- सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में 270 छात्र-छात्राओं को उपाधि बांटीं
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में 270 छात्र-छात्राओं को उपाधि प्रदान की गर्इं। 15 मेधावियों को विभिन्न पदकों से नवाजा गया। इस मौके पर कुलाधिपति और प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए किसानों को नित नई तकनीक अपनाना होगा। किसानों को कृषि क्षेत्र मे एआई और ड्रोन तकनीक को अपनाने की जरूरत है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राजयपाल ने कहा कि भारत विशव का 2.4 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र वाला देश है। चार प्रतिशत जल संसाधन हैं, लेकिन जनसंख्या 18 प्रतिशत है व पशुधन 15 प्रतिशत है। भारत विश्व का सबसे बड़ा कृषि सेक्टर है। अन्नदाता हमारी आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा है। आज औद्योगीकरण के चलते जय जवान, जय किसान के नारे में जय विज्ञान भी जुड़ गया है।
बढ़ती जनसंख्या के कारण हमारी कृषि का क्षेत्रफल कम हो रहा है, जबकि कृषि उत्पादों की मांग बढ़ती जा रही है। आवश्यकता की पूर्ति के लिए कृषि क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने के लिए आज रासायनिक उर्वरक का प्रयोग किया जा रहा है, जिसके नुकसान सामने आ रहे हैं। ऐसे में जैविक खेती को बढ़ाना होगा। जैविक खेती का विश्व बाजार अधिक है, इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी।
प्रधानमंत्री का लक्ष्य 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने का है, यह गांवों के विकास व किसानों के उत्थान के बिना संभव नहीं। इसलिए किसान के लिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं चलाई जा रही हैं। उन्होंने डिग्रीधाराकों से अपने अपने गांवों अपना अपनी क्षेत्र में जाकर किसानों को जागृत करने और उन्हें कृषि के क्षेत्र में नई तकनीकों से जोड़ने की अपील की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने अन्न को ब्रांड के रूप में विकसित किया।
लोगों का विश्वास अन्न उत्पादों पर बढ़ा है, देश में अधिक से अधिक अन्न होना चाहिए। सरकार इसके लिए प्लेटफार्म उपलब्ध करा रही है। राज्यपाल ने कहा कि नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में देश को खाद्य तेल में आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया है। क्योंकि देश में अभी मात्र 40 प्रतिशत तेल का उत्पादन होता है, 60 प्रतिशत तेल हमें आयात करना पड़ता है। इसके लिए सरकार से तिलहन के बीच उपलब्ध कराने को हर ब्लॉक में एक गांव को तिलहन के बीज वाला गांव बनाने की सिफारिश की।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने 2023 में खेती के लिए ड्रोन नीति लागू की। ड्रोन से कीटनाशकों व उर्वरकों का छिड़काव करना सिखाया जाता है। 10-15 गांव के स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षण दिया जाता है। इसी तरह खेती में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की मद्द लेनी चाहिए। मिट्टी को कितने पानी की जरूरत है, कब पानी चाहिए, कैसे पानी दिया जाए, यह सब एआई से संभव है। भारत सरकार ने बजट में कृषि व उससे जुड़े सेक्टरों के लि 1.52 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।
दो वर्षांे में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए तैयार किया जाएगा। 10 हजार बायो इनपुट सेंटर स्थापित होंगे। 32 फसलों की 109 किस्मों लाई जाएंगी, जो हर मौसम में खड़ी रहेंगी। फसलों के स्टोरेज, पैकिंग को मजबूत किया जाएगा। किसानों के बेहतर भविष्य बनाने को बजट में 60 योजनाएं जारी की गर्इं। 2800 करोड़ की डिजीटल योजना है, जिसमें किसानों का रजिस्ट्रेशन होगा।
किसानों के पहचान पत्र बनेंगे। उनकी कितनी भूमि है, जमीन का मानचित्र तैयार होगा। हर किसान की सटीक जानकारी सरकार पर होगी। छह करोड़ किसानों और उनकी जमीन, सरकार खेती, प्रोसेसिंग और एक्सपोर्ट के लिए ऋण देगी। कार्यक्रम में 270 छात्र छात्राओं को उपाधि प्रदान की गर्इं। 15 मेधावियों को विभिन्न पदकों से नवाजा गया। शिवांगी सक्सेना को बीटेक कृषि अभियांत्रिकी के लिए कुलाधिपति स्वर्ण पदक, कुलपति रजत पदक व सरिता मेमोरियल स्वर्ण पदक से नवाजा गया।
