Sunday, July 13, 2025
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जिंदगी की ढलती शाम में पिता को छोड़ा तन्हा

  • पांच बेटियों को पढ़ाया-लिखाया पिता ने, अब बीमार हुए तो कोई सुध लेने वाला नहीं
  • एक बेटी मेरठ में, चार बेटी रहती है देहरादून

विशाल भटनागर |

मेरठ: सरकार और न्यायालय भले ही बुजुर्गों की सेवा करने के लिए कठोर नियम और कानून बनाए हों, लेकिन जब संतान कपूत बन जाती है तो कानून भी उनके सामने दम तोड़ने लगते हैं। न्यायालय के सख्त आदेश के बाद भी यहां एक बुजुर्ग अपनी बेबसी भरी जिंदगी गुजार रहे हैं।

माता-पिता को उनकी जिंदगी के आखिरी लम्हों में बेटे-बेटियों ने सहारा नहीं दिया। ऐसे किस्से तो आपने बहुत सुने होंगे, एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जिनके मां-बाप जिंदा है वे दुनिया के सबसे अमीर और संपन्न लोग है। मां-बाप ईश्वर का दूसरा रूप होते हैं। अगर आपके माता-पिता आपसे खुश है तो समझो ईश्वर खुश है।

बेटा जरा! मेरे नाती को फोन मिलाकर कह दो उसका नाना बीमार है। उसने मुझे यह कहकर उत्तराखंड से बुलाया था, नाना में तुम्हारा पूरा ख्याल रखूंगा। आज मुझे अपने नाती की जरूरत है। क्योंकि जब मेरी बेटी बीमार हो गई थी, तो मैंने अपने हाथ से रोटी बनाकर दामाद एवं अपने नाती को खिलायी थी।

आज मुझे जरूरत है, मेरे अपनों की आवश्यकता है, लेकिन बेटी दामाद मुझे लेकर नहीं जाते। इसलिए तुम मेरे नाती से बात करा दो। इस तरह से हर रोज पीवीएस मॉल के सामने एक पेड़ के सहारे ठेले पर रहकर अपनी जिंदगी काट रहे 94 साल के बुजुर्ग ओमप्रकाश हर आने जाने वाले मुसाफिर को बुलाकर कहते हैं।

सोमवार को जनवाणी टीम भी जब बुजुर्ग के पास पहुंची तो उन्होंने अपनी पीड़ा बतायी कि पांच बेटी हैं, चार देहरादून और एक मेरठ एच ब्लॉक में रहती है। कोई बेटा नहीं हुआ, लेकिन हमेशा से बेटियों को बेटों की तरह पाला है। ताकि वह मेरा सहारा बन सके। मगर अब कोई भी उनकी सुध नहीं लेता।

नाती ने बुलाया था मेरठ

बुजुर्ग ओमप्रकाश की माने तो उनके नाती हामित ने उन्हें मेरठ बुलाया था। क्योंकि जब उनकी बेटी बीमार चल रही थी। तब बेटी की सेवा की, लेकिन अब कोई भी उन्हें वह बरामदे में तक रहने नहीं देते। हालांकि उन्हें उम्मीद है कि उनका नाती उनको अपने घर ले जाएगा। इसलिए वह सुबह से शाम तक सभी से नाती का नंबर मिलाने की प्रार्थना करते हैं। कई लोग नंबर भी मिला देते हैं, मगर कोई जबाव नहीं देता। जिससे बुजुर्ग ओमप्रकाश उदास हो जाते हैं।

ठेले पर ही दुकान और मकान

बुजुर्ग ओमप्रकाश पीवीएस मॉल के सामने बने डोमीनॉस पिज्जा के पास ही ठेला लगाते हैं। जिसमें वह बीड़ी, सिगरेट एवं तंबाकू की बिक्री करते हैं, लेकिन उम्र का तगाजा एवं लॉकडाउन ने उनको भी शिकार बना लिया है। चार दिन से अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई और वह चुपचाप ठेले पर ही लेटे रहे हैं। वहां से गुजरने वाले धीरेन्द्र ने बुजुर्ग का हालचाल जाना तो पता चला कि बारिश में भीगकर उन्हें बुखार हो गया।

इसलिए वह चुपचाप लेटे हुए थे। तपश्चात धीरेन्द्र ने अपने साथ दीपक जोशी को फोन कर बुलाया और दवाई के साथ-साथ अन्य बिस्तर उपलब्ध कराएं। दीपक की माने तो उनकी बेटी व दामाद को फोन भी किया, लेकिन उन्होंने कोई संतुष्ट जबाव नहीं दिया। इसलिए वह खुद हर रोज आकर बुजर्ग को खाने-पीने का सामान उपलब्ध कराते हैं। बता दें कि ओमप्रकाश 94 वर्ष की आयु में ठेले पर ही सामान बेचते हैं और ठेले पर ही सो जाते हैं। कई बार शराबी उनसे पैसे भी छीनकर ले जाते हैं।

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