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HomeUttar Pradesh NewsMuzaffarnagarजैन समाज व मुस्लिमों के बीच दूरियां बढ़ाने का प्रयास

जैन समाज व मुस्लिमों के बीच दूरियां बढ़ाने का प्रयास

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  • दोनों समुदाय के लोगों ने आगे आकर सौहार्द्र की दी मिसाल

  • मुस्लिमों के बढ़ने से जैन समाज के पलायन की उड़ाई गयी अफवाह

  • जैन समाज के लोगों ने कहा, अपनी तरक्की के लिए छोड़ा गांव

  • गांव में जैन समाज के लोग न होने से मस्दिर को किया जा रहा स्थानांतरित

जनवाणी संवाददाता |

बुढ़ाना: मुजफ्फरनगर के कस्बा बुढ़ाना के गांव हुसैनपुर कलां अचानक चर्चाओं में आ गया है। चर्चाओं में आने का कारण है यहां से जैन समाज के 500 साल पुराने मन्दिर को स्थानांतरित किये जाने का मामला। अफवाह फैलाई गयी कि मुस्लिम समाज के बढ़ने के चलते जैन समाज के लोगों ने गांव को अलविदा कह दिया।

इस अफवाह के बाद जैन व मुस्लिम दोनों समाज के लोग आगे आये और उन्होंने इस अफवाह का न केवल खंडन किया, बल्कि हुसैनपुर कलां में जैन समाज व मुिस्लम समाज के बीच आपसी सौहार्द्र के किस्से भी सुनाये। जैन समाज के लोगों ने स्पष्ट किया कि उनकी संख्या गांव में पहले ही बहुत कम थी, फिर बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने व कारोबार बाहर होने के कारण उन्होंने गांव को छोड़ दिया। गांव के मुस्लिम समाज के लोगों का उन्हें बहुत स्नेह मिलता था।

बुढ़ाना तहसील का गांव हुसैनपुर कलां एक ऐतिहासिक गांव है और इस गांव का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है। इस गांव में सभी सम्प्रदाय के लोग निवास करते हैं और कभी भी इस गांव में किसी तरह का साम्प्रदायिक तनाव नहीं बना है। इस गांव में जैन समाज के भी लगभग 200-250 लोग रहा करते थे। जैन समाज का एक मन्दिर भी इस गांव में था। पिछले काफी सालों से जैन समाज के लोगों ने गांव से पलायन शुरू कर दिया था और वह बुढ़ाना के अलावा महानगरों में जाकर बस गये थे।

जैन समाज के पलायन का कारण सामाजिक तरक्की करना व बच्चों की उच्च शिक्षा रहा था। अभी हाल में गांव में जैन समाज की जनसंख्या नगण्य हो गयी थी, जबकि गांव में स्थित चन्द्रप्रभू दिगम्बर जैन मन्दिर आज भी स्थित है। इस मन्दिर में चन्द्रप्रभू दिगम्बर जैन भगवान समेत 11 भगवानों की प्राचीन प्रतिमाएं हैं। हालांकि गांव के इस मन्दिर में पुजारी रखा गया था, परन्तु समाज के लोग न होने के कारण इस गांव के मन्दिर की अच्छे से देखभाल नहीं हो पा रही थी और 500 साल पुराना यह मन्दिर जीर्णशीर्ण होने लगा था।

जैन समाज के जिम्मेदार लोगों द्वारा निर्णय लिया गया कि जब गांव में जैन समाज का कोई व्यक्ति रहता ही नहीं है, तो ऐसे में मन्दिर में विराजमान भगवानों की पूजा भी नहीं हो पाती है। उन्होंने निर्णय लिया कि गांव के मन्दिर में विराजमान चन्द्रप्रभू दिगम्बर जैन भगवान समेत सभी 11 मूर्तियों का बुढ़ाना स्थित मन्दिर में विराजमान किया जायेगा। बनाई गयी रूपरेखा के अनुसार गांव हुसैनपुर से मूर्तियों को बैंडबाजों के साथ बुढ़ाना लाकर विधि विधान से स्थापित किया जायेगा।

अफवाहों से जैन व मुस्लिम समाज में दूरियां बढ़ाने का प्रयास

जनपद मुजफ्फरनगर का इतिहास रहा है कि जैन समाज के लोगों की आबादी अक्सर मुस्लिम समाज के लोगों के साथ रहती है। दोनों समाज के लोगों के बीच मधुर संबंध रहते हैं। बुढ़ाना के हुसैनपुर कलां में भी जैन समाज मुस्लिम आबादी के बीच रहता था। जमाने बदलना शुरू हुआ, तो जैन समाज के लोगों ने कारोबार व बच्चों की शिक्षा को देखते हुए हुसैनपुर कलां से पलायन शुरू कर दिया। कुछ लोग नजदीकी कस्बे बुढ़ाना में जाकर बस गये, तो कुछबड़े महानगरों में चले गये। अब समय यह है कि गांव में एक भी जैन समाज का व्यक्ति नहीं है।

