Saturday, June 29, 2024
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हत्या में फर्जी नामजदगी से बर्बाद हो रहे परिवार

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  • रंजिश के कारण लिखवाये जा रहे बेकसूरों के नाम
  • पांच घटनाओं ने कई परिवारों को डाला संकट में

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: वेस्ट यूपी में कत्ल होने के बाद पीड़ित परिवार कातिलों को पकड़वाने के बजाय उन लोगों को फंसाने का प्रयास करता है जिनसे उनके परिवार की रंजिश चल रही हो। इस तरह की फर्जी नामजदगी से एक ओर जहां पुलिस की मेहनत बच जाती है। वहीं, रंजिश परिवार की साजिश सफल हो जाती है।

अब पुलिस ने फर्जी नामजदगी को लेकर सख्त रुख अपना लिया है। एक महीने में पुलिस ने हत्या के पांच मामलों में फर्जी नामजदगी को दरकिनार कर असली अपराधियों को पकड़ कर जहां बेकसूर परिवारों को राहत की सांस दी है। वहीं, दूसरी तरफ गलत रिपोर्ट लिखवाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रही है।

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हस्तिनापुर में एक युवक का शव नहर किनारे पड़ा मिला था। मृतक के परिजनों ने रंजिश के तहत तीन लोगों का नाम हत्यारोपियों के रुप में लिखवा दिया था। जब इस मामले की जांच हुई तो पता चला कि युवक की हत्या तीन लोगों ने नहीं बल्कि करनैल नामक व्यक्ति ने की है, क्योंकि अंकित उसकी बहन पर गलत नजर रखता था।

पुलिस ने असली हत्यारोपी को पकड़ कर गलत तरीके से उठाये गए तीन युवकों को बाइज्जत बरी कर दिया। सरधना के महादेव गांव में एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई। खेत में चारपाई पर लेटे युवक के सीने में सटाकर गोली मारी गई थी। युवक को तलाश करते हुए जंगल पहुंचे परिजनों को खून से लथपथ शव चारपाई पर पड़ा हुआ मिला। साथ ही मृतक पक्ष की तहरीर पर तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया।

पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। बाद में इसमें भी नामजदगी गलत निकली। पुलिस को इनके नाम भी एफआईआर से निकालने पड़े। इसी तरह जानी थाना क्षेत्र में गोशाला संचालक की हत्या में रंजिश के तहत पांच बेकसूर लोगों के नाम लिखवा दिये गए। जब पुलिस ने जांच का दायरा बढ़ाया तो पता चला कि मारने वाले कोई और थे। इसी तरह भूमाफिया ने जमीन कब्जाने के लिये ब्रह्मपुरी के जिन दो व्यापारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था

उनका नाम भी मुकदमे से हटा दिया गया। इस मामले में पूर्व इंस्पेक्टर ब्रह्मपुरी सुभाष अत्री और दारोगा के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई हुई थी। इसी तरह परीक्षितगढ़ में अवैध संबंधों के कारण हुई हत्या के मामले में फर्जी नामजदगी कराई गई। विवेचना में नाम बाद में निकाला गया। मेरठ में गलत नामजदगी पुलिस और वादी के लिये फायदेमंंद साबित हो रहा है। तमाम तरह के बवालों से बचने के लिये पुलिस वादी के द्वारा लिखवाये गए लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेज चुकी है। जबकि असली कातिल पुलिस के सामने बेखौफ घूमते रहते हैं।

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