Tuesday, July 9, 2024
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जिंदादिल कॅरियर भरपूर जीने की आजादी और पहचान

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मेनस्ट्रीम कॅरियर आॅप्शंस की अक्सर चर्चा होती रहती है जिसमें आप इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट, टूरिज्म से लेकर टीचिंग और सेल्स, स्टार्टअप्स से लेकर सेल टेक्नोलॉजी तक के क्षेत्रों को जानते, सुनते और समझते हैं। लेकिन आज के दौर में ऐसे कॅरियर्स की कोई कमी नहीं है जिनके बारे में अभी बीते एक दशक पहले भी कोई विशेष विचार या कहें कि उपलब्ध मौकों के बारे में अधिक गंभीरता से नहीं सोचा गया था।

भारत में तेजी से उभर रहे उपभोक्ता बाजार में उत्पादों की प्रतिस्पर्धा का आधार यदि कीमत, गुणवत्ता और बिक्री के बाद की सेवाएं यानी सर्विसेज हैं तो उन्हें बेचने के लिए आज सबसे अहम है उसका ऐटरेक्टिव प्रेजेंटेशन। और यह काम करते हैं ग्राफिक डिजायनर्स। भारत में इनकी मांग काफी तेजी से बढ़ी है।

विज्ञापन का पूरा संसार ही नहीं बल्कि आजकल सिनेमा और टीवी सीरियल्स में ग्राफिक्स का उपयोग बेहद तेजी से बढ़ने के कारण अनुमान है कि यह मांग आगे भी बनी रहेगी। अच्छी बात यह भी है कि इस क्षेत्र में कॅरियर बनाने के लिए औपचारिक रूप से पोस्टग्रेजुएट या अंडरग्रेजुएट डिग्री हासिल करना सफल होने के लिए अनिवार्य तो बिल्कुल नहीं है। ग्राफिक डिजाइनर का कॅरियर कला, विज्ञान और मनोविज्ञान पर आपकी नैसर्गिक क्षमता पर निर्भर करता है लेकिन यदि आपने प्रशिक्षण हासिल किया है तो यह आपके रचनात्मक को नए आयाम और बाजार की जरूरतों को समझने में प्रोफेशनल हेल्प करता है। मौजूदा समय एक प्रशिक्षित ग्राफिक डिजाइनर को 30-45 हजार रुपये मासिक तक पैकेज मिल रहा है।

पालतू पशुओं से है प्यार तो पेट्स केयर एंड ग्रूमिंग बिजनेस में आएं यह हमें कतई हैरान नहीं करता है कि आखिर कैसे वोडाफोन के विज्ञापन में दिखने वाला डॉगी हमारे घरों की पसंद बन गया। घरों में पालतू पशुओं मसलन कुत्ते, बिल्लियों, खरगोश, घोड़े से लेकर पक्षियों को पालना कोई नई बात नहीं है। नई प्रवृति यह है कि आजकल पालतु पशुओं यानी पेट्स को प्रशिक्षित करने, उनकी साफ सफाई और देखभाल के क्षेत्र में कॅरियर आॅप्शंस बनने लगे हैं। इसका कारण यह है कि लोगों के पास पेट्स पालने का शौक तो होता है लेकिन संभवत: समय नहीं होता है। दूसरी बात यह भी है कि अब देसी नहीं बल्कि विदेशी नस्लों के पेट्स को पालना नया शौक है जिसके देखभाल के लिए विशेष प्रकार के प्रशिक्षण की जरूरत होती है। पेट्स को मैनर्स और बिहेवेरियल ट्रेनिंग के साथ साथ उनके बालों, कानों, नाखूनों, दांतों आदि की सही क्लिपिंग, बाथिंग, ब्रशिंग और ट्रिमिंग के अलावा उन्हें कीटों और दूसरी बीमारियों से बचाने के लिए भी एक्सपर्ट्स सैलून एंड सेंटर्स खुलने लगे हैं। पेट्स ग्रूमिंग के लिए औपचारिक प्रशिक्षण पाने के लिए कई संस्थान भी हैं जिनमें फूज़ीवूज़ी, टॉपडॉग, स्कूबी स्क्रब, टेलवैगर्स आदि प्रमुख हैं। औपचारिक प्रशिक्षण लेकर पेट्स सैलून चलाना या ऐसे सैलून में 20 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये प्रतिमाह तक का जॉब या बिजनेस हासिल करना संभव है।

स्टैंडअप कॉमेडियन

हंसना आसान है लेकिन किसी को हंसाना एक मुश्किल कला है। तनाव से भरे जीवनचर्या में आज रूटीन के घर-घरेलू कथानकों वाले टीवी सीरियल्स की तुलना में आज हल्के-फुल्के हास्य व्यंग्य वाले सीरियल या एपीसोड देखना तनाव को कम करने की जरूरत और पसंद के कारण लोकप्रिय हो रहे हैं। स्टैंडअप कॉमेडियन की मांग तेजी से बढ़ने के पीछे कारण यह भी है कि आज टेलीविजन पर न केवल लगभग सभी चैनल स्टैंडअप कॉमेडी के नियमित प्रोग्राम चला रहे हैं बल्कि पूरी तरह कॉमेडी को समर्पित चैनलों की भी लोकप्रियता बढ़ रही है। यदि आपमें दूसरों को हंसाने का हुनर है, जीवन के रंग में हास्य ढूंढ़ने और खास तरीके से उस ह्यूमर को प्रेजेंट करने की कला है तो आपके लिए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भरपूर अवसर हैं। पैकेज, यह आपकी कला पर निर्भर करता है।

