Tuesday, January 7, 2025
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जमीयत उलमा-ए-हिंद: जानिए, कैमरे की नजर में अधिवेशन के पहले दिन क्या-क्या हुआ ?

जनवाणी टीम |

नई दिल्ली: जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि देश के मुस्लिमों, मध्यकालीन भारत के मुस्लिम शासकों और इस्लामी सभ्यता व संस्कृति के खिलाफ भद्दे व निराधार आरोपों को जोरों से फैलाया जा रहा है। सत्ता में बैठे लोग उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के बजाए उन्हें आजाद छोड़कर और पक्ष लेकर उनके हौसले बढ़ा रहे हैं। एकता और अखंडता की बात करने वाले वर्ग विशेष को परेशान किया जा रहा हैं।

उन्होंने सरकार व आरएसएस पर हमला बोलते हुए कहा कि सभी लोग राष्ट्र निर्माण और राष्ट्र को मजबूत करने की बात करते हैं, लेकिन नफरत के मुद्दे पर खामोश रहते हैं।

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जमीयत उलमा-ए-हिद की राष्ट्रीय प्रबंधक कमेटी का दो दिवसीय अधिवेशन शनिवार सुबह देवबंद की ईदगाह में शुरू हुआ। अपने अध्यक्षीय संबोधन में पूर्व राज्यसभा सदस्य मौलाना महमूद मदनी ने मुस्लिमों को देश का सबसे कमजोर तबका बताया और कहा कि इसका यह मतलब नहीं, हम हर बात को सिर झुकाकर मानते जाएंगे। मदनी ने सरकार को उसके कर्तव्यों की याद दिलाई और नफरत को प्यार और मोहब्बत से हराने पर जोर दिया।

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उन्होंने कहा कि नफरत का बाजार सजाने वाले लोग देश के दुश्मन हैं। आग से आग नहीं बुझाई जाती, नफरत का जवाब कभी नफरत नहीं हो सकता। हम नफरत का जवाब नफरत से दे सकते हैं, लेकिन देश का मुसलमान कभी ऐसा नहीं करेगा। हमें सबसे ज्यादा प्यार इस देश की शांति से है।

इससे पहले अधिवेशन में जमीयत उलमा-ए-हिंद के दो दिवसीय राष्ट्रीय प्रबंधक कमेटी के अधिवेशन में मुल्क भर से आए प्रमुख उलमा ने देश के वर्तमान हालात पर चिंता जताई।

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अधिवेशन में दीनी तालीम के प्रमुख केंद्र दारुल उलूम के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि यह देश एक गुलदस्ते की तरह है। जिसमें हर धर्म के मानने वाले और विभिन्न संस्कृति के लोग एक साथ प्यार और मोहब्बत के साथ रहते हैं।

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बेहद अफसोस की बात है कि मुल्क में साजिश के तहत कुछ इस तरह का माहौल बनाया जा रहा है कि देशवासियों को आपस में बांटा जा सके। इस तरह की साजिशें मुल्क की तरक्की के लिए नुकसानदायक हैं। उन्होंने जमीयत प्रतिनिधियों से आह्वान किया कि वह देश की एकता, शांति, मुस्लिमों के उत्थान और आपसी भाईचारे को लेकर जितने भी प्रस्ताव आएं। उन पर गंभीरता के साथ काम करने की शपथ लें।

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अधिवेशन में पिछले दिनों हरिद्वार और दिल्ली सहित अन्य राज्यों में हुई धर्म संसद को लेकर भी चर्चा हुई, साथ ही यह एलान किया गया कि धर्म संसद के स्थान पर जमीयत उलमा-ए-हिंद जगह-जगह सद्भावना संसद करेगी।

अधिवेशन में नामचीन शायर डॉ. नवाज देवबंदी ने अपने शायराना अंदाज में सद्भाव का संदेश दिया। उन्होंने जमीयत के कार्यों की प्रशंसा की। डॉ. नवाज ने शेर सुनाते हुए कहा..रोशनी का कुछ न कुछ इमकान होना चाहिए, बंद कमरे में भी रोशनदान होना चाहिए, हिंदू मुस्लिम कुछ भी लिखा हो माथे पर मगर, आपके सीने में हिंदुस्तान होना चाहिए।

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दूसरे शेर में उन्होंने कहा..मोहब्बत के चिरागों को जो आंधी से डराते हैं, उन्हें जाकर बता देना हम जुगनू बनाते हैं, ये दुनिया दो किनारों को कभी मिलने नहीं देती, चलो दोनों किसी दरिया पे पुल बनाते हैं।

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