- टेंडर रद्द करने के लिए उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में दायर की याचिका
जनवाणी ब्यूरो |
लखनऊ: मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के बाद दूसरी बिजली कंपनियां भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर रद्द कर सकती हैं। पावर कॉरपोरेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक मध्यांचल की तरह ही दूसरी बिजली कंपनियों में भी स्मार्ट प्रीपेड की दरें बहुत ज्यादा हैं।
यही वजह है कि अब दूसरी बिजली कंपनियां भी टेंडर रद्द कर नए सिरे से मीटर की निविदाएं मंगाने की तैयारी कर रही हैं। पावर कॉरपोरेशन के अधिकारियों का मानना है कि इस कदम से स्मार्ट प्रीपेड मीटर की दरें कम हो सकती हैं। बिजली कंपनियों ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर के लिए जो टेंडर निकाले थे। उसमें स्मार्ट प्रीपेड की कीमत 9000 से 10,000 रुपये के बीच थी। वहीं स्मार्ट प्रीपेड मीटर की एस्टीमेटेड कॉस्ट 6,000 रुपये थी।
उत्तर प्रदेश में 2.5 करोड़ स्मार्ट प्रीपेड मीटर की खरीद की जानी है। जिसकी लागत करीब 25,000 करोड़ रुपये के आसपास होने की उम्मीद है। ऑल इंडिया पावर फेडरेशन ने भी सभी बिजली कंपनियों के टेंडर रद्द करने की मांग की है। फेडरेशन चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने आरोप लगाया कि कुछ कंपनियों को लाभ दिलाने के लिए टेंडर गुटबंदी की जा रही थी।
टेंडर रद्द करने के लिए नियामक आयोग पहुंचा उपभोक्ता परिषद
उधर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने सभी बिजली कंपनियों का टेंडर रद्द करने के लिए नियामक आयोग में याचिका दाखिल की है। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमत एस्टीमेटेड कॉस्ट से अधिक होने का हवाला देते हुए प्रक्रिया रद्द करने की मांग उठाई है। परिषद अध्यक्ष ने कहा कि टेंडर की शर्ते ऐसी की जानी चाहिए। जिससे मीटर निर्माता कंपनियां हिस्सा ले सकें। मीटर निर्माता कंपनियों के हिस्सा लेने से स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमतों में कमी आएगी।
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने जारी किया नया टेंडर
स्मार्ट प्रीपेड मीटर के लिए मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने दोबारा टेंडर जारी कर दिया है। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम में करीब 70 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर की खरीद की जानी है। जिसकी लागत करीब 5,400 करोड़ रुपये के आसपास आएगी। सोमवार को मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर निरस्त कर दिया है।