वेडिंग प्लानर्स, फोटोग्राफर्स, कोरियाग्राफर

भारत में भव्य शादियां अब खबरों का हिस्सा नहीं है। आमदनी बढ़ने के साथ बढ़ते मध्य व उच्च वर्ग में भव्य शादियों का आयोजन कराए जाने की बढ़ते चलन के साथ वेडिंग प्लानर्स से लेकर स्पेशल फोटोग्राफर्स और कोरियोग्राफर्स की मांग बढ़ने लगी है। यदि आप शादियों को एन्जॉय करते हैं, फैमिली रिलेशंस और इमोशंस की समझ रखते हैं, तो थीमेटिक डेकोरेशन से लेकर मेन्यू मैनेजमेंट और लॉजिस्टिक तक पसरे चैलेंजिंग जॉब में आपके लिए संभावनाएं अपार हैं। हां, इसके लिए किसी विशेष औपचारिक डिग्री की जरूरत भी नहीं है। प्रोफेशनल वेडिंग फोटोग्राफर्स का स्पेशलाइज्ड एरिया अभी नया है और उन्हें बेहद रचनात्मक संजीदगी से अपना हुनर दिखाना होता है। फोटोग्राफी के इस प्रकार के स्किल को आप औपचारिक प्रशिक्षण से हासिल कर सकते हैं।

स्पा मैनेजमेंट

आधुनिक जीवनशैली में तनाव को दूर करने के लिए स्पा सैलून एक नया लैंडस्केप है जो बॉडी की मसाज थेरेपी कर रिलैक्स कराती है। हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में आने वाले सालों में अधिक अवसर निर्मित होने की संभावना जबरदस्त है और वहीं स्पा मैनेजमेंट अभी भी नया क्षेत्र है जिसमें रिशेप्शनिस्ट से लेकर थेरेपिस्ट के रूप में कई अवसर हैं। स्पा मैनेजमेंट कोर्सेज हालांकि कम ही हैं लेकिन कुछ सेंटर्स मसलन, ओरिएंट स्पा एकादमी जयपुर, आनंद स्पा इंस्टीट्यूट हैदराबाद, अन्नापेल स्पा इंस्टीट्यूट केरल के अलावा मुंबई, दिल्ली और दूसरे मेट्रो शहरों में स्पा ट्रेनिंग व डिप्लोमा कोर्सेज कराए जाते हैं।

एप एंड वेब डेवलपर, क्रिएटिव राइटर्स

सोशल मीडिया प्लेटफार्म आज की हमारी जीवनचर्या का हिस्सा हैं जिसमें हम न केवल अपने इमोशंस और गेमिंग के रोमांच को ही नहीं बल्कि ई-कॉमर्स, इंट्रेस्ट यानी रूचि आदि को जीते हैं। लिहाजा आज ऐसे एप और वेब डवलपर्स की भारी मांग है जो विभिन्न प्रकार के सेवाओं और सूचनाओं के साथ वर्क मैनेजमेंट प्रोफाइल को मैनेज करते हैं। आपने अलवर के उस संस्कृत शिक्षक इमरान खान का नाम भी सुना होगा जिन्होंने बिना किसी औपचारिक प्रशिक्षण के 50 से अधिक उपयोगी मोबाइल ऐप्स तैयार किए। इमरान का नाम प्रधानमंत्री ने अपने ब्रिटेन दौरे में सार्वजनिक तौर पर लिया था। इसके अलावा यदि आप क्रिएटिव राइटिंग में दूसरों से बेहतर हैं और खास शैली में लेखन कर दूसरों को प्रभावित करने की क्षमता है तो हजारों-लाखों वेब न्यूज साइट्स आज पैरेंटिंग से लेकर ग्रीन, म्यूजिक से लेकर ट्रैवल, टेक से लेकर लाइफस्टाइल और फूड ब्लॉगिंग की खासी मांग तैयार कर रहे हैं। बतौर सब्जेक्ट स्पेसिफिक ब्लॉगर आप अपना कॅरियर बना सकते हैं और इसके लिए घर से ही काम करना संभव है।

फूड एंड बीवरेज फ्लेवरिस्ट

देश में पैकेज्ड फूड के बढ़ते कारोबार और टेस्ट की लिमिटलेस दुनिया में प्रयोग की अपार संभावनाओं को यदि आपकी नैसर्गिक प्रतिभा का मेल मिल जाए तो कमाल हो सकता है। चाय बागानों से लेकर फूड प्रोडक्ट तैयार करने वाली कंपनियों तक, इंडिग्रेंट्स को लेकर नए प्रयोग करने वाले फूड फ्लेवरिस्टों की आने वाले लंबे समय तक काफी मांग रहने वाली है। इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ हॉस्पिटैलिटी एंड मैनेजमेंट, मुंबई, एसआरएम युनिवर्सिटी गाजियाबाद और सेंट्रल फूड रिसर्च टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट मैसूर जैसे अनेक संस्थान फूड टेस्टिंग एंड फ्लेवरिस्ट के रूप में औपचारिक प्रशिक्षण देते हैं।

-फीचर डेस्क


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