विशु शर्मा को बीटेक कृषि अभियांत्रिकी को कुलपति स्वर्ण पदक व ठा. शशिपाल सिंह मेमोरियल स्वर्ण पदक से नवाजा गया। महीप कौर बीएससी आनर्स उद्यान को कुलपति स्वर्ण पदक व जावित्री देवी स्वर्ण पदक दिया गया। पूजा गुप्ता बीटेक खाद्य प्रौद्योगिकी को कुलपति स्वर्ण पदक व प्रो. शमशेर सिंह स्वर्ण पदक दिया गया। कार्यक्रम में कुलपति डा. केके सिंह ने डिग्रीधारक छात्र-छात्राओं को दीक्षोपदेश दिया। कार्यक्रम में डा. प्रमिला उमराव, रजिस्ट्रार डा. रामजी सिंह आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम से पूर्व शोभायात्रा निकाली गई।
पिछली सरकारों ने किसानों की उपेक्षा की: शाही
दीक्षांत समारोह में विशिष्ट अतिथि कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि प्रधानमंत्री का लक्ष्य 2027 देश को विकसित राष्ट्र बनाने का है, इसके लिए किसानों को आत्मनिर्भर बनाना होगा। छात्र-छात्राओं के शोध का लाभ उठाते हुए इस शोध को किसानों तक पहुंचाने की जरूरत है। पिछली सरकारों ने किसानों की उपेक्षा की। शाही ने कहा कि आज देश में किसानों के उत्थान के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उल्लेखनीय कार्य कर रही है।
आरएकेवाई के तहत 5500 करोड़ की परियोजनाएं चल रही है। युवाओं को किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मशरूम, मक्का, बासमती का चावल के उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। आज देश कृषि क्षेत्र में 24 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। कार्यक्रम में सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी और किसानों से इन योजनाओं का लाभ उठाने की अपील की।
शताब्दी के अंत तक खेती को दो गुना करना जरूरी: संजय
दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि अध्यक्ष वैज्ञाानिक चयन मंडल संजय कुमार ने कहा कि इस शताब्दी के अंत तक देश की आबादी 180 करोड़ हो जाएगी। इसलिए हमें खेती को बढ़ाना होगा। खाद्यान्न को दोगुना करना होगा। पोषण को बढ़ाना होगा। देश में तेल और दालें, मसाले बड़ी तदाद में आयात किए जा रहे हैं। इनका उत्पादन अपने देश में बढ़ाने की जरूरत है। इसलिए आज छात्र-छात्राओं को अपना लक्ष्य बड़ा करना होगा। इसके लिए छात्र-छात्राओं को किसानों को जागरूक करना चाहिए। तभी उनकी पढ़ाई का उद्देश्य सफल होगा।
स्कूली बच्चे, आंगनबाड़ी कार्यकात्रियां सम्मानित
सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में उक्त विवि द्वारा गोद लिए गए उच्च प्राथमिक विद्यालय, सिवाया नंबर एक के छात्र-छात्राओं को कुलाधिपति ने पुरस्कृत किया। कुलाधिपति ने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को सम्मानित किया और उनके केन्द्र के बच्चों के लिए खिलौने भेंट किए।
खेती को आय का स्त्रोत बनाएंगे सेवानिवृत्त सैनिक
सैनिक पुनर्वास महानिदेशालय के महानिदेशक मेजर जनरल एसबीके सिंह ने कहा कि सेवानिवृत्त सैनिक अब खेती को आय का स्त्रोत बनाएंगे। इसके लिए सरदार वल्लभ भाई कृषि एव प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा सेवानिवृत्त सैनिकों को कृषि संबंधी प्रशिक्षण दिया जाएगा। खेती करके भूतपूर्व सैनिक आत्मनिर्भर बनेंगे और देश की सेवा भी करेंगे। सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में आए मेजर जनरल एसबीके सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद बड़ी संख्या में सैनिक कुछ नहीं कर पाते,
इसकी वजह उन्हें किसी भी क्षेत्र में कार्य करने का अनुभव नहीं होता। ऐसे में वे पेंशन पर निर्भर रहते हैं। सैनिक पुनर्वास महानिदेशालय ने भूतपूर्व सैनिकों को कृषि कार्यांे के प्रशिक्षण दिलाने की योजना बनाई है। इसका पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, इसके लिए सैनिक पुनर्वास महानिदेशालय ने सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विवि के साथ एमओयू साइन किया है। हमारा मनाना है कि नित नई तकनीकों के जरिए हम कृषि उत्पादन बढ़ा सकते हैं।
कृषि का बहुत बड़ा क्षेत्र है। कुल लोग इसपर हायर लेवल पर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का विजन है कि वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट। जो भूतपूर्व सैनिक जिस क्षेत्र का होगा, हम उसे वहीं खेती करने के लिए प्रेरित करेंगे। इससे जहां भूतपूर्व सैनिकों को रोजगार मिलेगा वहीं, वह कृषि करके देश की जरूरत को पूरा करके सेवा में भागीदार भी बनेंगे। हमारा प्रयास है कि हम अन्य कृषि विश्वविद्यालयों के साथ अनुबंध करें।