वरिष्ठ संवाददाता |
सहारनपुर: सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने वन गुर्जरों को जंगल से निकालने के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट व केंद्र सरकार के वनाधिकार कानून 2006 का उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा कि जंगल में दशकों से रहते आ रहे इस समुदाय के लोगों को उनके अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस समुदाय के जंगल में रहने को उनका अधिकार माना है और उन्हें जंगल से बेदखल करने पर रोक लगाई है और कोर्ट का स्थगन आदेश है।
शिवालिक वन प्रभाग सहारनपुर में प्रस्तावित टाइगर रिजर्व तथा फायरिंग रेंज के सम्बन्ध में प्रशासन ने वन गुर्जरों को जंगल खाली करने का आदेश दिया है। प्रशासन द्वारा लगातार इस संबंध में जंगल में रहने वाले समुदाय को जंगल खाली करने को लेकर दबाव बनाया जा रहा है।
इसी संबंध में वन गुर्जर युवा संगठन उत्तर प्रदेश द्वारा कोटड़ी बेहलोलपुर तहसील बेहट में वन गुर्जरों की पंचायत बुलाई गई। पंचायत की अध्यक्षता अब्दुल करीम ने कि तथा संचालन शमशाद ने किया। सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने पंचायत की सम्बोधित करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन बिना किसी पुनर्वास योजना के इन लोगों को इनके अधिकारों से वंचित कर जंगल से बेदखल करना चाहता है।
केंद्र व प्रदेश सरकार पहले इन लोगों को जमीन देकर व उसका मालिकाना हक दें। इसके बाद इनका पुनर्वास करे। सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने कहा कि वन गुर्जरों की लड़ाई को सहारनपुर से लेकर लोकसभा तक लड़ा जाएगा। आगामी लोकसभा के सत्र में वह इनकी समस्याओं को संसद में उठाकर सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित कराएंगे।
अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव अशोक चौधरी ने कहा कि प्रशासन और सरकार के पास वन गुर्जरों को जंगल से बेदखल करने का कोई अधिकार नहीं है।
यदि प्रशासन ने इस समुदाय पर दबाव बनाया और इन्हें प्रताड़ित किया तो उनकी यूनियन इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएगी। इस दौरान मुख्तार चौपड़ा, इमरान चौधरी, मुन्नू खान, सय्यद हस्सान, जिÞला पंचायत सहारनपुर के पूर्व उपाध्यक्ष इकबाल, डॉक्टर मुरसलीन, अशफाक, राशिद चौधरी आदि उपस्थित रहे।