- हापुड़ अड्डे से तेजगढ़ी के बीच बनाए गए हैं कट
- जगह-जगह कट से वाहन चालक परेशान, बढ़ रहे हादसे
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: लापरवाही की इससे बड़ी मिसाल क्या होगी कि महज तीन किलोमीटर की सड़क में एक दो नहीं बल्कि 38 कट बने हुए हैं। हर गली या बड़ी दुकान के सामने कट है। नगर निगम ने भी डिवाइडर बनाते वक्त ऐसे कट बनाने में पूरी दरियादिली दिखायी। इसका नतीजा यह है कि इस मार्ग पर एकाएक कोई भी वाहन निकल आता है और दुर्घटनाएं होती हैं। शहर में हादसों के बढ़ने की सबसे बड़ी वजह सड़कों में जगह-जगह डिवाइडरों के बीच में से कट होना है। हापुड़ अड्डे से तेजगढ़ी चौराहे तक करीब तीन किमी के मार्ग के बीच बने डिवाइडर में 38 कट दिये गए हैं।
कई जगह तो यह कट इतने खतरनाक हैं कि कोई सड़क पर अगर तेजी से वाहन चला रहा हो और अचानक ही इस कट के बीच में से स्कूटी या मोपेड सवार निकल आता है तो उस वाहन की चपेट में आने से बड़ा हादसा हो जाता है या होते-होते रह जाता है। वह तो गनीमत यह है कि जीर्ण-शीर्ण हो रही इस सड़क पर वाहन चालक अपने वाहन तेजी से नहीं चला पाते हैं। सड़कों पर कट हादसों का कारण बन रहे हैं। संभवत: यह शहर की पहली ऐसे सड़क है जिस पर इतने ज्यादा कट दिये गए हैं। डिवाइडर बनाते वक्त नगर निगम ने भी पूरी उदारता दिखायी। हर गली या मुख्य शोरूम के कट दे दिया गया।
जबकि बढ़ते हादसों को देखते हुए कट देने में पूरी सख्ती बरती जा रही है। पर इस मार्ग के लिए शायद कोई आदेश लागू नहीं होता। तभी आये दिन दुर्घटनाएं हो रही है। सबसे ज्यादा हादसे तो सोहराब गेट बस अड्डे के सामने होते हैं। यहां हर वाहन चालक तेजी से निकलना चाहता है। जबकि सड़क पर ही रोडवेज बसें खड़ी होकर इनके चालक सवारियां बैठाते रहते हैं। कभी बाइक सवार तो कभी स्कूटी सवार यहां तेजी से डिवाइडर के कट से निकलने की कोशिश करता है और असंतुलित होकर गिर पड़ता है। एक दो नहीं शहर में ऐसी कई दुर्घटनाएं हो चुकीं हैं, जिनमें मौत हो रहीं है।
निर्धारित स्थान पर ही होने चाहिए कट
मेरठ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष गौरव शर्मा का कहना है कि डिवाइड पर कट नहीं होने चाहिए। कट होने पर लोग बीच से ही अपना वाहन निकालने की कोशिश करते हैं और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। निर्धारित स्थान पर संकेतकों के साथ ही कट लगे होने चाहिए। गांवों के संपर्क मार्गों के कट पर संकेतक बोर्ड होने चाहिए।