जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: लखन को जैसे राम मिले बलराम को कृष्ण भाई सबको ऐसे ही मिसाल में मिले बड़े भाई। रामायण में जहां एक तरफ भाई के साथ देने के कारण रावण को हार का सामना करना पड़ा था। वहीं, भाई के साथ होने से भगवान श्री राम की विजय हुई थी। कहते हैं कि जीवन में पिता के बाद जिसकी छांव हमेशा सिर पर बनी रहनी चाहिए वह है पितातुल्य भाई। वास्तविकता में भाई परिवार की वो रीढ़ की हड्डी हैं। जिसके होने भर से समाज और परिवर में आपका मान, सम्मान और प्रतिष्ठा कायम रहती है। हर साल 24 मई को नेशनल ब्रदर्स डे के रूप में मनाया जाता है। यह खास दिन भाइयों को समर्पित होता है।
राष्ट्रीय भाई दिवस का उद्देश्य भाइयों के प्रति अपना प्यार, सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करना है। ब्रदर्स डे के खास मौके पर पुलिस महकमे में तैनात जवान भाई अपनी ड्यूटी के साथ-साथ बहनों के प्रति अपने फर्ज को भी बखूबी निभा रहे हैं। चाहे रक्षाबंधन हो या कोई और अवसर इन वर्दीधारी भाइयों के लिए बहन की सलामती ही सबसे बड़ी प्राथमिकता है। ड्यूटी की व्यस्तता के कारण कई बार घर जाए महीने हो जाते हैं। सबके लिए खड़े रहने वाले इन भाइयों की कलाई और माथा अक्सर बिना टिके और राखी के ही सूना रह जाता हैं। बावजूद इसके ये भाई उन बहनों से जुड़ाव बनाए रखते हैं। जिनसे इनका सिर्फ ड्यूटी तक का नाता हैं।
नहीं मिलता घर जाने का मौका
कुलदीप डागर ने बताया कि 15 साल से इस नौकरी में हैं। तीन बहनो में अकेले भाई हैं। उन्होंने कहा कि सारे तीज त्योहार ड्यूटी पर ही हो जाते हैं। जनता की सेवा और सुरक्षा के कारण कभी घर जाने का मौका नहीं मिलता।
-कुलदीप डागर, एसपी यातायात पेशी कार्यालय।
देश के लिए कर्तव्य पहले
सिद्धांत तवर ने बताया वह रूप से मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं। फिलहाल यूपी 112 मेरठ में तैनात हैं। उनके छोटे भाई भी यूपी पुलिस में हापुड़ में तैनात हैं। उन्होंने बताया कि एक बहन हैं, रक्षाबंधन हो या भाईदूज कभी-कभी ही घर जा पाते हैं। त्योहार या ऐसे मौकों पर बुरा लगता हैं, घर की याद आती हैं, पर देश के लिए कर्तव्य पहले हैं।
-सिद्धांत तंवर, कांस्टेबल यूपी 112
करते हैं समाज की सेवा में
दिन-रात समाज की सेवा में लगे रहते हैं। फिर भी जब समय मिलता हैं, तो परिवार के साथ समय बिताने का प्रयास करते हैं। पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए कर्तव्यों का पालन करते हैं।
-संदीप कुमार, हेड कांस्टेबल
एक या दो दिन के लिए जाते हैं घर
मनीष मलिक ने बताया कि वर्तमान में मेडिकल थाने में तैनात हैं। वह चार भाई बहन हैं। जिनमें दो भाई, दो बहन हैं। साल में आठ से नौ महीने में एक या दो दिन के लिए घर जाते हैं। बहनों को देखे कई बार बहुत समय निकल जाता हैं।
-मनीष मालिक, कांस्टेबल