चार दशकों से बॉलीवुड के इस निर्देशक की अधिकतर फिल्में देशभक्ति की शक्ति व पारिवारिक प्रेम को प्रदर्शित करती रही हैं। दर्शकों का मानना है कि इनकी बनाई फिल्मों में सिनेमा में सीटीयां, तालियां व चिल्लाहट नहीं हुई तो देखने में मजा नही आता। हुकुमत, गदर, सिंह साहब द ग्रेट, अपने, द हीरो व मां के अलावा कई बड़ी फिल्में दी हैं। हाल ही में बॉलीवुड व सिनेमा के बदलते स्वरूप व अन्य कई मुद्दों पर निर्देशक अनिल शर्मा से योगेश कुमार सोनी एक्सक्लूसिव बातचीत के मुख्य अंश…
- अपने-2 में देओल परिवार की तीनों पीढ़ीयां एक साथ लेकर आ रहे हैं और इस फिल्म लिए दर्शकों को अभी कितना और इंतजार करना पडेगा?
29 जून को ‘अपने’ फिल्म को चौदह साल पूरे हो गए और इस फिल्म को लोगों ने बहुत प्यार दिया था इसलिए इसका सिक्वल लाने का विचार बना! अपने-2 की शूटिंग अप्रैल में लंदन होनी थी लेकिन कोरोना की वजह से नही हो पाई। जैसे ही लंदन बाहरी लोगों के लिए खुलेगा हम तुरंत शुटिगं शुरू कर देंगे। और मैं बहुत उत्साहित हूं कि चारों देओल के साथ एक ही फिल्म में काम करने को मिल रहा है।
- गदर-2 की भी कोई संभावना हैं। दर्शक चाहते हैं कि उसका भी पार्ट-2 आए।
गदर देश की बड़ी फिल्मों में से एक है। वो मेरी फिल्म नहीं है, वह देश की फिल्म बन चुकी है। मुझसे गदर-2 के लिए हर कोई पूछता है लेकिन जब तक गदर जैसी फिल्म के लिए पटकथा नहीं मिलेगी तब तक इंतजार करना पडेÞगा। इतनी बडी फिल्म के लिए लोगों उम्मीद बहुत बड़ी है। स्टोरी, इमोशन व ड्रामे के साथ हर पहलू को बेहतर होना जरूरी है। जैसे ही गदर-2 आए तो एक बम सा फटे। यह तय है कि गदर-2 आएगी जरूर।
- आपकी फिल्में को सिनेमा में देखने का मजा आता है लेकिन ओटीटी व कोरोना ने सिनेमा का स्वरूप पूरी तरह बदल दिया। इस पर आपका क्या विचार है?
पहले ड्रामा, नाटक व नौटंकी चलती थी और सिनेमा चलता है। इस स्वरूप कितने भी बदले लेकिन उद्देश्य केवल मनोरंजन ही रहा है। यह हिन्दुस्तान है, यहां लोग मौज-मस्ती व शौक के लिए जीते हैं। सिनेमा का किसी भी चीज से तुलना करना बेईमानी सा लगता है। लोग मोबाइल में फिल्में व नाटक देखकर उब गए हैं। हर कोई बाहर निकलना चाहता है। आप घर में कितना भी अच्छा व्यंजन बना लें, लेकिन बिना रेस्टोरेंट जाए मन नहीं मानता। ऐसे ही सिनेमा का मामला है। ओटीटी की वजह से तमाम ऐसे कलाकारों भी को काम मिला है जिनको काम मिलना मुश्किल था। यह परिवर्तन युग है चीजें बदलती रहती हैं। बहुत चीजें ओटीटी पर अच्छी लग सकती हैं, लेकिन सारी नहीं। लेकिन ओटीटी पर फिल्में करोड़ों का बिजनेस कर रही हैं। हाल ही में अमेरिका की कुछ ऐसी फिल्में थीं, जिन्होंने करोड़ों का मुनाफा कमाया।
- आप का एक अलग सा रिकार्ड रहा है कि फिल्म का एक गाना सुपरहिट जरूर होता है।
हर किसी निर्देशक का उद्देश्य होता है कि उसकी फिल्म व उसके सभी गानें हिट जाएं, लेकिन यह तो दर्शक पर्दे पर लगने के बाद तय करते हैं। मेरा भी उद्देश्य यह ही रहता है लेकिन जो लोगों को अच्छा लगता है उसको अपना लेते हैं बाकी कम पसंद करते हैं। बहुत कम फिल्में होती हैं, जिसके सभी गाने हिट हों लेकिन कई बार गानों की वजह से भी फिल्में चल पड़ती हैं।
- हाल ही में काम कम मिलने या न मिलने के कारण युवा पीढ़ी डिप्रेशन में चली जाती है,आत्महत्या तक कर लेते हैं।
देखिए बहुत स्पष्ट है कि काम करने वालों को कभी कोई कमी नहीं रहती। हां, यह जरूर माना जा सकता है कि कोरोना की वजह से दुनिया का हर क्षेत्र प्रभावित हुआ है। संकट अकेले बॉलीवुड पर नहीं आया। कठिन समय है धीरे-धीरे निकल जाएगा। मैं आपके माध्यम से कहना चाहूंगा कि आत्महत्या जैसे घटिया कृत्य सोचने से पहले अपने परिवार की शक्ल याद कर लिया करो। किन कठिनाइयों के साथ मां नौ महीने पेट में रखकर जन्म देती है। इंसान का जीवन सबसे खूबसूरत है इससे प्यार करो।