Friday, July 5, 2024
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जमीन की नीलामी को एसडीएम के सामने आज होंगे सबूत पेश

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  • गांधी आश्रम की जमीन का मामला छाया सुर्खियों में
  • कमिश्नर और डीएम हुए अलर्ट, नौ बीघा जमीन बेचने की थी तैयारी

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: गांधी आश्रम में नौ बीघा जमीन की कीमती जमीन की नीलामी के मामले में बुधवार को एसडीएम के आॅफिस में दोनों पक्ष दस्तावेज पेश करेंगे। इसके अलावा तहसीलदार ने भी अपनी राजस्व टीम से जो सबूत जुटाये हैं, उनको प्रस्तुत किया जाएगा। गांधी आश्रम की जमीन का मामला सुर्खियों में छाया हुआ हैं। कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह से लेकर डीएम दीपक मीणा तक अलर्ट हो गए हैं। क्योंकि इसमें भू-माफियाओं की भूमिका साफ दिखाई दे रही हैं।

हालांकि पिछली बार भी कुछ लोगों ने जमीन को कब्जाने की कोशिश की थी। तब 4200 मीटर जमीन लीज पर लेने का कुचक्र हुआ था। यह मामला भी काफी दिनों तक सुर्खियों में रहा था। तब माफिया ने गांधी आश्रम की बनी बिल्डिंग को तोड़कर जमींदोज करना शुरू कर दिया था। इसमें भी प्रशासन के हस्ताक्षेप के बाद ही बिल्डिंग की तोड़फोड़ रोकी गई थी। इस तरह से उस जमीन पर कब्जे के प्रयास विफल रहे थे।

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अब फिर से माफिया ने नया षड्यंत्र रचा, जिसमें गांधी आश्रम की नौ बीघा जमीन को बेचने की तैयारी कर ली थी। शक्र है प्रशासन का इसमें हस्तक्षेप पर जमीन को बेचने से बचा लिया। खादी ग्रामोद्योग की तरफ से एक नोटिस गांधी आश्रम समिति के मंत्री पृथ्वी सिंह रावत को रिसीव कराया है, जिसमें जमीन की नीलामी को गलत बताते हुए कार्रवाई करने के लिए लिखा है।

इस पूरे प्रकरण को एसडीएम संदीप भागिया ने समझने के लिए दोनों पक्ष आयोग व गांधी आश्रम समिति के पदाधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल को आज अपने आॅफिस बुलाया हैं, जिसमें दोनों ही पक्ष अपने-अपने सबूत जमीन को लेकर पेश करेंगे। बैनामे कब के हैं? जमीन किसने खरीदी थी? जमीन को बेचने का अधिकार गांधी आश्रम समिति को है या फिर नहीं? इन तमाम बिन्दुओं को लेकर जांच पड़ताल की जाएगी।

क्या माफिया पर शिकंजा कस पाएगा प्रशासन?

बात उस गांधी आश्रम की हो रही है, जिसमें देश आजादी के लिए मीटिंग होती थी। अंग्रेजों के खिलाफ आजादी का बिगुल गांधी आश्रम में चली मीटिंग से ही फूंका गया था। आजादी के दीवानों ने भी कभी नहीं सोचा होगा, जिस गांधी आश्रम की नींव वो रखने जा रहे है, कभी उसकी नीलामी करने की नौबत भी आ सकती हैं। आजादी के दीवानों के पदचिन्हों को भी खत्म किया जा रहा हैं।

आखिर एक वर्ष से जो जमीन को लेकर खेल चल रहा है, उसके पीछे कौन भू-माफिया हैं? क्या इस बारे में भी कभी प्रशासन ने विचार किया हैं? भू-माफिया को आखिर गांधी आश्रम की जमीन पर ही क्यों निगाहें टिकी हुई हैं। शहर भर में बहुत सारी जमीन बिकती रहती हैं, मगर इसी जमीन को हथियाने का कुचक्र करने वाले माफिया पर आखिर प्रशासन कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा हैं? बदन सिंह बद्दो व उसके सहयोगियों की मकान व दुकानों पर बुलडोजर चलाया जा रहा हैं।

अच्छी बात है, मगर ऐसे भू-माफिया को चिन्हित कर कार्रवाई कौन करेगा? इन पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही हैं। गांधी आश्रम की लीज डीड पहले आउट हो गई थी, तब खुलासा हुआ था कि गांधी आश्रम की लीज करा ली गई हैं। लीज कराने वालों पर कार्रवाई के नाम पर गांधी आश्रम में जमीन पर प्रशासन ने कार्रवाई तो नहीं होने दी, लेकिन उन पर भू-माफिया के तहत कार्रवाई क्यों नहीं की गई।

यदि तभी कार्रवाई हो गई होती तो यह तय मानिये कि अब फिर से जमीन की नीलामी में माफिया का नाम सामने नहीं आया होता। प्रशासनिक अफसरों ने इसमें सबूत तो मांगे हैं, लेकिन इसके बाद क्या होगा? क्या फिर पहले की तरह से जमीन पर कब्जे की कार्रवाई तो कर दी जाएगी, लेकिन जमीन हथियाने वालों के खिलाफ क्रिमनल की श्रेणी वाली कार्रवाई भी की जाएगी। इसी को लेकर पूरे शहर भर के लोगों की निगाहें प्रशासन पर टिक गई हैं। यह मामला अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दरबार में भी जा सकता हैं। सिर्फ प्रशासन इसमें क्या निर्णय लेता है, यह सब उसी पर निर्भर करने वाला है।

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