हालांकि जैन समाज व मुस्लिम समाज के लोगों के बीच संबंध आज भी मधुर हैं और जैन समाज के लोग हुसैनपुर कलां जाते हैं, तो मुस्लिम समाज के लोग उनका सत्कार करते हैं। जैन समाज का मन्दिर इसलिए जीर्णशीर्ण होने लगा था, क्योंकि यहां पर जैन समाज का एक भी परिवार नहीं रहता था और मन्दिर में स्थापित भगवानों की पूजा भी नहीं हो पाती थी। जैन समाज के जिम्मेदार लोगों द्वारा फैसला लिया गया कि मन्दिर में रखी सभी मूर्तियों को बुढ़ाना के मन्दिर में स्थापित किया जायेगा, जिसके लिए कार्येक्रम आयेाजित किया जा रहा है। कार्यक्रम में यह भी तय हुआ था कि यह स्थापना बैंड बाजों के साथ धूमधाम से की जायेगी। इस कार्यक्रम को कुछ लोगों ने दूसरे नजरिये से देखना शुरू किया और अफवाह फैला दी कि मुस्लिम आबादी बढ़ने के चलते जैन समाज के लोगों का पलायन हुआ है।

दोनों समाज के लोगों ने रखे अपने पक्ष

जैन समाज व मुस्लिम समाज के बीच दूरियां पैदा करने वाले लोगों को आईना दिखाने के लिए जैन व मुस्लिम समाज के लोग सामने आये हैं। हुसैनपुर कलां के प्रधान पति सरवर खान ने कहा कि जैन समाज व मुस्लिम समाज के लोगों के बीच गांव में भाईचारा है और किसी भी तरह का कोई विवाद नहीं है। मुस्लिम समाज के लोगों को जैन समाज के मन्दिर को पूरा सम्मान देते हैं और उनके द्वारा प्रयास किया गया कि जैन समाज का यह मन्दिर मौजूदा स्थान पर ही रहे, परन्तु जैन समाज के लोगों ने सर्वसम्मति से फैसला लिया है।

दूसरी ओर हुसैनपुर कलां के जैन मन्दिर कमैटी के अध्यक्ष प्रमोद कुमार जैन ने कहा कि गांव में जैन समाज व मुस्लिम समाज के लोगों के बीच प्यार-मौहब्बत है और दोनों समुदाय के लोग एक-दूसरे के धर्म का सम्मान करते हैं। मुस्लिम समाज का कोई व्यक्ति जब हज के लिए जाते है, तो वह जैन धर्म के लोगों से भी आर्शीवाद लेता है। जैन समाज का कोई कार्यक्रम होता है, तो उसमें भी मुस्लिमों की सहभागिता रहती है।

बुढ़ान जैन मन्दिर कमेटी के अध्यक्ष महेशचंद जैन ने बताया कि मन्दिर की मूर्तियों को बुढ़ाना के मन्दिर में स्थापित करने के लिए जैन समाज के गणमान्य लोगों द्वारा स्वयं लिया गया है और यह फैसला किसी दबाव में नहीं लिया गया, बल्कि इसलिए लिया गया है कि गांव में समाज का कोई भी व्यक्ति नहीं रहता है, जिसके चलते मन्दिर में पूजा-पाठ भी नहीं हो पाती है और मन्दिर में पूजा-पाठ न होना अशुभ माना जाता है। इसके अलावा डा. पवन जैन, प्रवतेश जैन, सतपाल जैन, दिनेश जैन आदि ने भी सौहार्द्र कायम रहने की बात कही है।

विश्व विख्यात आचार्य मुनि 1008 विद्या सागर की सहमति से हुआ निर्णय
बुढ़ाना के ग्राम हुसैनपुर कलां स्थित जैन मन्दिर में स्थापित मूर्तियांे को वहां से हटाकर बुढ़ाना के जैन मन्दिर में रखे जाने का निर्णय जैन समाज के लोगों द्वारा विश्व विख्यात आचार्य मुनि 1008 विद्या सागर महाराज व उनके शिष्य मुनि 1008 सुधा सागर महाराज की सहमति से लिया गया है और अब 25 मई को धूमधाम के साथ इन मूर्तियों को बुढ़ाना के मन्दिर में स्थापित किया जायेगा।

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