- रात से बिजनौर बैराज से गंगा में 2.94 लाख और हथिनीकुंड बैराज से यमुना में 3.90 लाख क्यूसेक का डिस्चार्ज
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: यमुना और गंगा, दोनों उफान पर हैं। पिछली रात यमुना नदी में 3.90 लाख क्यूसेक पानी तक पहुंच गया था, जो खतरे के निशान को छूने लगा था। यमुना नदी में बढ़ते जल स्तर को लेकर सिंचाई विभाग के अफसर भी चिंतित हैं। क्योंकि इससे ज्यादा पानी बढ़ा तो स्थिति भयावह हो जाएगी। गंगा का हाल भी कुछ वैसा ही हैं। गंगा में 2.94 लाख क्यूसेक पानी पिछली रात में पहुंच गया था, जिसमें गिरावट दर्ज करने के दावे सिंचाई विभाग के अफसरों ने किये हैं। कहा जा रहा है कि सोमवार को दिन में 1.13 लाख क्यूसेक पानी गंगा में डिस्चार्ज हो रहा हैं।
चीफ इंजीनियर गंगा संदीप ने बताया कि यमुना नदी में पानी हथिनी कुंड में 3.90 लाख क्यूसेक पानी तक पहुंच गया था, जो खतरे के निशान को छू गई थी। पहाड़ी क्षेत्र में हो रही बारिश से पानी का जल स्तर लगातार बढ़ रहा था। इसको लेकर सिंचाई विभाग के अफसरों की भी परेशानी बढ़ रही थी। क्योंकि पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश से बाढ़ का खतरा बढ़ गया हैं। यमुना में सोमवार को दिन में 2.41 लाख क्यूसेक पानी सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज किया गया। इस तरह से दिन में यमुना का जलस्तर घटा हैं, लेकिन रात्रि में बारिश होने के बाद फिर से पानी का स्तर बढ़ सकता हैं।
इस बात को सिंचाई विभाग के अफसर भी मानते हैं। उधर, गंगा का जल स्तर 50 हजार क्यूसेक पानी दर्ज किया जा रहा था, जो बढ़कर रविवार की रात में 2.94 लाख क्यूसेक तक पहुंच गया था। सोमवार को दिन में गंगा का जल स्तर भी घटकर 1.13 लाख क्यूसेक पर पहुंच गया। रात्रि में फिर से जल स्तर गंगा में बढ़ने की संभावना व्यक्त की जा रही हैं। माना जा रहा है कि पहाड़ी और मैदानी क्षेत्र में हो रही बारिश से गंगा में जल स्तर लगातार बढ़ रहा हैं, जिसके चलते बाढ़ का खतरा पैदा हो गया हैं। वैसे 3.50 लाख तक बड़ा खतरा होने से सिंचाई विभाग गंगा के चीफ संदीप कुमार ने इनकार किया हैं।
उनका कहना है कि 3.50 लाख पर ही बड़ा खतरा पैदा हो सकता हैं। बारिश जिस तरह से बढ़ रही है, वैसे ही गंगा और यमुना नदी का जल स्तर बढ़ रहा है। उधर, हस्तिनापुर खादर क्षेत्र में बारिश के कारण गंगा एक बार फिर से उफान पर आ गई है। गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी होने से क्षेत्र के फतेहपुर प्रेम, सिरजेपुर, हादीपुर गांवड़ी, शेरपुर, हंसापुर, खेड़ीकलां, बधवा आदि गांव के जंगलों में कटान शुरू कर दिया है। वहीं, मुजफ्फरनगर की सीमा खेड़ा मजादपुर से सिरजेपुर तक बने कच्चे तटबंध पर भी कई जगह कटान का खतरा मंडरा रहा है। वहीं, फतेहपुर प्रेम गांव के समीप बाबा मुखत्यार सिंह के डेरे के समीप तटबंध की स्थिति लगातार नाजुक बनी हुई है।
जिसे कार सेवा बाबा कश्मीर सिंह भूरी वालों के नेतृत्व में साथ संगत की मदद से दुरुस्त किया जा रहा है। यहां पर सभी कारसेवक सोमवार को पूरे दिन भारी बारिश के बीच ततबंध को दुरुस्त करने के कार्य में जुटे रहे। राज्य मार्ग-147 पर भीकुंड के समीप गंगा पुल पर चांदपुर की ओर जाने वाली एप्रोच रोड दो सप्ताह पूर्व धराशाई हो गई थी। जिसके बाद आवागमन बंद हो गया था। पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने बताया कि बरसात के चलते एप्रोच रोड दुरुस्त करने के कार्य में लगातार बाधा आ रही है। इसके बाद भी कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। निर्माणाधीन कंपनी को एक सप्ताह में एप्रोच रोड पर आवागमन सुचारू करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
औद्योगिक क्षेत्र में प्रवेश द्वार पर दीवार बनाने को मजबूर हुए उद्यमी
मेरठ: वर्षा का मौसम प्रारम्भ होते ही समस्त औद्योगिक क्षेत्र जल मग्न हो गये हैं। जिसके कारण उद्योगों के अन्दर वर्षा का पानी भर गया है। जलभराव के कारण उद्योगों को करोड़ों की हानि हुई है। अपने माल को बचाने के लिए उद्यमी प्रवेश द्वार पर दीवार बनाने के लिए मजबूर हो चले हैं। इसके कारण उद्यमियों में काफी रोष है। आईआईए मेरठ मंडल अध्यक्ष सुमनेश अग्रवाल ने औद्योगिक क्षेत्र में निरंतर हो रहे जलभराव के लिए नगर निगम प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि प्रीमियर लेगगार्ड, स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स, मेरठ के सभी प्रवेश द्वार पर दीवार बनाने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है इसके अलावा अन्य क्षेत्रों में भी जलभराव को रोकने के लिए कुछ भी दीवार खींचने के लिए विवश हो चले हैं।
वहीं, दूसरी ओर मेरठ चेप्टर के सचिव गौरव जैन ने बताया कि नगर निगम की लापरवाही के कारण उद्योगों को इसका खमयाजा भुगतना पड़ रहा है। औद्योगिक क्षेत्रों की सड़कें व नाले टूटे हुए हैं। तथा नालों की सफाई न होने के कारण वर्षा का पानी नालों मे कम उद्योगों व सड़कों पर ज्यादा दिख रहा है। जिससे उद्योगों मे आना जाना दूभर हो गया है। आईआईए के अध्यक्ष तनुज गुप्ता के अनुसार जलभराव के कारण औद्योगिक क्षेत्रों गाड़ी से आना भी सम्भव नहीं है। जिसके कारण माल से लदी गाड़ियां नहीं निकाली जा रही हैं। जिससे उद्योगों को काफी नुसान उठाना पड़ रहा है। आईआईए मेरठ के सचिव गौरव जैन के अनुसार नगर निगम द्वारा कूड़े व नालों की सफाई न होने के कारण औद्योगिक क्षेत्रों में गंदगी से दुर्गन्ध पैदा हो चुकी है। साथ ही संक्रामक रोग फैलने की आशंका बनी रहती है।