Wednesday, May 28, 2025
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झोलाछाप डाक्टर कर रहे महिलाओं की जान से खिलवाड़

  • लिंग परीक्षण से लेकर भ्रूण हत्याओं का चल रहा खुला खेल, बिना डिग्री के बने बैठे डाक्टर

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: जनपद में चार ऐसे क्लीनिक हैं, जहां लिंग परीक्षण से लेकर भ्रूण हत्याएं तक हो रही है, लेकिन चौकाने वाली बात यह है कि इनको चलाने वाले कथित डाक्टरों के पास कोई डिग्र्री भी नहीं हैं। यहां तक कि स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी आशाओं के भी इनसे लिंक हैं। आशाओं के माध्यम से महिलाओं के लिंग परीक्षण और भ्रण हत्या कराने के लिए इन क्लीनिक पर लाया जाता हैं।

इसका ‘जनवाणी’ ने स्टिंग किया हैं। इसके दो वीडियो भी ‘जनवाणी’ के पास मौजूद हैं, जिसमें स्वास्थ्य विभाग की आशा महिला को लेकर एक क्लीनिक पर जाती हैं, जहां पर प्रतिबंधित लिंग परीक्षण कराने की डॉक्टरों से बात की जाती हैं। इस तरह से इन क्लीनिक पर ये खेल चल रहा हैं। वीडियो में एक आशा ने कहा कि ये क्लीनिक तो पहले खुशी के नाम से था।

अब इसका नाम बदल गया हैं क्या? हां, इस क्लीनिक का नाम अब कैलाश अस्पताल हो गया हैं। डा. काजल है क्या? पहले भी हम उनसे मिली थी? काजल मेडम तो बैठती हैं, लेकिन खुशी मेडम अब नहीं बैठती। हां, मैं तीन माह का बच्चा पेट में हैं, इसको लेकर ही बात करनी हैं। सफाई करानी हैं…। इस तरह से ‘जनवाणी’का स्टिंग चलता रहा।

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आशा और खुद को डॉक्टर बता रहे एक युवक से बातचीत चली, फिर एक महिला डॉक्टर से बात हुई। ये दोनों खुद को डॉक्टर बता रहे हैं, लेकिन डॉक्टर है या फिर नहीं, ये कहना मुश्किल हैं। इनके पास किसी तरह की डिग्री नहीं हैं। ऐसे में महिलाओं की जान से ये लोग खेल रहे हैं।

महिलाओं को इनके पास लाने के लिए आशाओं को चार से पांच हजार रूपये तक देते है। क्योंकि वीडियो में आशा ये कह रही है कि जहां उन्हें ज्यादा पैसा बचता हैं, वहीं पर लेकर महिलाओं को जाती हैं। इस तरह से लिंग परीक्षण और भू्रण हत्या का खेल चल रहा हैं। इसमें स्वास्थ्य विभाग की आशा तो जुड़ी ही है, साथ ही इसमें स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की भी मिलीभगत हो सकती हैं।

लिंग परीक्षण के बाद होती है भ्रूण हत्या

गंगोल रोड, दिल्ली रोड के रिठानी इलाके, मछेरान व कांशीराम कॉलोनी जैसे इलाकों में इस तरह के क्लीनिक धड़ल्ले से चल रहे है। इसके साथ ही शहर के कई अंदरूनी इलाकों में भी ऐसे क्लीनिकों का जाल फैला है। यहां सबसे पहले महिलाओं को लिंग परीक्षण के लिए लाया जाता है।

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इसके बाद लिंग की जानकारी होने पर अनचाहे भ्रूण को मार दिया जाता है। इस दौरान जो कथित डाक्टर महिलाओं का आपरेशन करते हैं, उनके पास डिग्री तक नहीं होती है, जबकि इस तरह से डीएनसी करने वाले डाक्टरों को नियमों के अनुसार एमबीबीएस डिग्री हासिल करना जरूरी है।

आशाओं के संपर्क में रहते हैं क्लीनिक संचालक

लिंग परीक्षण करने के बाद भ्रूण हत्या करने वाले कतिथ डाक्टर आशाओं के संपर्क में रहते है। आशाओं को स्वास्थ्य विभाग द्वारा संविदा पर रखा जाता है और उनका काम होता है वह अपने क्षेत्र में किसी भी महिला की डिलीवरी कराने के लिए सरकारी अस्पताल में लेकर जाए। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग इन आशाओं को एक निश्चित मानदेय देता है,

लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आशाओं को एक डिलीवरी के बदले 400 रुपये मानदेय मिलता हैै। इतने कम मानदेय में आशाओं को अपना परिवार चलाने में खासी परेशानी होती है। इसी वजह से यह इन क्लीनिक संचालकों के चंगुल में फंस जाती है। क्लीनिक संचालक इन्हें एक केस लाने के बदले चार से पांच हजार रुपये देते हैं।

एमबीबीएस डाक्टरों को भी लेनी पड़ती है परमिशन

महिला को यदि सफाई करनी भी होती है तो उसके लिए एमबीबीएस डाक्टर ही जरूरी है। इसके साथ ही यदि सफाई करना जरूरी होता है तो इसके लिए प्रशासन से परमीशन ली जाती है। जबकि लिंग परीक्षण करना तो पूरी तरह गैर कानूनी है। वहीं पेट में पलने वाले भ्रूण की उम्र यदि दो माह तक की है। तभी इसे गिराने की इजात मिलती है, लेकिन इन क्लीनिकों पर चार से पांच माह तक के भ्रूण को भी निकाल दिया जाता है। वह भी बिना डिग्री वाले कथित चिकित्सक के द्वारा।

पहचान छिपाकर चलाए जा रहे क्लीनिक

इस तरह से अवैध रूप से चलने वाले क्लीनिकों पर मौजूद लोग अपनी असली पहचान छिपाकर काम कर रहे है। इसके साथ ही इनके पास क्षेत्रीय आशाओं के मोबाइल नंबर होते है, जिनसे यह ग्राहक लाने को कहते हैं। एक क्लीनिक पर रखी नीली डायरी मे आशाओं के नंबर लिखे है और उनके द्वारा लाए गए मरीजों का भी पूरा विवरण दर्ज है, लेकिन क्लिनिक संचालकों की अपनी कोई पहचान नहीं है,

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यह अपने असली नाम बदलकर जनता की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। इस मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि जो क्लीनिक चल रहे हैं। उनके खिलाफ कोई शिकायत नहीं आती है। यदि शिकायत आए तो वह कार्रवाई करते हैं, बिना शिकायत के कार्रवाई करने का कोई औचित्य नहीं है। सवाल है क्या बिना शिकायत के इस तरह से चलने वाले क्लीनिकों पर स्वास्थ्य विभाग कार्रवाई महज इसलिए नहीं कर सकता कि उसके पास कोई शिकायत नहीं है तो क्या किसी की जान जाने के बाद जब शिकायत होगी तभी कार्रवाई की जाएगी।

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