Friday, June 6, 2025
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कुछ बातें समझाएं बेटी को


नीतू गुप्ता |

बेटियों को कुछ अलग से शिक्षा देना जरूरी होता है क्योंकि बेटियां दो परिवारों (मायका और ससुराल) को जोड़ने का काम करती हैं। आगे चलकर वह भी मां बनकर उसी सीख को कुछ बदलावों के साथ अपने बच्चों को दे सकें, इसलिए उनको हर क्षेत्र में सफाई से लेकर, अच्छी सेहत और तनाव को कैसे करें हैंडल, इन सबमें अपडेट होना जरूरी है ताकि वे एक अच्छी बेटी, अच्छी मां, अच्छी बहू और अच्छी पत्नी बन सकें और स्वयं और परिवार को अच्छे से देख सके।
सबसे जरूरी है बेटी को यह जानना कि स्वयं की सफाई रखकर वह कैसे स्वस्थ रह सकती है।

बचपन से ही उसे व्यक्तिगत सफाई के बारे में समझाएं। बचपन से ही नाखूनों की सफाई के बारे में भी बताएं। नाखून गंदे न रखें, न ही लंबे नाखून रखें क्योंकि लंबे नाखून जल्दी गंदे होते हैं और उन्हें हाथों से हम खाना खाते हैं तो वही गंद हमारे पेट में जाकर संक्रमण बढ़ाता है।

बाहर से आने पर, शौच के बाद या किसी काम करने के बाद हाथ धोने की आदत बचपन से विकसित करें। खाना खाने से पहले और बाद हाथ धोने, कुल्ला करने की आदत भी प्रारंभ से सिखाएं।

बालों में नियमित ब्रश करना, उन पर तेल लगाना, धोना उन्हें बचपन से बताएं।

डियो और टॅल्कम पाउडर का प्रयोग करना भी बताएं ताकि पसीने से आने वाली दुर्गंध की तकलीफ से बचा जाए।

लड़कियों का पीरियड्स के दिनों में कैसे साफ सफाई रखनी है, इसके बारे में भी बताएं। हर चार घंटे के अंतराल पर पैड बदलना भी सिखाएं।

बेटियों को मोटापे से होने वाली तकलीफें बताएं। फैट्स यूटरस व लिवर को प्रभावित करते हैं जिससे कई बीमारियां लगने का खतरा रहता है। ऐसे में नियमित व्यायाम कराने की आदत डालें।

बेटियों के पौष्टिक आहार पर भी विशेष ध्यान दें और पौष्टिक आहार लेने से क्या लाभ होता है और जंकफूड शरीर को कितना नुकसान पहुंचाता है उस बारे में भी जानकारी दें।

बेटियों को हरी सब्जियां व फल खाने की आदत शुरू से डालें। दही, दूध, घी भी लेने की आदत डालें ताकि कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन उन्हें मिलते रहें और हड्डियां मजबूत बनी रहें। अगर वे शारीरिक रूप से स्वस्थ रहेंगी तो ऊर्जा से भरपूर रहेंगी।

बेटियों को आत्म सुरक्षा के बारे में बताएं और उन्हें कराटे और सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग भी दिलवाएं ताकि उनमें साहस और आत्मविश्वास बना रहे।

बचपन से ही उन्हें ‘गुडटच’ व ‘बेड टच’ में क्या अंतर होता है समझाएं ताकि किसी संबंधी, रिश्तेदार, पिता या भाई के टच को समझ सकें।

रिश्तों के प्रति सकारात्मक सोच प्रारंभ से दें। उनके सामने रिश्तों की गरिमा बना कर रखें। अगर आप स्वयं रिश्तों को कोसेंगी तो वह भी वही सीखेंगी।

बेटी के मन में रिश्तों के बारे में विश्वास जगाएं। उन्हें शादी विवाह, अन्य उत्सवों में साथ ले जाएं ताकि उन्हें रिश्तों को निभाना आ सके।

घर पर कभी कभी बहन-भाइयों व ननद देवरों के परिवार को आमंत्रित करती रहें ताकि वह भी उन रिश्तों में मिठास बनाए रखना सीख सकें।

बेटियों को विशेष दिनों(जन्मदिन, शादी की सालगिरह, तरक्की, पास होने पर) पर बधाई का महत्व बताएं और उन्हें शुभकामनाएं देने की आदतें डालें।

त्योहारों को कैसे मनाया जाता है, उसकी जानकारी भी साथ साथ दें। उनसे उन दिनों में मदद करने को कहें। उपहार समय पर खाना, नहाना, पढ़ना, खेलना, व्यायाम करना बताएं ताकि हर काम पूरा समय पर हो सके।

अगर दिनचर्या हैल्दी होती है तो स्वास्थ्य अच्छा रहता है, मन खुश रहता है, तनाव दूर रहता है और हम कई बीमारियों से स्वयं को दूर रख सकते हैं।


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