जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: जनपद में गर्मी के मौसम के मद्देनजर खाद्य एवं पेय पदार्थों की गुणवत्ता चेक करने के लिए खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा शुक्रवार से तीन दिवसीय अभियान चलाया गया। जिसमें खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग द्वारा गठित पांच टीमों ने शहर में जगह-जगह बन रही कोल्ड ड्रिंक, एनर्जी ड्रिंक, बेवरेज, फ्लेवर्ड पानी व अन्य पेय पदार्थों की गुणवत्ता के लिए छापेमारी करी। अभियान में टीम एक द्वारा शताब्दी नगर स्थित पाखी बिजनेस प्राइवेट लिमिटेड से फ्रूट ड्रिंक, लोहियानगर स्थित वीआरएस इंटरप्राइजेज से मिक्स्ड फ्रूट बेवरेज और एनर्जी ड्रिंक के नमूने लिए गये। टीम टू द्वारा जाकिर कॉलोनी स्थित एसए इंटरप्राइजेज से काबोर्नेटेड वॉटर मिक्सड जूस, एनर्जी ड्रिंक और काबोर्नेटेड वॉटर विथ जूस के नमूने लिए गये।
वहीं, मवाना खुर्द में एफबीओ आदिल द्वारा फ्रेसका ब्रांड के लीची फ्रूट जूस, बिसलेरी ब्रांड के पैक्ड पानी की बोतल के नमूने लिए गये व मवाना के हीरालाल मोहल्ले से दो नमूने काबोर्नेटेड बेवरेजेस एफबीओ अजय चौहान द्वारा लिए गए। मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी रवि शर्मा ने बताया कि छापे के दौरान कई जगह पर पानी की बोतलों को भी नष्ट कराया गया है। साथ ही सभी नमूने जांच के लिए भेज दिए गए हैं।
सावधान! सड़े-गले फलों से बन रही जैम, सॉस
जनवाणी संवाददाता
मेरठ: आजकल शाम होते ही छोटा हो या बड़ा हर कोई घर से बाहर बेकरी, होटल, रेस्टोरेंट और स्ट्रीट फूड वेंडर के खाने के मुरीद बाजार की ओर रुख करते हैं। ऐसे में खाने के स्वाद को बढ़ाने के लिए साइड में सेवन किए जाने वाले आचार, चटनी और टोमैटो सॉस आदि लोगों की सेहत पर प्रभाव डाल सकते हैं।
शहर में बड़ी मात्रा में सड़े-गले फलों की आपूर्ति मिठाई, जैम, जेली, मुरब्बा, केक की फिलिंग, चटनी, सॉस, हर्बल सिरप, आचार, औषधियां उपयोग टेंडराइजर मांस को नरम करने में उपयोग होने वाला एंजाइम और जूस बनाने में इस्तेमाल कीया जा रहा है। मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी रवि शर्मा ने बताया कि गर्मी को देखते हुए लगातार अभियान चलाया जा रहा है।
जिसमें सकौती टांडा में 40 किलो पपीता नष्ट कराया गया हैं और आलू बुखारा 8 किलो नष्ट कराया गया। जांच अधिकारियों ने बताया कि इन फलों में फफूंदी, कीड़े और सड़न पाई गई, जो सीधे तौर पर फूड प्वाइजनिंग, पेट संबंधी संक्रमण और दीर्घकालिक बीमारियों का कारण बन सकते हैं। विभाग लगातार ऐसे रेहड़ी वालों, फल विक्रेताओं पर नजर बनाए हुए हैं। विभाग की टीम लगातार विभिन्न स्थानों से ऐसे फल जब्त कर नष्ट करा रही है। साथ ही अधिकारियों ने चेताया कि इनका सेवन करने से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। विभाग ने आम जनता से अपील की है कि खाने-पीने की चीजों की खरीद में सतर्कता बरतें और संदिग्ध सामग्री की जानकारी तुरंत प्रशासन को दें।
खराब फलों से बनी चीजों को पहचानने के आसान तरीके
=बदबू या सड़ी गंध: ऐसी चीजों से खट्टी, सड़ी या बासी गंध आती है।
=अत्यधिक चमकीला रंग: सड़े फलों से बनी चीजों में स्वाद छुपाने के लिए तेज आर्टिफिशियल रंग डाले जाते हैं।
=स्वाद में बदलाव: अगर मिठाई, जूस या सॉस का स्वाद अजीब, खट्टा या अलग लगे, तो सावधान रहें।
=बनावट पर ध्यान दें: चीज अगर चिपचिपी या बहुत पतली हो, तो वह गुणवत्ता वाली नहीं है।
=बिना ब्रांड और बिना लेबल के उत्पाद: ऐसे उत्पादों का इस्तेमाल करने से बचें।
=असामान्य झाग या परत: जूस या ग्रेवी में झाग या ऊपर एक परत जमा हो, तो वह खराब फल से बनी हो सकती है।
=पैकिंग की स्थिति खराब हो: फूली हुई बोतल, फटी हुई पैकिंग या रिसाव हो तो वह खराब सामग्री की निशानी है।
=झाग या फंगस: ऊपर झाग, फंगस या कोई अजीब परत दिखे तो तुरंत फेंक दें।
रेस्टोरेंट्स गुणवत्ता को दें प्राथमिकता
सभी को सतर्क रहना चाहिए। खाते समय खाने की बनावट, गंध और स्वाद पर जरूर ध्यान दे। यदि संदेह हो तो तुरंत संबंधित प्राधिकरण से शिकायत करें। रेस्टोरेंट्स को भी चाहिए वे गुणवत्ता को प्राथमिकता दें और समय-समय पर सामग्री की जांच करें। खाद्य सुरक्षा केवल कानून की नहीं, बल्कि नैतिकता की भी मांग है।
-भावना गांधी, डाइटिशियन।