केंद्र सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर घेरने की रणनीति पर लगेगी मुहर
जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: कृषि कानूनों में बदलाव की मांग को लेकर अब किसान राष्ट्रीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं। इसके लिए मंगलवार को दिल्ली के रकाबगंज गुरुद्वारे में 300 से अधिक किसान संगठन आंदोलन की रूपरेखा को अंतिम रूप देंगे। इस बैठक में देशभर के किसान संगठनों को बुलाया गया है, जिससे आंदोलन को व्यापक रूप दिया जा सके। इसके पहले किसानों और सरकार के बीच सहमति बनाने की कोशिशें असफल साबित हुई थीं।
सूत्रों के मुताबिक, किसान संगठन हर प्रकार के बाजार में न्यूनतम समर्थन मूल्य को अनिवार्य करने से कम पर मानने के लिए तैयार नहीं होंगे। इसके अलावा किसान संगठन चाहते हैं कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग, खुले बाजार में फसलों की खरीद को अनुमति देने और आवश्यक वस्तुओं के संग्रह पर प्रतिबंध हटाने के जरिए एपीएमसी मंडियों को खत्म न किया जाए। किसान इस मुद्दे पर लिखित आश्वासन चाहते हैं।
किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंद्र सिंह का मानना है कि किसान को हर बाजार में न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिए। खुले बाजार में जहां प्राइवेट लोगों को खरीद करनी है, वहां सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करने से क्यों बच रही है, जिसका भुगतान भी उसे स्वयं नहीं करना है। सरकार के ऐसे कदम उसकी सोच के प्रति किसानों के मन में शंका पैदा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कृषि कार्यों में बिजली एक बड़ी लागत होती है। कई राज्य इसे किसानों को मुफ्त उपलब्ध कराते हैं, लेकिन किसानों को आशंका है कि केंद्र के नए प्रस्तावों के कानून बनने के बाद कोई राज्य किसानों को मुफ्त बिजली नहीं दे पाएगा। इससे उनका कृषि घाटा और बढ़ेगा। किसान इस विवादित प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक बैठक में हर किसान संगठन से अधिकतम दो प्रतिनिधियों को बुलाया गया है जिससे कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच कम से कम संख्या में सुरक्षा के उपाय अपनाते हुए बैठक को पूर्ण किया जा सके। बैठक के दौरान मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है।