जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: उड़ीसा के भुवनेश्वर में आयोजित वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस ऑन कंप्रिहेंसिव क्रिटिकल केयर में छाती व सांस रोग विशेषज्ञ तथा क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट डॉ वीरोत्तम तोमर को फफूंद या फंगस से होने वाले फेफड़ों की बीमारियों के ऊपर प्रकाश डालने हेतु आमंत्रित किया गया। डॉ तोमर ने अपने व्याख्यान में बताया कि फेफड़ों में टीबी, निमोनिया, वायरल इंफेक्शन के अलावा फफूंद रोग का निमोनिया भी काफी रोगियों में पाया जाता है।
इस संदर्भ में डॉक्टर तोमर ने बताया की यह मुख्य रूप से उन रोगियों में जल्दी होता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है जैसे शुगर के मरीज, गुर्दे के रोगी या गठिया जोड़ इत्यादि की बीमारियों के लिए ले रहे दवाइयां या स्टेरॉयड पर निर्भर रोगियों में ज्यादा होता है या वह रोगी जिनको विभिन्न कैंसर के लिए कीमोथेरेपी या इम्यूनोथेरेपी दी जाती है। साथ ही आईसीयू में भर्ती ऐसे रोगी जो काफी गंभीर अवस्था में हैं व लंबे समय से कई तरह की एंटीबायोटिक पर होते हैं। जिनका पेट की जटिल सर्जरी हुई होती है जैसे पैंक्रियाज की सर्जरी इत्यादि। यदि इस फफूंदी रोग जो मुख्यतह कैंडिडा नामक फफून्द से होता है को समय से ना पकड़ा जाए और इलाज न किया जाए तो मात्र दो दिन की देरी से 40% मृत्यु दर बढ़ जाती है।
उन्होंने बताया आम साँस के रोगियों में भी फफूंदी रोग से एलर्जी जिसको एबीपीए ( एलर्जिक ब्रोंको पलमोनरी एस्पेरजिलोसिस) कहते हैं काफी मरीजों में पाया जाता है। देर से पकड़ने पर उनके फेफड़े काफी खराब हो जाते हैं। उन्होंने कई नवीन तकनीक जैसे- खून की जांच से, बलगम की जांच से, सीटी स्कैन के माध्यम से, इस फफूंद रोग को आसानी से पकड़ा जा सकता है। डॉ. तोमर ने बताया कि अब आधुनिक इलाज से इन बीमारियों को पूर्ण रूप से भी खत्म किया जा सकता है। इस कांफ्रेंस में देश-विदेश के 700 से ज्यादा डॉक्टर हिस्सा लिए।